Brekings: गरियाबंद में प्रधानमंत्री आवास योजना बना भ्रष्टाचार का गढ़, जिओ टैगिंग से लेकर रिश्वत तक खुलेआम चल रहा खेल
मुख्यमंत्री की चेतावनी भी बेअसर, ग्रामीणों ने दी चेतावनी — तीन दिन में कार्रवाई नहीं हुई तो राजधानी में करेंगे प्रदर्शन

गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले में प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) को लेकर भ्रष्टाचार थमने का नाम नहीं ले रहा है। जहां इस योजना का उद्देश्य गरीब, वंचित और बेघर लोगों को अपने सपनों का पक्का मकान देना है, वहीं जमीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। अधिकारी और रोजगार सहायक मिलकर इस योजना को मालामाल होने का जरिया बना चुके हैं। हालात ऐसे हो चुके हैं कि प्रधानमंत्री की ड्रीम योजना अब गांव-गांव में घोटाले और वसूली की पहचान बनती जा रही है।
ताजा मामला मैनपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत मदांगमुड़ा का है। यहां के ग्रामीणों ने मंगलवार को गरियाबंद कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार करने वाले रोजगार सहायक जयलाल सोनवानी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि रोजगार सहायक द्वारा गांव में पुराने बने हुए मकानों की जिओ टैगिंग कर उन्हें नया आवास दिखाकर लाखों रुपये की सरकारी राशि निकाली जा रही है। इसके साथ ही भूमि समतलीकरण, निर्माण कार्य और स्वीकृति के नाम पर खुलेआम वसूली की जा रही है।
पुराने मकान को बना दिया ‘नया’
ग्रामीणों का कहना है कि गांव में 4-5 साल पहले बने पक्के मकानों की जिओ टैगिंग कर उन्हें नया प्रधानमंत्री आवास दिखाया गया और योजना की राशि निकाल ली गई। इससे न सिर्फ योजना का उद्देश्य ही ध्वस्त हुआ बल्कि असली हकदार गरीब परिवार आज भी बिना मकान के हैं। शिकायतकर्ताओं ने कहा कि इस गड़बड़ी की शिकायत उन्होंने एक माह पूर्व एक सरकारी शिविर में भी की थी, लेकिन अब तक न कोई जांच हुई और न ही कोई कार्रवाई।
मुख्यमंत्री की चेतावनी हवा में!
यह मामला तब और गंभीर हो जाता है जब यह याद दिलाया जाए कि प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने हाल ही में प्रधानमंत्री आवास योजना में भ्रष्टाचार को लेकर कड़ी चेतावनी दी थी। उन्होंने कहा था कि यह योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्राथमिकता है और इसमें किसी भी तरह की लापरवाही या घोटाले बर्दाश्त नहीं किए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने तो यहां तक कह दिया था कि यदि जिलों में इस योजना में भ्रष्टाचार हुआ तो कलेक्टर तक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन गरियाबंद जिले में मुख्यमंत्री की चेतावनी का कोई असर नजर नहीं आ रहा है। भ्रष्टाचार के मामलों की बाढ़ आई हुई है, लेकिन कार्रवाई शून्य है।
तीन दिन में कार्रवाई नहीं तो रायपुर पहुंचेंगे ग्रामीण
मदांगमुड़ा से आए ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि तीन दिवस के भीतर रोजगार सहायक जयलाल सोनवानी पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो वे राजधानी रायपुर पहुंचकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे और इस पूरे भ्रष्टाचार की शिकायत करेंगे। उनका कहना है कि अब सब्र का बांध टूट चुका है और वे न्याय पाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि विकासखंड स्तर के अधिकारी जानबूझकर इस मामले को दबा रहे हैं, ताकि दोषियों को बचाया जा सके।
किसानों को बंदूक की नोक पर धमका रहा भू माफिया, वीडियो वायरल https://gangaprakash.com/?p=76348
बड़ी मछलियों तक पहुंचेगा मामला?
यह पूरा प्रकरण सिर्फ एक ग्राम पंचायत तक सीमित नहीं है। सूत्रों की मानें तो मैनपुर ब्लॉक सहित कई अन्य पंचायतों में भी ऐसे ही भ्रष्टाचार के मामले दबे पड़े हैं। जिओ टैगिंग से लेकर निर्माण कार्य तक, हर स्तर पर रिश्वत का खेल चल रहा है। कुछ जानकारों का मानना है कि यदि निष्पक्ष जांच हो तो इस मामले में कई वरिष्ठ अधिकारियों और पंचायत सचिवों की भूमिका भी उजागर हो सकती है।
क्या गरियाबंद प्रशासन जागेगा?
अब देखना यह है कि क्या गरियाबंद जिला प्रशासन इस मामले में सक्रियता दिखाता है या फिर यह भी अन्य मामलों की तरह फाइलों में दबा रह जाएगा। ग्रामीणों की मांग है कि दोषियों को तुरंत निलंबित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए और वसूली की गई राशि को रिकवर किया जाए।
सवाल अब सिर्फ एक है — क्या सरकार की ‘ड्रीम योजना’ का सपना भ्रष्टाचार के दलदल में डूब जाएगा, या फिर कोई ईमानदार पहल होकर इसे बचाया जा सकेगा?