फॉलोअप ब्रेकिंग्स: “बिहान योजना में भीतर ही भीतर फूट! कनसिंघी संकुल की दीदी ने लगाया मानसिक दबाव में इस्तीफा देने का आरोप, जनपद सीईओ बोले- ‘जांच हुई है, अब जो सामने आ रहा वो देखा जाएगा’”
छुरा/गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। “बिहान योजना में भीतर ही भीतर फूट! बिहान योजना जो कि महिलाओं के स्वावलंबन और सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण की मिसाल मानी जाती है, वह इन दिनों गरियाबंद जिले छुरा के आदर्श संकुल संगठन कनसिंघी में भारी विवादों के घेरे में है। मामले की परतें एक के बाद एक खुल रही हैं, और अब इस विवाद ने एक और मोड़ ले लिया है। शिकायत करने वाली एक बिहान दीदी ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने दावा किया है कि यह इस्तीफा उन्होंने अपनी मर्जी से नहीं, बल्कि भारी मानसिक दबाव और संगठन के अंदरूनी षड्यंत्र के चलते दिया।

पूरा घटनाक्रम — शिकायत, खबर, और इस्तीफा
बीते दिनों ग्राम पंचायत रसेला वाट्सएप ग्रुप में बिहान दीदी द्वारा लिखित एक शिकायती पत्र सोशल मीडिया और व्हाट्सएप ग्रुपों में वायरल हुआ। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया था कि आदर्श संकुल संगठन कनसिंघी में पीआरपी, अमीर घरों की दीदियों और कुछ केडर मिलकर गरीब दीदियों का दमन कर रहे हैं। शिकायत में यह भी कहा गया था कि नौकरीपेशा और अमीर परिवार की महिलाएं समूहों में पदाधिकारी बन गई हैं, जबकि नियमों के अनुसार यह गैरकानूनी है।
इस पत्र के आधार पर मीडिया में खबर प्रकाशित हुई, जिससे हड़कंप मच गया। दूसरे ही दिन समूह की अन्य दीदियों, केडरों और जनपद पंचायत के एडीओ और बीपीएम अधिकारियों ने मिलकर शिकायत करने वाली दीदी से ‘शांति समझाइश’ के नाम पर बात की। दीदी के अनुसार, इस दौरान उनसे माफीनामा लिखवाया गया और उन्हें मानसिक रूप से इतना दबाव दिया गया कि उन्होंने इस्तीफा देना बेहतर समझा।
“इस्तीफा मेरी मर्जी से नहीं, दबाव में दिया” — दीदी का खुलासा
शिकायत करने वाली दीदी ने कहा:
“मुझसे कहा गया कि अगर मैं संगठन में रही, तो बाकी लोग छोड़ देंगे। मुझे यह बोझ झेलना मुश्किल लगा, क्योंकि मेरे कारण गरीब समूह की दीदियों को मिलने वाली 1.39 करोड़ की सहायता राशि पर असर पड़ सकता था। मैंने संगठन के हित में, मजबूरी में इस्तीफा दिया।”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि वह सन 2012 से बिहान योजना से जुड़ी हैं और कई वर्षों तक नि:स्वार्थ सेवाएं दी हैं। अब उन्हें ही संगठन से बाहर कर दिया गया।
जनपद सीईओ का बयान — “अब जो आरोप सामने आ रहा, वह देखा जाएगा”
इस घटनाक्रम पर जनपद पंचायत छुरा के सीईओ सतीश चंद्रवंशी से जब मीडिया द्वारा सवाल किए गए, तो उन्होंने कहा:
“हमारे बीपीएम और एडीओ मौके पर गए थे। भौतिक सत्यापन में यह बात सामने आई कि मामला आपसी मतभेद का है। दीदी ने माफीनामा लिखकर मामला समाप्त किया। अगर अब यह कहा जा रहा है कि माफीनामा दबाव में दिया गया है और इस्तीफा भी मानसिक दबाव में दिया गया है, तो उसे देखकर ही टिप्पणी कर पाएंगे।”
यह बयान साफ संकेत देता है कि प्रशासन इस मामले को पुनः गंभीरता से देखने को तैयार है।
आंकड़े जो संगठन की ताकत और सवाल दोनों दिखाते हैं:
- कनसिंघी संकुल में कुल पंचायतें: 15
- कुल गांव: 45
- बिहान समूह संख्या: 423
- कुल दीदी सदस्य: 4,988
- ST: 3,435
- SC: 252
- OBC: 1,244
- General: 67
- ग्राम संगठन: 29
यह विशाल ढांचा, जो महिलाओं की ताकत और उम्मीदों पर खड़ा है, क्या भीतर से दरक रहा है?
अब सवाल उठते हैं:
- क्या शिकायत करने वाली दीदी की बात सुनी गई, या उन्हें चुप करा दिया गया?
- क्या यह पूरी प्रक्रिया महिला सशक्तिकरण के सिद्धांतों के अनुरूप थी?
- क्या संगठन के भीतर सत्ता में बैठे लोगों को आलोचना स्वीकार नहीं?
- क्या माफीनामा और इस्तीफा केवल दस्तावेज हैं, या उनके पीछे कोई दबाव की कहानी है?
- क्या जिला प्रशासन निष्पक्षता से इस मामले की तह तक जाएगा?
बिहान जैसी योजना जो दीदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए है, वहां अगर एक दीदी को अपने हक की आवाज उठाने पर ही संगठन से बाहर होना पड़े — तो यह केवल एक इस्तीफा नहीं, बल्कि सैकड़ों गरीब दीदियों की आवाज़ को चुप कराने की एक कोशिश हो सकती है। यह समय है कि जिला प्रशासन इस पूरे मामले की निष्पक्ष, स्वतंत्र और पारदर्शी जांच करे। वरना यह कलंक बिहान जैसे सशक्तिकरण कार्यक्रम की आत्मा को ही घायल कर देगा।