समस्या का समाधान नहीं हुआ तो होगा आंदोलन
कोण्डागांव (गंगा प्रकाश) । किसानों के धान विक्रय से सम्बन्धित समस्याओं का जल्द से जल्द समाधान करने विषयक और महामहिम राज्यपाल एवं मुख्य मंत्री छत्तीसगढ़ शासन को सम्बोधित एक ज्ञापन को जिला कलेक्टर जनदर्षन, जिला कोण्डागांव के माध्यम से कम्युनिश्ट पार्टी ऑफ इंडिया जिला परिशद् कोण्डागांव के द्वारा 25 नवम्बर को सौंपा गया है।
सौंपे गए ज्ञापन में लेख किया गया है कि जिले के विभिन्न ग्रामों में निवासरत किसानों से उनके द्वारा खरीफ मौसम में उगाए गए धान फसल का गिरदावरी नहीं होने एवं वनाधिकार प्रपत्र धारक किसानों का धान विक्रय हेतु पंजीयन नहीं होने जैसी षिकायतें कम्युनिश्ट पार्टी ऑफ इंडिया जिला परिशद् कोण्डागांव संभाग बस्तर छत्तीसगढ़ को निरंतर प्राप्त हो रही है। धान फसल का गिरदावरी नहीं होने एवं धान विक्रय हेतु पंजीयन नहीं होने से वनाधिकार प्रपत्र धारक किसानों के अत्यधिक परेषान रहने की सूचनाएं भी, प्राप्त हो रही है। जिले के विभिन्न ग्रामों में निवासरत किसानों से उनके द्वारा खरीफ मौसम में उगाए गए धान फसल का गिरदावरी नहीं होने एवं वनाधिकार प्रपत्र धारक किसानों का धान विक्रय हेतु पंजीयन नहीं होने जैसे गम्भीर मामलों को संज्ञान में लाने हेतु ही सी.पी.आई.जिला परिशद् कोण्डागांव के द्वारा विनम्रतापुर्वक यह ज्ञापन जिला कलेक्टर कोण्डागांव, के माध्यम से प्रेशित किया जाकर उम्मीद किया जा रहा है कि किसानों की गम्भीर समस्या का समाधान जल्द से जल्द किया जाएगा। यदि मांगों पर शासन-प्रशासन ने गंभीरतापुर्वक विचार नहीं किया, तो कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, जिला परिषद कोण्डागांव, विषाल जन समर्थन के साथ व्यापक जनांदोलन चलाने के लिए बाध्य होगी, जिसकी पूर्ण जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
उपरोक्त ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान गिरदावरी एवं पंजीयन नहीं होने से जिले के तमाम किसानों को धान बेचने में हो रही गम्भीर समस्या का समाधान जल्द से जल्द करने की मांग करने के साथ ही सीपीआई जिला सचिव कोण्डागांव शैलेश ने कहा कि वर्तमान में जिस तरह जिले के विभिन्न ग्रामों के किसान गिरदावरी एवं पंजीयन नहीं होने, रकबा में त्रुटि को लेकर जिस तरह तहसील, वन विभाग से लेकर जिला कार्यालय तक के चक्कर काटते और निराश होकर लौटते नजर आ रहे हैं, जोकि एक गम्भीर स्थिति है। गम्भीर इसलिए क्योंकि धान को नहीं बेच पाने पर धान की फसल लेने के लिए लेम्प्स/बैंक से लिए गए ऋण की चुकता कैसे कर सकेंगे ? यदि किसानों की चिंता का समाधान समय पर नहीं हुआ और किसी चिंता में डूबे किसान ने आत्महत्या कर लिया तो इसकी जिम्मेदारी किसकी होगी ? यह मनगढ़ंत बात नहीं है, ऐसा ही कुछ कोण्डागांव जिले के तहसील बड़ेराजपुर के ग्राम में कुछ वर्श पुर्व हो भी चुका है, जिसमें एक आदिवासी किसान ने आत्महत्या कर लिया था। षायद जिला प्रषासन कोण्डागांव उस गम्भीर मामले को भुल चुकी है। वहीं जिले सहित राज्य में यह भी देखने में आ रहा है कि ऐन किसानों से धान खरीदने के लिए आवष्यक रकबा जांच किए जाने, गिरदावली, पंजीयन करने आदि प्रक्रिया को छोड़कर शासन- प्रशासन के जनप्रतिनिधिगण आधिकारी-कर्मचारीगण बस्तर आलम्पिक सहित अन्य आयोजनों में व्यस्त हैं। शासन- प्रशासन के जनप्रतिनिधिगण आधिकारी-कर्मचारीगण के ऐसे व्यवहार को देखकर ऐसा प्रतित होता है कि शासन- प्रशासन के द्वारा जानबुझकर किसानों की अनदेखी किसी खास रणनीति के तहत की जा रही है। सम्भवतः वह रणनीति है कि कम से कम किसानों से धान की खरीदी किया जाए।
ज्ञापन सौंपे जाने के दौरान ग्राम भतवा, मगेदा, बागबेड़ा, ओटेंडा ग्रामों के किसान एवं कम्युनिश्ट मौजुद रहे।



