CG:देहरादून की राष्ट्रीय रग्बी चैंपियनशिप में महासमुंद की चांदनी यादव का धमाकेदार चयन, गांव से निकल बनाई अलग पहचान
महासमुंद (गंगा प्रकाश)। देहरादून की राष्ट्रीय रग्बी :चैंपियनशिप: “जहां चाह, वहां राह” – इस कहावत को चरितार्थ कर दिखाया है महासमुंद जिले की ग्रामीण छात्रा चांदनी यादव ने, जिनका चयन देहरादून, उत्तराखंड में आयोजित होने वाली राष्ट्रीय रग्बी सेवन्स चैंपियनशिप 2025 के लिए हुआ है। यह प्रतियोगिता 08 से 13 जुलाई तक आयोजित होगी। चांदनी छत्तीसगढ़ बालिका टीम की सदस्य के रूप में राज्य का प्रतिनिधित्व करेंगी। उनके चयन से पूरे बेलसोंडा ग्राम और विद्यालय परिवार में उत्साह की लहर दौड़ गई है।

चांदनी यादव शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बेलसोंडा की कक्षा 10वीं की छात्रा हैं। उनका चयन 22 जून को बिलासपुर में आयोजित राज्य स्तरीय रग्बी प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन के आधार पर हुआ। उनकी रग्बी यात्रा आसान नहीं रही। सीमित संसाधनों और ग्रामीण परिवेश में रहकर उन्होंने अपने हौसले और मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है।
चांदनी यादव के पिता सुरेश यादव एक साधारण किसान हैं। वे बेटी की सफलता पर गर्व करते हुए कहते हैं – “बेटी ने गांव का नाम रोशन कर दिया। हमें उम्मीद थी कि वह कुछ अलग करेगी, लेकिन राष्ट्रीय टीम तक पहुंचना हमारे सपनों से भी बड़ा है।”
ग्रामीण विद्यालय में रग्बी का सफर
बेलसोंडा जैसे गांव में रग्बी जैसे अंतरराष्ट्रीय खेल की मौजूदगी कुछ साल पहले तक किसी ने नहीं सोची थी। लेकिन छत्तीसगढ़ क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत खेल एवं युवा कल्याण विभाग ने रग्बी सामग्री प्रदाय कर इस खेल को विद्यालय स्तर पर शुरू करवाया। विद्यालय की व्यायाम शिक्षिका इंद्राणी भास्कर ने चांदनी सहित दर्जनों लड़कियों को रग्बी के गुर सिखाए। विद्यालय परिसर और मिनी स्टेडियम बेलसोंडा में अभ्यास सत्र के दौरान उन्होंने खिलाड़ियों के फिटनेस, स्पीड, पासिंग, टैकलिंग और टीमवर्क पर लगातार मेहनत कराई। आज उसका परिणाम सामने है।
व्यायाम शिक्षिका इंद्राणी भास्कर बताती हैं – “शुरुआत में चांदनी बहुत संकोची थी, पर उसके अंदर एक लड़ाकू जज़्बा था। हमने देखा कि वह मैदान में कभी हार मानने वाली नहीं है। उसी आत्मविश्वास और कड़ी मेहनत ने उसे राष्ट्रीय स्तर तक पहुंचा दिया।”
विद्यालय और जिला प्रशासन का समर्थन
चांदनी के चयन की खबर मिलते ही खेल अधिकारी डॉ. अयाज़ अहमद खान, जिला शिक्षा अधिकारी विजय कुमार लहरें, सहायक क्रीड़ा अधिकारी अंजलि बरमाल, विकासखंड शिक्षा अधिकारी लीलाधर सिंहा, सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी हिना ढालेन, प्राचार्य शोभा सिंह देव समेत पूरे बेलसोंडा स्टाफ – हेमलता ठाकुर, राजकुमारी पटेल, जगदीश सिंहा, रुक्मणि साहू, हेमराज साहू, अश्वनी शर्मा, डॉ. सुनील कुमार भोई और अन्य शिक्षकों ने चांदनी को शुभकामनाएं दीं। सभी का कहना था कि चांदनी की यह उपलब्धि न सिर्फ स्कूल, बल्कि पूरे महासमुंद जिले के लिए गर्व का विषय है।
लड़कियों के लिए प्रेरणा बनी चांदनी
आज जब अधिकांश ग्रामीण बेटियों को पढ़ाई और खेल में आगे बढ़ने से रोका जाता है, वहीं चांदनी जैसे उदाहरण साबित करते हैं कि बेटियां अगर ठान लें तो किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। विद्यालय की छात्राओं में चांदनी को लेकर खास उत्साह है। साथी छात्रा नीलम साहू कहती हैं – “चांदनी दीदी हमारे लिए आदर्श हैं। अब हम भी रग्बी और एथलेटिक्स में मेहनत कर राष्ट्रीय स्तर पर जाने का सपना देख सकते हैं।”
खेल विभाग की योजनाओं का असर
खेल एवं युवा कल्याण विभाग की क्रीड़ा प्रोत्साहन योजना से ग्रामीण स्कूलों में खेल संस्कृति का विकास हो रहा है। जहां पहले कबड्डी, खो-खो और एथलेटिक्स तक सीमित गतिविधियां थीं, वहीं अब रग्बी, हैंडबॉल, हॉकी, नेटबॉल जैसे खेलों में भी छात्र-छात्राएं आगे आ रहे हैं। चांदनी के चयन से यह साबित होता है कि यदि उचित खेल सामग्री, प्रशिक्षक और प्रोत्साहन मिले तो ग्रामीण प्रतिभाएं किसी से कम नहीं हैं।
भविष्य की तैयारी
देहरादून में होने वाली राष्ट्रीय चैंपियनशिप के लिए चांदनी यादव ने अपनी तैयारी और कड़ी कर दी है। सुबह और शाम के अभ्यास सत्र में उनकी कोचिंग तेज कर दी गई है। चांदनी कहती हैं – “मैं छत्तीसगढ़ के लिए गोल्ड मेडल लाना चाहती हूं। यह सिर्फ मेरा सपना नहीं, पूरे गांव और स्कूल का सपना है।”
👉 चांदनी की यह कहानी हर उस बेटी और हर उस माता-पिता को प्रेरित करती है जो गांवों से खेल मैदान तक पहुंचने का सपना देख रहे हैं।