छुरा (गंगा प्रकाश)।नशे में डूबे प्रधान पाठक – गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड अंतर्गत संकुल केन्द्र चरौदा के अधीन आने वाली पूर्व माध्यमिक शाला घोघरा इन दिनों गंभीर लापरवाही और शिक्षा व्यवस्था की अव्यवस्था का शिकार हो रही है। राजिम विधानसभा क्षेत्र के अंतिम छोर पर, उड़ीसा की सीमा से सटे इस गांव में शिक्षा का आलम यह है कि यहाँ पदस्थ प्रभारी प्रधान पाठक की कार्यशैली ने न केवल बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेल दिया है, बल्कि पूरे गांव के विश्वास को भी तोड़ दिया है।

2006 से संचालित, तीन गांवों के बच्चों का सहारा
पूर्व माध्यमिक शाला घोघरा की स्थापना वर्ष 2006 में हुई थी। यह शाला ग्राम पंचायत पटपरपाली के आश्रित ग्राम घोघरा, विजयनगर और गौरमुड़ी के बच्चों की पढ़ाई का मुख्य केन्द्र है। फिलहाल इस विद्यालय में चार शिक्षक पदस्थ हैं। ग्रामीण बताते हैं कि इनमें से सबसे वरिष्ठ शिक्षक और प्रभारी प्रधान पाठक दालू राम कमार का रवैया शुरू से ही बेहद गैर-जिम्मेदाराना रहा है।
जनदर्शन में शिकायत, लेकिन कार्रवाई शून्य
02 सितंबर 2025 को घोघरा, विजयनगर और गौरमुड़ी के बच्चों के पालकों ने सामूहिक रूप से कलेक्टर गरियाबंद को जनदर्शन कार्यक्रम में लिखित आवेदन देकर शिकायत दर्ज कराई। पालकों का आरोप है कि प्रधान पाठक दालू राम कमार अक्सर शराब के नशे में स्कूल पहुंचते हैं और पूरे महीने में मुश्किल से चार से पाँच दिन ही स्कूल आते हैं। बाकी समय वे नदारत रहते हैं।
पालकों का कहना है कि उनके बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से बाधित हो रही है। शिकायत दर्ज होने के बावजूद आज तक किसी भी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस उपेक्षा ने ग्रामीणों के आक्रोश को और गहरा कर दिया है।
मीडिया जांच में भी मिले गंभीर आरोप
हमारी मीडिया टीम ने मौके पर पहुंचकर जब अभिभावकों, छात्रों और ग्रामीणों से बात की, तो लगभग हर किसी ने यही शिकायत दोहराई कि दालू राम कमार महीनों तक अनुपस्थित रहते हैं और जब भी आते हैं तो शराब के नशे में मिलते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इसकी लिखित शिकायत संकुल केन्द्र प्रभारी पाल सिंह ध्रुव (चरौदा) तथा बीईओ कार्यालय छुरा को भी दी गई है। बावजूद इसके प्रशासन ने आज तक कोई सख्त कदम नहीं उठाया।
शाला समिति अध्यक्ष का आरोप
शाला प्रबंधन समिति (एसएमसी) के अध्यक्ष इस्सा राम नेताम ने स्पष्ट शब्दों में कहा— “मैं वर्तमान में शाला समिति के प्रबंधन अध्यक्ष के पद पर पदस्थ हूं। मेरे कार्यकाल के दौरान प्रभारी प्रधान पाठक दालू राम कमार की उपस्थिति महीने में मात्र चार से पाँच दिन ही रहती है। जब भी वे स्कूल आते हैं तो नशे की हालत में रहते हैं। इसकी शिकायत हम विधायक, कलेक्टर और बीईओ कार्यालय में कई बार कर चुके हैं। लेकिन अब तक हमारी शिकायत पर ध्यान नहीं दिया गया।”
राजिम विधानसभा में उपेक्षित शिक्षा का सवाल
यह पूरा मामला राजिम विधानसभा क्षेत्र का है। विधानसभा के अंतिम छोर पर स्थित यह गांव न केवल बुनियादी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है बल्कि शिक्षा व्यवस्था की बदहाली ने इसे और पीछे धकेल दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि विधानसभा में विकास और शिक्षा की बातें तो होती हैं, लेकिन सीमा से सटे इन गांवों की समस्याओं की ओर कभी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता।
प्रशासनिक चुप्पी पर उठ रहे सवाल
यहां के ग्रामीण, पालक और शाला समिति के सदस्य बार-बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन प्रशासनिक चुप्पी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी जानबूझकर हो रही है? या फिर शिकायतों को दबाने की कोशिश की जा रही है?
बीईओ का जवाब: जांच टीम गठित
इस मामले में जब हमारी टीम ने विकास खण्ड शिक्षा अधिकारी (BEO) किशुन मतावाले से संपर्क किया तो उन्होंने बताया— “उक्त विषय में जांच टीम गठित कर दी गई है। जांच रिपोर्ट आते ही आगे की कार्रवाई के लिए उच्च कार्यालय भेज दी जाएगी।”
ग्रामीणों की मांग
ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा है कि यदि शीघ्र ही कार्रवाई नहीं हुई तो वे सामूहिक आंदोलन करेंगे। उनकी प्रमुख मांगें हैं—
- दालू राम कमार को तत्काल हटाकर किसी जिम्मेदार प्रधान पाठक की नियुक्ति की जाए।
- बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो इसके लिए वैकल्पिक शिक्षक व्यवस्था की जाए।
- प्रशासन जांच कर दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करे।