गरियाबंद। नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत गरियाबंद पुलिस को बड़ी सफलता मिली है। शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के डीजीएन डिवीजन में सक्रिय दो हार्डकोर माओवादियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ते हुए आत्मसमर्पण किया है। आत्मसमर्पण करने वाले दोनों माओवादी 5-5 लाख रुपये के इनामी थे, जिन पर कुल 10 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
आत्मसमर्पण करने वालों में एसडीके एरिया कमेटी सदस्य संतोष उर्फ लालपवन तथा सीनापाली एरिया कमेटी सदस्य मंजू उर्फ नंदे शामिल हैं। दोनों माओवादी लंबे समय से गरियाबंद एवं ओडिशा सीमा क्षेत्र में सक्रिय थे और कई नक्सली घटनाओं में उनकी संलिप्तता रही है।
संतोष उर्फ लालपवन बीजापुर जिले के आवापल्ली थाना क्षेत्र अंतर्गत ग्राम बण्डरपाली का निवासी है। वह वर्ष 2005 में माओवादी संगठन से जुड़ा और प्लाटून कमांडर से लेकर एरिया कमेटी सदस्य तक विभिन्न जिम्मेदारियां निभाता रहा। गरियाबंद क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए वह आईईडी ब्लास्ट, पुलिस मुठभेड़ों और विकास कार्यों में आगजनी जैसी गंभीर घटनाओं में शामिल रहा। वर्ष 2018 से 2025 के बीच हुई कई बड़ी नक्सली घटनाओं में उसकी भूमिका रही है।
मंजू उर्फ नंदे सुकमा जिले की रहने वाली है, जो वर्ष 2002 से नक्सली संगठन से जुड़ी थी। उसने बाल संगठन से लेकर एलओएस, सीएनएम और सिविल ड्रेस संगठन में कार्य किया। वर्ष 2021 से वह सीनापाली एरिया कमेटी सदस्य के रूप में गरियाबंद-नुआपाड़ा सीमावर्ती क्षेत्र में सक्रिय थी और कई चर्चित मुठभेड़ों में शामिल रही।
दोनों माओवादियों ने बताया कि शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति के तहत मिलने वाली आर्थिक सहायता, आवास, स्वास्थ्य सुविधा और रोजगार योजनाओं से वे प्रभावित हुए। पहले आत्मसमर्पण कर चुके साथियों के सुरक्षित और सामान्य जीवन को देखकर उन्होंने भी समाज की मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।
इस आत्मसमर्पण में गरियाबंद पुलिस के साथ ई-30, सीएएफ 19वीं बटालियन (इको कंपनी), 207 कोबरा तथा 65/211 बटालियन सीआरपीएफ की अहम भूमिका रही।
गरियाबंद पुलिस ने जिले में सक्रिय अन्य माओवादियों से भी अपील की है कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर किसी भी थाना, चौकी या सुरक्षा कैंप में आत्मसमर्पण करें और शासन की पुनर्वास योजनाओं का लाभ उठाकर सम्मानजनक जीवन जिएं।
आत्मसमर्पण हेतु संपर्क
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