गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। पैरी का पानी बोला इस बार गरियाबंद जिले की धरती ने फिर से हरियाली की चादर ओढ़ ली है — खेतों में सोने सी दमकती धान की बालियां लहरा रही हैं और किसान चैन की सांस ले रहे हैं। यह सब मुमकिन हुआ पैरी पिकअप बियर कुकदा से छोड़े गए पानी के बूंद-बूंद समर्पण और सिंचाई विभाग की सटीक योजना के चलते। खरीफ सीजन 2025 के लिए 25 जुलाई 2025 से दायीं तट नहर एवं फिंगेश्वर वितरक शाखा नहर के माध्यम से पानी छोड़ा गया था, जो अब अपने अंतिम लक्ष्य तक पहुँचकर किसानों के खेतों को जीवनदान दे चुका है।
अब जब फसलें पक चुकी हैं और किसानों को अतिरिक्त सिंचाई की आवश्यकता नहीं रही, तो किसानों की मांग को देखते हुए विभाग ने 23 अक्टूबर 2025 से नहरों का जल प्रवाह पूरी तरह बंद करने का निर्णय लिया है।

पानी की “जीवंत यात्रा” – खेत से खेत तक
सिंचाई का यह मिशन किसी आसान यात्रा से कम नहीं था। गरियाबंद जिले की नहर प्रणाली को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए विभाग की टीम ने दिन-रात मेहनत की।
इस पूरे अभियान की कमान कार्यपालन अभियंता एस. के. बर्मन के हाथों में थी, जिनके नेतृत्व में जल वितरण का हर चरण योजनाबद्ध ढंग से संपन्न हुआ। उनके साथ अनुविभागीय अधिकारी एस. के. चंदेल, युवराम सिन्हा, एम. के. पांडोरिया, सहायक अभियंता प्रतीक पटेरिया, उप अभियंता दुर्गेश सोनकर, विकास ध्रुव, स्थल सहायक नारद सिंह, आशा गुप्ता, सिद्धार्थ देवांगन और जीतेन्द्र सहित विभागीय मैदानी कर्मचारियों की टीम लगातार मैदान में डटी रही।
टीम ने यह सुनिश्चित किया कि पानी केवल मुख्य नहर तक सीमित न रहे बल्कि अंतिम छोर तक पहुंचे। इसके लिए जगह-जगह नहरों की सफाई, मरम्मत, लीकेज नियंत्रण और प्रवाह संतुलन का कार्य किया गया।
सिंचाई का “तीन मोर्चों पर विजय”
विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ सीजन के दौरान पानी की आपूर्ति निम्नानुसार की गई — फिंगेश्वर उप संभाग में कुल 13,712 हेक्टेयर क्षेत्र को सिंचाई का लाभ मिला, राजिम उप संभाग में 10,964 हेक्टेयर क्षेत्र को पानी मिला, जबकि पाण्डुका उप संभाग में 8,810 हेक्टेयर क्षेत्र सिंचित हुआ।
यानी कुल मिलाकर 33,486 हेक्टेयर क्षेत्र में फसलों ने जीवनदायी जल का स्पर्श महसूस किया।
यह केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि हजारों किसानों की मेहनत का प्रतिफल है, जिन्होंने समय पर पानी पाकर अपनी फसलों को सूखने से बचाया।

किसानों के चेहरे पर मुस्कान — “इस बार पानी ने दिया साथ”
इस बार मौसम ने भले कुछ जगहों पर रूखापन दिखाया, लेकिन सिंचाई विभाग की सक्रियता ने हालात संभाल लिए। खेतों में समय पर पानी पहुंचने से धान की फसलें भरपूर हुई हैं। किसान रामसाय निषाद बताते हैं — पिछले साल पानी देर से आया था, लेकिन इस बार समय पर सिंचाई मिली। फसल बहुत अच्छी हुई है। नहर में पानी बराबर चलता रहा।
इसी तरह किसान महिला समूह की सदस्य ने कहा — पहले खेत के किनारे पानी नहीं पहुंचता था, इस बार विभाग के लोग खुद आकर चेक करते थे। अब खेत पूरा हरा है।
किसानों की ऐसी प्रतिक्रियाएँ इस बात की गवाही देती हैं कि विभागीय निगरानी और टीमवर्क ने इस बार सिंचाई प्रणाली को जमीनी स्तर पर सफल बनाया है।
विभाग की योजना — “रबी की तैयारी शुरू”
अब जब खरीफ सीजन की सिंचाई का अध्याय समाप्त हुआ, विभाग रबी फसलों के लिए तैयारी में जुट गया है। कार्यपालन अभियंता एस. के. बर्मन ने बताया कि नहरों को साफ-सफाई और मरम्मत के लिए खाली किया जा रहा है ताकि नवंबर माह से दोबारा जल प्रवाह की योजना पर काम शुरू किया जा सके।
उन्होंने कहा — हमारा उद्देश्य है कि पानी हर किसान तक पहुंचे। इस बार टीम ने जिस समर्पण से काम किया, उसी से प्रेरणा लेकर आगे भी बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
हर बूंद का हिसाब – हर खेत तक जवाब”
गरियाबंद जिले में जल प्रबंधन का यह मॉडल एक उदाहरण बन गया है। विभाग ने जिस तरह पारदर्शिता, सामंजस्य और समयबद्धता के साथ सिंचाई की व्यवस्था की, वह आने वाले वर्षों के लिए भी दिशा तय करता है।
जहां पहले किसान पानी की कमी की शिकायत करते थे, वहीं अब वही किसान फसल कटाई की तैयारी में व्यस्त हैं। पैरी की नहरों ने खरीफ सीजन में सिर्फ खेत नहीं, उम्मीदें भी सिंचाई हैं।
अब पानी भले रुक गया हो, लेकिन खेतों में हरियाली की कहानी अभी जारी है — क्योंकि जब मेहनत और प्रबंधन साथ चलते हैं, तो धरती भी मुस्कुरा उठती है।




