छुरा (गंगा प्रकाश)। तहसील कार्यालय छुरा में आवक-जावक शाखा की कार्यप्रणाली पर सवालों का तूफ़ान तब और तेज हो गया जब लगातार दो वीडियो सामने आए। एक वीडियो में विभागीय कर्मचारी ईश्वर साहू अपने डेस्क पर बैठे-बैठे मोबाइल फ़ोन में मशगूल दिख रहे हैं, जबकि आवेदक आवेदन जमा करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे हैं। दूसरा वीडियो खुद एक पीड़ित किसान का है, जिसमें वह खुलकर आरोप लगाते हुए बताता है कि आवक-जावक शाखा का कर्मचारी न सिर्फ़ आवेदन लेने में अनदेखी कर रहा है, बल्कि जानबूझकर उसका काम रोक रहा है।
दोनों वीडियोज़ ने मिलकर तहसील कार्यालय की वास्तविकता उजागर कर दी है और प्रशासन की संवेदनहीनता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
रकबा सुधार का आवेदन रोकने का गंभीर आरोप – सीधे किसान की आजीविका पर असर
ग्राम दुल्ला निवासी भूपेंद्र चंद्राकर ने तहसीलदार को दिए गए आवेदन में बताया है कि उनकी पैतृक भूमि खसरा नंबर 156/1 और 171 के रकबे में त्रुटि दर्ज है, जिसे सुधरवाने के लिए उन्होंने आवेदन प्रस्तुत किया। रकबा क्रमशः 0.61 हेक्टेयर और 0.21 हेक्टेयर होना बताया गया है। इस त्रुटि के कारण भूपेंद्र चंद्राकर का किसान कोड TF4401600101251 बाधित हो रहा है और उन्हें धान बेचने में आवश्यक अनुमति नहीं मिल पा रही है।
धान खरीदी का मौसम शुरू हो चुका है, ऐसे समय में रकबा सुधार आवेदन को रोक देना किसानों के लिए आर्थिक नुकसान का सीधा कारण बन सकता है। यह स्थिति किसानों की मजबूरी को और भयावह बनाती है।
पहला वीडियो — ईश्वर साहू मोबाइल में व्यस्त, आवेदक इंतज़ार में खड़े
पहले वीडियो में देखा जा सकता है कि आवक-जावक प्रभारी ईश्वर साहू अपनी डेस्क पर बैठकर मोबाइल फोन चला रहे हैं। मेज पर कई आवेदन और दस्तावेज़ बिखरे पड़े हैं, लेकिन उनकी ओर ध्यान देने के बजाय वह मोबाइल स्क्रीन पर नजरें गड़ाए हुए हैं। उसी समय आवेदक उनके सामने मौजूद रहता है, परंतु कर्मचारी की ओर से कोई सक्रियता नहीं दिखाई देती।
यह वीडियो यह दर्शाता है कि कार्यालय में जनता की समस्याओं की ओर लापरवाही कितनी हद तक बढ़ चुकी है। सरकारी कार्यालय का यह रवैया आज भी ग्रामीणों को “चक्कर लगाने” की मजबूरी से आगे नहीं बढ़ा पा रहा।
दूसरा वीडियो — आवेदक का दर्द छलका, कहा: हम किसानों के साथ अन्याय
दूसरे वीडियो में आवेदक भूपेंद्र चंद्राकर शांत लेकिन गहरे दर्द के साथ अपना बयान देते नजर आते हैं। उन्होंने कहा— मैं अपना आवेदन लेकर तहसील गया था, पर ईश्वर साहू ने आवेदन लेने से मना कर दिया।अगर रकबा सुधार नहीं होगा तो मेरा धान खरीदी रुक जाएगी, पर कर्मचारी हमारा आवेदन आगे नहीं बढ़ा रहा।हम किसान जब तहसील जाते हैं तो उम्मीद होती है कि काम होगा, पर वहां बैठे लोग ध्यान नहीं देते। यह सीधा अन्याय है।
उनके बयान से यह साफ लगता है कि किसान प्रशासन की उदासीनता से निराश है और उसे डर है कि उसका आर्थिक नुकसान निश्चित है।
ग्रामीणों में भड़का गुस्सा — “कर्मचारी नहीं, मनमर्जी चल रही है
ग्रामीणों ने बताया कि आवक-जावक शाखा में अक्सर यह समस्या देखने को मिलती है।
उनका कहना है— कर्मचारी आवेदन लेता ही नहीं, कभी मोबाइल में व्यस्त रहता है। आवेदक से बिना वजह दुर्व्यवहार होता है। काम को कई दिनों तक बिना कारण रोका जाता है। किसान, मजदूर और बुजुर्ग बार-बार चक्कर काटते रहते हैं।
ग्रामीणों के अनुसार यह कोई एक दिन की बात नहीं, बल्कि महीनों से चल रही समस्या है। वीडियो सामने आने के बाद उनका नाराजगी का स्वर और तेज हो गया है।
सवाल प्रशासन पर भी — आखिर ऐसे कर्मचारी पर कार्रवाई क्यों नहीं?
ये दोनों वीडियो साफ दिखाते हैं कि तहसील कार्यालय में आवक-जावक शाखा किसान हित के प्रति जिम्मेदारी निभाने में विफल दिखाई दे रही है। धान खरीदी जैसे संवेदनशील समय में किसानों के आवेदन रोकना न केवल नियमों का उल्लंघन है बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था के साथ खिलवाड़ भी है।
लोगों का सवाल है— जब ऐसे वीडियो खुलेआम लापरवाही दिखा रहे हैं, तो प्रशासन अब तक कार्रवाई क्यों नहीं कर पा रहा?
क्या तहसील कार्यालय की कार्यप्रणाली को सुधारने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे?
क्या ईश्वर साहू के खिलाफ जांच होगी?
क्या किसानों के आवेदन की तत्काल सुनवाई की जाएगी?
इन सभी सवालों का जवाब अब प्रशासन को देना होगा।
ग्रामीणों की मांग — तत्काल जांच और कार्यवाही हो
ग्रामीणों ने तहसीलदार से मांग की है कि आवक-जावक शाखा में पदस्थ कर्मचारी ईश्वर साहू के खिलाफ तत्काल विभागीय जांच की जाए। साथ ही किसानों के रुके हुए आवेदनों को प्राथमिकता से निपटाया जाए।
किसान परेशान, व्यवस्था लाचार; वीडियो ने खोल दिया सिस्टम का कच्चा चिट्ठा
दो वीडियो न सिर्फ़ एक कर्मचारी की लापरवाही उजागर करते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि तहसील स्तर पर किस तरह की मनमानी हो रही है।
यह मामला बताता है कि सुधार की तत्काल आवश्यकता है, अन्यथा किसानों की तकलीफें बढ़ती ही जाएँगी।



