गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। सुप्रीम कोर्ट के सख्त एवं स्पष्ट निर्देश के बाद भी पराली जलाने वालों पर प्रशासन द्वारा किसी भी प्रकार की कार्यवाही नहीं किए के कारण पिछले सप्ताह भर से पूरे अंचल में बोर द्वारा रबी उत्पादन करने की तैयारी कर रहे किसान बेखौफ खेतों में धड़ल्ले से पराली जला रहे हैं। शुरू में रात में पराली जलाई जा रही थी क्योंकि प्रशासन के पराली न जलाने की चेतावनी का डर था परंतु पराली जलाने पर पर किसी भी प्रकार की कार्यवाही न होता देख इन दिनों खुलेआम दिन में भारी पैमाने में पराली जलाई जा रही है। फिंगेश्वर-राजिम में चारों ओर लगभग सभी गांवों में बोर-ट्यूबवेल के सहारे हजारों एकड़ में रबी फसल लगाने की तैयारी चल रही है। यही कारण है कि खरीफ फसल का पैरा कचरा खेत में पड़ा है जिसे साफ करने के उद्देश्य से किसान पराली जलाकर खेत साफ कर रहे हैं अंचल के पशुपालकों ने बताया कि धान कटाई के बाद खेतों में धान कटाई के बाद खेतों में पराली जलाने का क्रम लगातार बढ़ रहा है। रबी फसल लेने वाले किसानों ने जुताई से पहले पराली जलाना शुरू कर दिया है। ठंड और कोहरे के मौसम में इससे वायु प्रदूशण तेजी से बढ़ रहा है। एक किसान के बाद अन्य किसान भी यह प्रवृत्ति अपना रहे है। इससे पशुओं के चारे की कमी और खेतों की उत्पादकता पर नकारात्मक असर पड़ने की आशंका बढ़ गई है। समय की बचत, मजदूरों की कमी और मशीनों पर अधिक निर्भरता के कारण किसान पंजाब-हरियाणा जैसी पराली जलाने की प्रवृत्ति अपनाने लगे हैं। रात में भी कई खेतों में आग लगती देखी जा रही है। इस बीच भैंसातरा-कौंदकेरा के मध्य दोपहर लगभग 1 बजे किसानों ने खेतों में पराली जलाई। आग की लपेटें भैंसातरा के घरों के करीब तक पहुंच गई। स्थिति गंभीर होने पर सरपंच प्रतिनिधि जितेन्द्र साहू, वार्ड पंच गौतम साहू, हंशु साहू, गोपाल साहू, मिथलेश धु्रव और राजा साहू ने तुरंत राजिम नगर के फायर बिग्रेड को सूचना दी। दमकल वाहन मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों की मदद से आग को नियंत्रित किया गया। शासन द्वारा पराली जलाने पर रोक लगाई गई है, लेकिन यह जमीन पर प्रभावी नहीं दिख रही। अधिकांश किसान खुलेआम पराली जला रहे है। राजिम-फिंगेश्वर तहसील की निगरानी टीमें भी कहीं दिखाई नहीं दे रही हैं, जिससे किसी पर जुर्माना नहीं लगाया जा सका। ग्राम पंचायत कौंदकेरा की सरपंच राधिका मनोज यादव ने बताया कि गांव में पराली न जलाने को लेकर मुनादी कराई गई है। किसी व्यक्ति द्वारा पराली जलाते पाए जाने पर 5 हजार रूपए का जुर्माना लगाया जाएगा। परंतु इसके लिए प्रशासन का सहयोग जरूरी है। इधर चैतरा-सेंदर में भी किसानों ने पराली जलाना शुरू कर दिया है। अभी यह प्रारंभिक स्थिति है। अगर प्रशासन सक्रिय होता है, पराली जलाने पर सख्त कार्यवाही करता है तो 75 प्रतिशत पराली जलने से रोका जा सकता है। पशु पालकों ने भी इस प्रकार अंधाधुंध पराली जलाने पर गहरा रोश व्यक्त करते हुए कहा कि इससे पशुचारा का संकट पैदा होगा और पशुओं को बेसहारा खुलेआम सड़कों पर आवारा छोड़ दिया जाता है।
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