
शेटिंगबाज अधिकारियों ने नही की अतिक्रमणकारी सरपंच पर कार्यवाही,प्रार्थी पहुंचा मुख्यमंत्री के पास?शिकायतकर्ता बोला “कका अभी जिंदा हैं”
देवभोग(गंगा प्रकाश):-शासकीय जमीन पर हो रहे अतिक्रमण के चलते गांवों का विकास बाधित हो गया है। अतिक्रमणकारियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि वे बेरोकटोक खाली मैदान से लेकर तालाब, स्कूल परिसर,श्मशान घाट,गौचर जमीन पर भी कब्जा कर रहे हैं। दिन-व-दिन बढ़ रहे अतिक्रमण के चलते लोगों का चलना दूभर होता जा रहा है। लोगों को मूलभूत सुविधाओं से भी वंचित होना पड़ रहा है। गांव की तस्वीर व तकदीर बदलने पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा विकास कार्यों को गति प्रदान करने का प्रयास किया जाता रहा है लेकिन शासकीय जमीन पर अतिक्रमण होने से विभिन्न विकास कार्य बाधित हो रहे हैं।पंचायत प्रतिनिधियों के शिकायत के बावजूद अधिकारियों द्वारा अतिक्रमण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने से उनके हौसले बुलंद हो गए हैं। गांवों के अन्य लोग भी इन अतिक्रमणकारियों के गलत कार्यों का अनुकरण करने लगे हैं। अतिक्रमण हर गांव के लिए विकराल समस्या बन गई है।ऐसे लोगों को गांव के विकास से कोई सरोकार नहीं है। अतिक्रमण को रोकने गांव स्तर पर किए जा रहे प्रयास भी महज इसलिए सफल नहीं हो पा रहे हैं क्योंंकि अतिक्रमणकारियों की तादात गांव में ज्यादा हैं। कई पंचायतों में जनप्रतिनिधि खुद इस कार्य में संलिप्त रहते हैं, जिस कारण अतिक्रमण के मामले में चुप्पी साध लेते हैं। जिले के अधिकांश गांव में अतिक्रमणकारियों की फौज है। एक की देखादेखी दूसरे, तीसरे के कारण गांव में न तो चारागाह बच पाया है न ही खेल मैदान बचा है।ऐसा ही मामला सामने आया हैं मामला देवभोग विकासखंड के ग्राम पंचायत गोहरापदर का हैं जहाँ सरपंच द्वारा शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर निजी मकान बना लिया हैं।मामले को लेकर शिकायतकर्ता महेश नागेश ने देवभोग तहसीलदार को शिकायत और 2 बार जिला कलेक्टर को लिखित रूप में शिकायत कर चुके हैं। किंतु राजस्व अधिकारी महज खानापूर्ति के लिए संबंधित सरपंच को कारण बताओ नोटिस एवं शिकायत दिनाँक से 5 बार पेशी बुलाकर मामले को अमलीजामा पहनाने का कोशिश कर रहें है। जबकि मामले में गोहरापदर सरपंच जाधवो नायक पद का दुरुपयोग कर शासकीय जमीन को हथियाने का पुरजोर दमखम लगा रखा है। उक्त प्रकरण में संबंधित हल्का पटवारी ने तत्कालीन तहसीलदार समीर शर्मा को जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत कर चुकी थी जिसमें साफ उल्लेख हैं कि खसरा नम्बर 206 में 44.34 वर्गमीटर जमीन पर अतिक्रमण कर निजी मकान बनाया गया हैं।चौकाने वाले बात तो यह कि शिकायत दिनाँक तक मकान का छत ढलाई नहीं हुआ था,लेकिन शिकायतकर्ता द्वारा शिकायत करने के बाद दबंग सरपंच द्वारा छत ढलाई और फ्लोरिंग कार्य पूर्ण कर लिया हैं।इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता हैं कि सरपंच का दबदबा किस हद तक प्रशासनिक अधिकारियों तक है,आखिर क्यों न बापू के फोटो के आगे बड़े-बड़े तीसमारखाँ झुकते हैं।
शिकायतकर्ता को हैं भेंट मुलाकात कार्यक्रम का था इंतजार

मामले के शिकायतकर्ता महेश ने बताया कि प्रकरण आइने की तरह साफ है,पर अधिकारी कार्यवाही करने में इतना लेटलतीफी क्यों कर रहें समझ से परे हैं,जबकि जांच प्रतिवेदन में स्पष्ट रूप से स्थल निरीक्षण कर सम्बंधित पटवारी ने खसरा नम्बर 206 के भूमि को शासकीय होना बताया हैं। शिकायतकर्ता ने कहा कि अब अधिकारियों से न्याय की उम्मीद नहीं है “कका अभी जिंदा हैं”भेंट मुलाकात कार्यक्रम में सबका हिसाब होगा,अगर वहाँ से भी न्याय नहीं मिला तो न्यायालय की शरण में जाने के लिए बाध्य होना पड़ेगा।लेकिन शिकायतकर्ता महेश का सब्र का बांध टूट गया तो स्वयं राजधानी रायपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री को शिकायत आवेदन प्रस्तुत किया हैं।
आखिर शेटिंगबाज अधिकारियों ने नही की अतिक्रमणकारी सरपंच पर कार्यवाही प्रार्थी पहुंचा मुख्यमंत्री के पास
बताते चले कि ग्राम पंचायत गोहरापदर सरपंच जादवो राम नायक वि.ख. देवभोग जिला गरियाबंद (छ.ग) के द्वारा नहर नाली की शासकीय भूमि पर पद का दुरुपयोग करते हुए शासकीय जमीन पर निजी मकान निर्माण करवाया है जिसकी शिकायत 06.05.2022 तत्कालीन तहसीलदार समीर शर्मा एवं 01.06.2022 को वर्तमान कलेक्टर प्रभात मलिक 23.07.2022 को जनचौपाल, 13.09.2022 को अर्पिता पाठक अनुविभागीय अधिकारी देवभोग को आवेदन पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया था। जांच के उपरांत हल्का पटवारी ने पुष्टी की थी कि उक्त भूमि शासकीय हैं। एवं देवभोग तहसीलदार द्वारा कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया था।
नही हुई सरपंच पर पंचायती राज अधिनियम1993 की धारा के तहत कार्यवाही
सरपंच पदाधिकारी द्वारा शासकीय भूमि अतिक्रमण करने पर पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 (ग) के अनुसार उन्हें किये जाने का प्रावधान है। ग्राम पंचायत द्वारा सार्वजनकि मार्गो शासकीय घास जमीन में निजी सम्पत्ति ना हो(अतिक्रमण)या ऐसी जमीन जो सार्वजनिक उपयोग के लिए खुली हो ,चाहे ऐसे स्थल पंचायत में निहित हो या राज्य सरकार के हो को किसी भी हाल में अतिक्रमण नही होने देने हैं साथ ही पंचायती राज अधिनियम 1993 की धारा 40 के उपखण्ड (ग) में प्रवधान हैं कि पंचायत के किसी पदधारी द्वारा पंचायत में अपने किसी नातेदार के लिए नियोजन प्राप्त करने के लिए अपनी स्थिति या प्रभाव का प्रत्यक्षतः या अप्रत्यक्षतः प्रयोग करना या किसी नातेदार को आर्थिक फायदा पहुंचाने के लिए कोई कार्रवाई करना,जैसे कि किसी प्रकार का कोई पट्टा देना,उनके माध्यम से पंचायत में किसी कार्य को करवाने की मनाही हैं इस खण्ड के प्रयोजन के लिए अभिव्यक्ति “नातेदार” से अभिप्रेत है,पिता,माता,भाई, बहिन, पति,पत्नी,पुत्र,पुत्री, सास, श्वसुर,साला, बहनोई, देवर, साली, भाभी, ननद, देवरानी, जेठानी,दामाद या पुत्र-वधु कोई व्यक्ति,जिसे उपधारा (1) के अधीन हटा दिया गया है, तत्काल किसी ऐसी अन्य पंचायत का सदस्य नहीं रहेगा ऐसा पाए जाने पर पंचायतीराज अधिनियम 1993 की 40 उप खंड (ग) के तहत 6 वर्षो लिए प्रतिबंध लगाया जाता हैं।लेकिन ग्राम पंचायत गोहरापदर के सरपंच द्वारा सारे नियमकों तक पर रखकर अपने पद का दुरूपयोग करते हुए मकान निर्माण करवा लिया हैं सरपंच अपने पद का दुरूपयोग कर रहा है व शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन भी ठीक से नहीं कर रहा हैं, शिकायत के बाद ग्राम कोटवार, पटवारी और राजस्व निरीक्षक के प्रतिवेदन में शिकायत सही पाए जाने पर एसडीएम ने सरपंच के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की थी लेकिन शेटिंगबाज अधिकारियों अब तक सरपंच कोई कार्यवाही नही की तब प्रार्थी द्वारा आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से मुलाकात कर अतिक्रमणकारी सरपंच पर कार्यवाही करने हेतु आवेदन प्रस्तुत किया हैं।