CG: तीन करोड़ ‘लखपति दीदी’ बनाने का सपना – रायपुर में जुटे देश के 15 राज्यों के विशेषज्ञ, शुरू हुई राष्ट्रीय कार्यशाला
रायपुर/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। CG: तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने का सपना – देशभर की ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें लाखों की आय वाली उद्यमी ‘लखपति दीदी’ में बदलने के संकल्प के साथ राजधानी रायपुर में मंगलवार से तीन दिवसीय राष्ट्रीय क्षेत्रीय कार्यशाला की भव्य शुरुआत हुई। इस कार्यशाला का आयोजन भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत किया गया है। आयोजन स्थल पर महिला समूहों, आजीविका विशेषज्ञों और मिशन संचालकों का अद्भुत संगम देखने को मिला, जो आने वाले दिनों में लाखों महिलाओं की किस्मत बदलने की कार्ययोजना को दिशा देगा।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी लक्ष्य – देश में तीन करोड़ लखपति दीदी बनाने – को साकार करने की दिशा में यह कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी। उद्घाटन सत्र में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव टी. के. अनिल, संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाती शर्मा, छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संचालक श्रीमती जयश्री जैन समेत कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। मंच से वक्ताओं ने कहा कि “नारी शक्ति को सशक्त कर, गांवों की तस्वीर बदली जा सकती है। इसके लिए आजीविका मिशन पूरी निष्ठा से काम कर रहा है।”
15 राज्यों के प्रतिनिधि हुए शामिल
इस कार्यशाला में मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, उत्तराखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, राजस्थान, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, कर्नाटका, तेलंगाना, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश समेत कुल 15 राज्यों के मिशन संचालक, अधिकारी, आजीविका विशेषज्ञ, नीति निर्माता, बैंकिंग प्रतिनिधि और सामाजिक संगठन भाग ले रहे हैं। सभी का एक ही उद्देश्य है – ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से इतना मजबूत बनाना कि वे सिर्फ परिवार ही नहीं, गांव और समाज की रीढ़ बन सकें।
कैसे बनेगी ‘लखपति दीदी’?
कार्यशाला के विभिन्न सत्रों में चर्चा का मुख्य विषय यह है कि स्थानीय संसाधनों का उपयोग, कौशल उन्नयन, तकनीकी प्रशिक्षण, वित्तीय सहयोग और मार्केट लिंक को एक साथ जोड़कर किस तरह महिलाएं 1 लाख रुपये से अधिक की सालाना आय अर्जित कर सकती हैं। विशेषज्ञों ने बताया कि कृषि, पशुपालन, बागवानी, कुटीर उद्योग, उत्पादक समूह निर्माण और डिजिटल प्लेटफॉर्म जैसे अनेक क्षेत्र हैं, जहां महिलाएं अपार सफलता प्राप्त कर रही हैं। लेकिन इन्हें स्थायी और संगठित आय का मॉडल बनाना ही असली चुनौती है।
प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
कार्यशाला स्थल पर स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों की प्रदर्शनी भी लगाई गई है, जिसमें हस्तशिल्प, खाद्य प्रसंस्करण, बांस एवं लकड़ी शिल्प, हस्तनिर्मित कपड़े, आचार, पापड़, मसाले, जूट प्रोडक्ट्स समेत दर्जनों स्टॉल सजी हैं। आगंतुकों ने इन उत्पादों की सराहना करते हुए कहा कि “ये सिर्फ उत्पाद नहीं, ग्रामीण महिलाओं की मेहनत, हुनर और आत्मविश्वास की झलक हैं।”
छत्तीसगढ़ की ‘लखपति दीदी’ सुनाएंगी अपनी कहानी
कार्यशाला के अंतिम दिन प्रतिभागी सेरीखेड़ी स्थित समुदाय आधारित प्रशिक्षण केंद्र का भ्रमण करेंगे। वहां छत्तीसगढ़ की सफल लखपति दीदियों की प्रेरक कहानियाँ उन्हीं की जुबानी सुनाई जाएंगी। आयोजन समिति के अनुसार, यह सत्र विशेष रूप से तैयार किया गया है ताकि अन्य राज्यों से आई महिलाएं यह देखें और सीखें कि सीमित संसाधनों के बावजूद कैसे दृढ़ संकल्प और सामूहिक प्रयासों से लाखों की आमदनी का सपना पूरा किया जा सकता है।
महिला सशक्तिकरण का नया अध्याय
छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की संचालक श्रीमती जयश्री जैन ने कहा – “कार्यशाला की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। हमारा लक्ष्य है कि छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में महिला नेतृत्व को विकास की धुरी बनाया जाए। यह कार्यशाला उन सभी योजनाओं और अनुभवों को साझा करने का मंच बनेगी, जिनसे महिलाएं सिर्फ लखपति ही नहीं, मास्टर ट्रेनर, सफल उद्यमी और प्रेरक नेता भी बनें।”
भविष्य की कार्ययोजना तय करेगी कार्यशाला
तीन दिनों तक चलने वाली इस कार्यशाला के समापन पर फ्यूचर रोडमैप भी तैयार किया जाएगा। इसमें यह तय होगा कि किस राज्य में किस मॉडल को अपनाकर लखपति दीदी बनाने की प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने इसे विचारों का कुंभ बताते हुए कहा कि “यह आयोजन सिर्फ मंथन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि ठोस कार्ययोजना का दस्तावेज भी बनेगा, जिससे प्रधानमंत्री के सपने को हकीकत में बदलने की दिशा मिलेगी।”