घरेलू व आसपास मौजूद सामग्रियों का इस्तेमाल कर आपदा के समय प्रारंभिक मदद से पीड़ितों की बचाई जा सकती हैं जान

अस्पताल जाने या आपदा मोचन की टीम पहुंचते तक मदद दी जा सके ,इसलिए सभी वर्गों को जरूरी टिप्स दे रही राष्ट्रीय आपदा मोचन की टीम।

देवभोग/गरियाबंद(गंगा प्रकाश):– राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के कटक यूनिट की टीम विगत 19 सितम्बर से जिले भर में जागरूकता कार्यक्रम चला रही है।आज देवभोग आत्मानन्द स्कूल में उनका केम्प लगाया गया था,संस्था के प्राचार्य गिरीश चन्द्र बेहेरा एव समस्त स्टाफ के अलावा कांग्रेस जिला महामंत्री अरुण मिश्रा एव अन्य गणमान्य की उपस्थिति में टीम जागरूकता कार्यक्रम शुरू किया।आपदा मोचन बल के टीम लीडर रमेश कुमार, एस आई एम के चौधरी व अन्य टीम मेम्बर द्वारा, बाढ़ आपदा,सर्प दंश,आग लगना,सड़क दुर्घटना के अलावा हार्ट अटैक व बच्चो के गले मे सिक्का या कोई वस्तु फंस जाए तो तत्काल मौजूद सामग्री के उपयोग से कैसे जान बचाई जा सकती है उनकी बारीकियो को बताया।जीवंत उदाहरण व वस्तुओं के उपयोग का नमूना पेश कर रोचक तरीके से समस्या की पहचान व समाधान के उपाय बताते गए।मौजूद स्कूली छात्र छात्राएं,टीचर्स, यूवक व अन्य लोगो के पूछे गए सवाल व शंका का भी टीम समाधान करती नजर आई।टीम लीडर ने बताया कि अक्सर आपदा के समय हम अस्पताल पहूचाने या आपदा की टीम आते तक सकंट में फंसे लोगों को केवल देखते रह जाते हैं, जबकि पास में मौजूद ऐसी कई चीजें होती हैं जिनके उपयोग से हम प्राम्भिक मदद कर उन्हें समूचित उपचार व सहयोग उपलब्ध होने तक मदद पहूचा सकते है।जीवन के इस संकट में थोड़ी सूझ बूझ सँजीवनि का काम कर जाता है।इस जागरूकता अभियान से रिकवरी दर में वृध्दि भी आएगी।

हर सांप जहरीला नही होता

टीम ने बताया कि सांप काटने से घबराए नही, क्योकि घबराहट से उतपन्न टॉक्सिन कई बार जानलेवा साबित हो जाती है।जहरीले सर्प न हो तो भी भय हमारी जान ले लेती है।ऐसे ही दुर्घटना हुई तो खून रोकने या फेक्चर  को सीधा करने हम बुक, टाई,स्केल, दुपट्टा के सहारे मदद कर सकते हैं, इस दौरान बच्चों को भूकंप, बाढ़ तथा अन्य प्राकृतिक आपदाओं में बचाव के तरीके सिखलाए गये तथा बच्चों को अस्पताल पूर्व चिकित्सा के तरीकों की जानकारी दी गयी।  सर्पदंश में किस तरह से प्राथमिक उपचार दिया जाए इसके विषय में बताया गया तथा बच्चों द्वारा इसका अभ्यास भी कराया गया। बच्चों को बाढ़ के दौरान इंप्रोवाइज राफ्ट बनाने तथा इस्तेमाल करने का तरीका भी सिखाया गया।बाढ़ के समय खाली बोतल, मटकी ,बर्तन का उपयोग कैसे कर सकते है बताया गया।बच्चे या बड़े लोगो के गले मे फंसे वस्तु को बाहर निकालने,हार्ट अटैक आते ही पँच से कैसे मदद कर सकते है इन बारीकियों को एक एक करके समझाया गया।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल का योगदान,17 सालों में छह लाख से लोगों को आपदा से बचाया

किसी नदी या बाढ़ प्रभावित इलाके में केसरिया रंग की जीवन रक्षक नाव और यूनिफॉर्म में तैनाात जवान दिखे तो समझ लीजिए कि एनडीआरएफ यानि राष्ट्रीय आपदा मोचन बल काम पर तैनात है। देश के ज्यादातर इलाके इस बार भारी बारिश के चपेट में हैं ऐसे में एनडीआरएफ की टीम पर लोगों की जान बचाने से लेकर उन्हे सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने की जिम्मेदारी है। ये देश के लिए गौरव की बात है कि एनडीआरएफ के जांबाजो ने 17 सालों में 2 लाख से अधिक लोगों की जान बचाई है और 5.50 लाख लोगों को अपनी जान पर खेलकर सुरक्षित जगहों तक पहुंचाया है।एनडीआरएफ की स्थापना कैसे हुई और ये किस तरह लोगों को किसी दुर्घटना या प्रकृतिक आपदा से बचाते हैं ? आखिर कैसे ये ठीक मौके पर पहुंच मुश्किल से मुश्किल हालात में भी जिंदगी को बचा लेते हैं? आईये एनडीआरएफ के बारे में कुछ ऐसी ही रोचक बातें जाने, जिससे आप अंजान है। 

क्या है एनडीआरएफ,कौन होता है इसका मुखिया?

राष्ट्रीय आपदा राहत बल एक पुलिस बल है। राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (एनडीएमए) के अधीन कार्य करती है। एनडीआरएफ के शीर्ष अधिकारी को डाएरेक्टर जनरल कहा जाता है। यह भारतीय पुलिस बलों से चुने गए आईपीएस अधिकारी होते हैं।

भारत में आपदा प्रबंधन की शीर्ष संस्था राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अथॉरिटी (एनडीएमए) है। इस संस्था का मुखिया देश का प्रधानमंत्री होता है। हांलाकि भारतीय गणराज्य में आपदा प्रबंधन का जिम्मा वहां की राज्य सरकार पर होता है। किसी राज्य में आपदा की स्थिति में भारत सरकार का गृह मंत्रालय उन राज्य इकाइयों के साथ समन्वय का काम करता है। इस पुलिस बल का मुख्य काम किसी आपातकाल या आपदा के समय खास तरीके से संगठित होकर प्रभावित लोगों को बचाना, उचित और सुरक्षित स्थान पर ले जाना है। यही नहीं आपदा के समय प्रभावित लोगों के जान माल की रक्षा करना भी होता है। अत्यधिक गंभीर मामलों में भारत सरकार की जिम्मेदारी होती है कि प्रभावित राज्य सरकारों के आग्रह पर सैन्य बल, एनडीआरएफ, वैज्ञानिक उपकरण, आर्थिक मदद, केंद्रीय पैरामिलिट्री बल व अन्य तरह की मदद प्रभावित राज्यों में भेजे। वहीं राष्ट्रीय आपातकाल परिचालन केंद्र (एनइओसी) का कार्य 24 घंटे सक्रिय रहते हुए आपदा जैसी परिस्थितियों का पूर्वानुमान लगाना भी है।

एनडीआरएफ की कब हुई शुरुआत?

2006 राष्ट्रीय आपदा मोचन बल(एनडीआरएफ) का गठन किया गया था। इसकी 12 बटालियनों में हर एक में 1,149 कर्मी हैं और सभी प्रकार की आपदाओं से निपटने में सबसे आगे हैं। इन बटालियनों को देशभर में रणनीतिक ठिकानों पर तैनात किया गया है। साथ ही, अन्य शहरों में 28 क्षेत्रीय केंद्र हैं। प्रत्येक बटालियन में 45 जवान समेत 18 विशेषज्ञों की टीम है। एनडीआरएफ के पास हर तरह की आपदाओं से निपटने के लिए अंतररराष्ट्रीय मानकों के 310 से अधिक प्रकार के उपकरण हैं। 

कहां-कहां हैं तैनात?

एनडीआरएफ की बटालियन देश के 9 विभिन्न स्थानों पर तैनात रहती है। ऐसे स्थानों पर जहां आपदाओं के आने की संभावना ज्यादा रहती है एनडीआरएफ की बटालियन उस जगह के पास रखी जाती है। राज्य अधिकारियों की मंजूरी से यह बल किसी आने वाली आपदा की पूर्व सूचना मिलते ही प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचा दिए जाते हैं, जिससे आने वाली मुसीबत से प्रभावित लोगों की जान माल की रक्षा की जा सके। 

एनडीआरएफ का प्रदर्शन

एनडीआरएफ ने इन 17 सालों के दौरान बाढ़ और अन्य आपदाओं से घिरे साढ़े पांच लाख से अधिक लोगों को सुरक्षित स्थानों पर सकुशल पहुंचाया। एनडीआरएफ आज आधुनिक युग की हर तरकीब और तकनीक के साथ हर तरह की आपदाओं में बचाव कार्य करने में सक्षम है। विशेषज्ञों के मुताबिक एनडीआरएफ आज देश में एक विशेषज्ञ बल बन चुका है जो आणविक और रासायनिक आपदाओं समेत आधुनिक युग की हर तरह की चुनौतियों से निपटने में यह सक्षम है। इसके लिए दल की सभी 12 बटालियनों में नौ विशेषज्ञों के दल शामिल किए गए हैं। इन विशेषज्ञों को विदेश में उच्च स्तर का प्रशिक्षण मिला हुआ है और ये गहरे समुद्र और आग की घटनाओं को छोड़कर हर तरह की चुनौतियों के बीच बचाव कार्य में सक्षम रहते हैं। अभी मानसून का मौसम है और इसके मद्देनजर 26 राज्यों में 57 स्थानों पर 74 टीमें तैनात हैं, जो कहीं भी आपदा की सूचना मिलने पर कम से कम समय में पहुंचकर फौरन राहत कार्य चला सकती हैं।

कितने लोग को हुआ फायदा

एनडीआरएफ के अभियान से 60 लाख से ज्यादा लोगों को फायदा हुआ है। एनडीआरएफ के अधिकारियों की मानें तो आपदा से परे शांतिकाल में बल  ने 5,268 से अधिक सामुदायिक जागरूकता कार्यक्रम किए। इससे 60 लाख से अधिक लोग लाभान्वित हुए। स्कूल सुरक्षा कार्यक्रम के तहत 2हजार से अधिक कार्यक्रम किए गए जिसमें 9,44,225 छात्र-छात्राओं ने आपदा आने की स्थिति में इससे निपटने के गुर सीखे। इसी तरह 2,687 आपदा परिचय कार्यक्रम आयोजित किए गए जिसमें लोगों को जागरूक किया गया। इसके अलावा 2,714 कृत्रिम अभ्यास ‘मॉक एक्सरसाइज’ आयोजित किए गए, जिसमें 9,07,307 लोगों ने आपदा से निपटने के गुर सीखे। विशेषज्ञों का कहना है कि आपदाओं को रोका नहीं जा सकता, लेकिन उनसे पैदा होने वाले संकट को रोका जा सकता है। 

एनडीआरएफ के पास है विश्वस्तरीय उपकरण

विशेषज्ञों का मानना है कि एनडीआरएफ की टीम पूरी तरह से आत्मनिर्भर है। वह किसी आकस्मिक आपदा की सूचना मिलने के 30 मिनट के भीतर घटनास्थल के लिए रवाना हो सकती है। इनके पास त्वरित कार्रवाई करने के लिए विश्वस्तरीय उपकरण हैं जो ड्रोन, यूएवी जैसी प्रौद्योगिकी और ट्विटर, व्हाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के मामले में भी लक्ष्य को साधने में पूरी तरह से तत्पर हैं। भारत में भूकंप, बाढ़ और भवन गिरने की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार देश को मानव-जनित और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए प्रशिक्षित करने की जरूरत है। 

इन बिंदुओं से समझें एनडीआरएफ का काम

1-मानवीय और प्राकृतिक आपदा के दौरान विशेषज्ञ मदद उपलब्ध करना, जिससे बचाव एवं राहत कार्य का प्रभावी ढ़ंग से हो सके।

2-राष्ट्रीय आपदा मोचन बल आपदाओं के दौरान चलाए जाने वाले राहत कार्यों में अधिकारयों की मदद में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

3-राष्ट्रीय आपदा मोचन बल की तैनाती संभावित आपदाओं के दौरान भी की जाती है। 

4-आपदाओं में बचाव या राहत कार्य के दौरान अन्य संलग्न एजेंसियों के साथ समन्वय कर यह बल बचाव या राहत कार्य को पूरा करता है। 

5-एनडीआरएफ की सभी बटालियन तकनीकी दक्षता से युक्त हैं। प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के साथ-साथ यह बल अपनी चार टुकड़ियों के माध्यम सेरेडियोलॅाजिकल,जैविक,नाभिकीय और रासायनिक आपदाओं से निपटने में भी सक्षम है।

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