दिल्ली : देश की सबसे बड़ी अदालत, सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को एक हैरान कर देने वाली घटना सामने आई। सुनवाई के दौरान एक 71 वर्षीय वकील ने कथित तौर पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बी. आर. गवई की ओर जूता फेंकने की कोशिश की और जोर-जोर से नारेबाजी की।
Bihar assembly elections: 2025 के महासंग्राम का आगाज़ आज, चुनाव आयोग करेगा तारीखों का ऐलान
कोर्ट रूम में मची अफरा-तफरी
यह घटना सुबह करीब 11:35 बजे कोर्ट रूम नंबर 1 में हुई, जहाँ CJI गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन की पीठ मामलों की सुनवाई कर रही थी। वकील की पोशाक पहने आरोपी राकेश किशोर नाम के व्यक्ति ने अचानक डायस (जज के आसन) के पास पहुँचकर अपना जूता निकाला और CJI की तरफ उछालने की कोशिश की।
कोर्ट रूम में मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने तुरंत हरकत में आते हुए वकील को पकड़ लिया और अदालत कक्ष से बाहर निकाल दिया।
‘सनातन’ टिप्पणी को लेकर नाराजगी
सुरक्षाकर्मियों द्वारा बाहर निकाले जाने के दौरान आरोपी वकील ने चिल्लाते हुए नारा लगाया, “सनातन का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान!”
प्रारंभिक जानकारी के अनुसार, इस हमले की कोशिश की वजह CJI गवई की हाल ही में एक मामले (मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की क्षतिग्रस्त मूर्ति की पुनर्स्थापना) की सुनवाई के दौरान की गई कुछ टिप्पणियाँ बताई जा रही हैं। उन टिप्पणियों को लेकर सोशल मीडिया पर काफी विवाद और हिंदूवादी संगठनों ने नाराजगी जताई थी। हालांकि, बाद में CJI ने स्पष्ट किया था कि वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं और उनकी टिप्पणियों को गलत तरीके से पेश किया गया था।
CJI रहे शांत, सुनवाई रखी जारी
इस अप्रत्याशित हंगामे के बावजूद, चीफ जस्टिस बी. आर. गवई शांत और संयमित बने रहे। उन्होंने इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी और अदालत में मौजूद अन्य वकीलों से अपनी दलीलें जारी रखने को कहा।
PTI के अनुसार, CJI गवई ने टिप्पणी की, “इन सब बातों से विचलित मत होइए। हम विचलित नहीं हैं। इन बातों का मुझ पर कोई असर नहीं पड़ता।”
पुलिस ने वकील को छोड़
सुरक्षाकर्मियों ने आरोपी वकील राकेश किशोर को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की, लेकिन बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया। सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल ने इस मामले में कोई कानूनी कार्रवाई या केस दर्ज करवाने से इनकार कर दिया। आरोपी के पास से एक नोट भी बरामद हुआ, जिसमें ‘सनातन धर्म का अपमान नहीं सहेगा हिंदुस्तान’ लिखा था। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) और अन्य वकीलों के संगठनों ने इस घटना की कड़ी निंदा की है।
There is no ads to display, Please add some




