फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। फिंगेश्वर विकासखंड की रेत खदानों में मनमाने स्तर पर किया जा रहा दिन रात 24 घंटे का अवैध उत्खनन एवं धड़ल्ले से किया जा रहा परिवहन को थामने में फिलहाल जिला प्रशासन का सख्त निर्देश भी रेत माफियाओं के सामने बौना साबित हो रहा है। तू डाल डाल और मैं पात पात का खेल प्रशासन एवं अवैध रेत का उत्खनन कर प्रतिदिन लाखों रूपयों की काली कमाई करने वालों के बीच निर्वाध गति से चल रहा है। फिंगेश्वर विकासखंड की तर्रा, कुरूसकेरा, चौबेबांधा, कोसमखुंटा, खुड़सा, बिड़ोरा के बाद फिंगेश्वर सूखा नदी में मेन रोड के किनारे में अवैध उत्खनन की यदा कदा कार्यवही के बाद भी अंचल में यह अवैध काम रूकने की बजाय दिन दुना रात चौगुना की दर से बढ़ता ही जा रहा है। इन धंधे में काली कमाई का फिगर इतना बड़ा है कि चोरी कर रेत बेचने वाला रेत माफिया अपने भ्रश्टाचार की चकाचौध में हर स्तर पर सेंटिग कर आगे बढ़ता जाता है। इनमें ऐसी एक भी रेत खदान उत्खनन एवं परिवहन के लिए स्वीकृत नहीं है। इन सभी खदानों पर यदा कदा छापामार कार्यवाही में भारी अनियमियता भी पाई गई। हजारों-लाखों यहां तक की विकासखंड की परसदाखुर्द रेत खदान में सीमित दिनों के अवैध खनन पर 4 करोड़ 25 हजार जैसी बड़ी राशि का मामला भी हुआ है परंतु रेत माफियों को इससे कोई खौफ अथवा फर्क नहीं पड़ता। और रेत खदानें फिर धड़ल्ले से चलने लग जाती है। बताया जाता है कि फिंगेश्वर विकासखंड में प्रतिदिन 200 से 300 हाईवा रेत उत्खनन कर परिवहन करने का कोटा रेत माफियों द्वारा निर्धारित है। यही कारण है कि एक रेत खदान में कार्यवाही होती है तो तुरंत दूसरी रेत खदान चालू हो जाती है। अवैध खनन उत्खनन एवं परिवहन का कार्यवाही निपटाकर फिर अपनी पारी आने पर खदानें शुरू हो जाती है। इस चक्र के चलते प्रतिदिन का रेत का कोटा एनकेन प्राकारेण पूरा कर लिया जाता है। और पूरे साल अंचल में अवैध रेत उत्खनन का खेल चलता रहता है। खनिज विभाग शिकायतों के इंतजार में जानबुझकर अवैध खनन की ओर से मुंह मोड़कर अपनी आर्थिक पिपासा को पूरा करते रहते है। यही हाल प्रशासन, राजस्व एवं अन्य संबंधित विभाग का है। समझा जा सकता है कि इतने बड़े आर्थिक घोटाला का स्केन्डल का चक्र कितने लोगों की आर्थिक पिपासा को पूरा करता है।
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