
मैनपुर (गंगा प्रकाश)। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। माता रानी के स्वरूप की बात करें तो शास्त्रों के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी श्वेत वस्त्र धारण किए हैं और दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बाएं हाथ में कमंडल लिए सुशोभित हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, मां ब्रह्मचारिणी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था, जिस वजह से मां को तपश्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से जाना जाता है। पुराणों में बताया गया है कि मां ब्रह्माचारिणी की पूजा- अर्चना करने से सर्वसिद्धि प्राप्त होती हैं।

मां ब्रह्मचारिणी की प्रिय वस्तु
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प प्रिय हैं। ऐसे में नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा को गुड़हल, कमल, श्वेत और सुगंधित पुष्प अर्पित करें।
मां ब्रह्मचारिणी का भोग
मां दुर्गा को नवरात्रि के दूसरे दिन चीनी का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से दीर्घायु का आशीष मिलता है। मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्यंजन जरूर अर्पित करें।
मंत्र-
श्लोक-
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु| देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||
ध्यान मंत्र-
वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥