छुरा (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड में शिक्षा विभागके नियम और शासन आदेश खुलेआम दरकिनार कर दिए गए हैं। राज्य परियोजना कार्यालय की स्पष्ट मनााही के बावजूद यहां एक अपात्र व्याख्याता को ब्लॉक रिसोर्स कोऑर्डिनेटर (बीआरसी) जैसे अहम पद पर बैठा दिया गया है। इस नियुक्ति ने पूरे जिले ही नहीं बल्कि प्रदेश के शिक्षा जगत को भी चौंका दिया है।

राज्य परियोजना कार्यालय, राजीव गांधी शिक्षा मिशन, समग्र शिक्षा, रायपुर ने अपने आदेश क्रमांक 2306/2016-17 दिनांक 15 मार्च 2017 में साफ-साफ लिखा था कि— “बीआरपी या बीआरसी पद पर व्याख्याता एवं व्याख्याता पंचायत संवर्ग को नियुक्त न किया जाए। केवल प्राथमिक, पूर्व माध्यमिक और उच्च श्रेणी शिक्षक ही पात्र होंगे।”

यह आदेश पूरे प्रदेश में लागू है। बिलासपुर समेत कई जिलों में व्याख्याताओं को इसी आधार पर बीआरसी चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया। लेकिन छुरा विकासखंड में वही व्याख्याता संवर्ग का व्यक्ति, हरीष कुमार देवांगन, फिगेश्वर विकासखंड के परसदा कला हाईस्कूल से लाकर बीआरसी बना दिया गया।

आखिर क्यों नियम तोड़े गए?

जब पूरे प्रदेश में आदेश का पालन हुआ तो फिर छुरा में ही अपवाद क्यों? यहां न तो योग्य शिक्षक की कमी थी और न ही शासन के आदेश अस्पष्ट। इसके बावजूद अपात्र को बीआरसी बनाना साफ तौर पर संदेहास्पद माना जा रहा है। चर्चा तेज़ है कि इस नियुक्ति के पीछे राजनीतिक दबाव, ऊपरी संरक्षण या लेन-देन जैसी ताकतें काम कर रही हैं।

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स्थानीय शिक्षकों में आक्रोश

इस नियुक्ति को लेकर स्थानीय शिक्षक वर्ग में गहरा आक्रोश है। शिक्षकों का कहना है कि जब उनके पास अनुभवी और योग्य उम्मीदवार मौजूद हैं तो फिर बाहरी व्याख्याता को नियम तोड़कर क्यों बैठाया गया। शिक्षकों का मानना है कि यह शिक्षा व्यवस्था के साथ सरासर अन्याय है और शासन की मंशा पर सवाल खड़े करता है।

प्रतिनिधि मंडल करेगा रायपुर मार्च

सूत्रों के अनुसार, इस पूरे मामले की शिकायत और दस्तावेजों के साथ एक प्रतिनिधि मंडल रायपुर पहुंचेगा। प्रतिनिधि मंडल मुख्यमंत्री, राज्यपाल, कलेक्टर और मिशन संचालक से मुलाकात कर अपात्र बीआरसी को तत्काल पद से हटाने और मूल शाला में भेजने की मांग करेगा। इसके साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका की जांच की भी मांग की जाएगी।

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डीपीसी का पल्ला झाड़ना

इस सनसनीखेज नियुक्ति पर जब जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) गरियाबंद शिवेश शुक्ला से प्रतिक्रिया मांगी गई तो उन्होंने कहा— “इस संबंध में अभी तक कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। शिकायत आने पर आवश्यक कार्यवाही के लिए राज्य परियोजना कार्यालय को पत्र लिखा जाएगा।”

उनका यह बयान और भी सवाल खड़े करता है कि क्या बिना शिकायत के भी इतने बड़े नियम उल्लंघन को अनदेखा किया जाएगा?

शिक्षा व्यवस्था पर गहरा सवाल

बीआरसी का पद किसी भी विकासखंड में शिक्षा सुधार की रीढ़ माना जाता है। यहां नियमों के विपरीत व्यक्ति की नियुक्ति होना न केवल शासन आदेश की धज्जियां उड़ाना है बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा सवाल खड़ा करता है।

छुरा ब्लॉक में अपात्र बीआरसी की तैनाती अब घोटाले की तरह उभर रही है। लोग पूछ रहे हैं कि जब शासन खुद आदेश निकाल चुका था तो फिर अधिकारी किसके दबाव में झुक गए?

फिलहाल यह मामला जिले में सबसे चर्चित मुद्दा बन गया है और अब सबकी निगाहें शासन-प्रशासन की अगली कार्रवाई पर टिकी हैं। क्या आदेश की अवहेलना करने वालों पर गाज गिरेगी, या यह मामला भी फाइलों की धूल में दब जाएगा—यही सबसे बड़ा सवाल है।

 

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