गरियाबंद(गंगा प्रकाश)। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान को लेकर पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ ने पूरे प्रदेश में व्यापक अभियान छेड़ रखा है। इसी कड़ी में बुधवार को गरियाबंद जिले में संगठन के पदाधिकारियों और पत्रकारों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर भगवान दास उईके एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक जितेंद्र चंद्राकर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और गृहमंत्री विजय शर्मा के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा।
इस ज्ञापन में पत्रकारों पर बढ़ते हमलों, उत्पीड़न और बिना जांच दर्ज की जाने वाली एफआईआर की घटनाओं पर गंभीर चिंता व्यक्त की गई है। साथ ही पत्रकार सुरक्षा अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन और पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु 10 सूत्रीय ठोस सुझाव दिए गए हैं।

प्रदेशभर में एक साथ चल रहा पत्रकार सुरक्षा जागरूकता अभियान
इस अवसर पर जिलाध्यक्ष परमेश्वर यादव ने बताया कि यह ज्ञापन सौंपने की मुहिम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार यादव के नेतृत्व और निर्देशानुसार पूरे छत्तीसगढ़ में एक साथ चलाई जा रही है।
उन्होंने कहा कि – पिछले कुछ वर्षों में पत्रकारों पर लगातार हमले, उत्पीड़न और मनमाने तरीके से एफआईआर दर्ज करने की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं। कई बार सत्ता या प्रभावशाली लोगों के दबाव में पत्रकारों को डराने-धमकाने का प्रयास होता है। यह केवल पत्रकारों पर नहीं, बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर भी सीधा हमला है।
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ज्ञापन में रखी गई पत्रकार सुरक्षा की 10 महत्वपूर्ण मांगें
ज्ञापन में पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ ने पत्रकारों की सुरक्षा, गरिमा और स्वतंत्रता को बनाए रखने हेतु निम्न दस बिंदुओं पर ठोस कार्रवाई की मांग रखी —
(1) किसी भी पत्रकार पर एफआईआर दर्ज करने से पूर्व स्वतंत्र जांच की व्यवस्था की जाए, जिसमें पत्रकार संगठनों के कम से कम दो प्रतिनिधियों को शामिल किया जाए।
(2) पत्रकारों से संबंधित मामलों की जांच केवल डीएसपी रैंक या उससे ऊपर के अधिकारी द्वारा की जाए।
(3) प्रत्येक जिले में पत्रकार सुरक्षा निगरानी समिति गठित की जाए।
(4) पत्रकारों पर हमले, धमकी या उत्पीड़न की घटनाओं पर तत्काल एफआईआर दर्ज कर कठोर कार्रवाई की जाए।
(5) ड्यूटी के दौरान घायल या मृत पत्रकारों के परिवार को दोषियों से वसूली गई क्षतिपूर्ति दी जाए।
(6) पत्रकारों की सुरक्षा, आकस्मिक सहायता और स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए ‘पत्रकार संरक्षण कोष’ का गठन किया जाए।
(7) पत्रकारों पर दर्ज मामलों की समीक्षा हेतु राज्य स्तरीय पत्रकार–पुलिस समिति बनाई जाए।
(9) महिला पत्रकारों की सुरक्षा हेतु अलग प्रकोष्ठ गठित किया जाए, जो उत्पीड़न संबंधी शिकायतों पर त्वरित कार्रवाई करे।
(9) समाचार दबाने, विज्ञापन रोकने या खबर हटवाने जैसे दबाव की जांच हेतु विशेष प्रकोष्ठ बनाया जाए।
( 10) पत्रकारों पर हमलों से संबंधित मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में की जाए ताकि शीघ्र न्याय मिले।
लोकतंत्र की मजबूती के लिए पत्रकारों की सुरक्षा आवश्यक — सुनील कुमार यादव
प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार यादव, जो द जर्नलिस्ट एसोसिएशन के भी राष्ट्रीय मुख्य महासचिव हैं, ने कहा — पत्रकार लोकतंत्र की आत्मा हैं। यदि वे असुरक्षित रहेंगे तो समाज की सच्चाई जनता तक नहीं पहुंच सकेगी। हमारी यह मुहिम पूरे भारत में द जर्नलिस्ट एसोसिएशन के संयुक्त नेतृत्व में चल रही है। छत्तीसगढ़ में हमने जिला-दर-जिला अभियान शुरू किया है ताकि पत्रकार सुरक्षा अधिनियम केवल कागजों में न रह जाए, बल्कि जमीन पर भी प्रभावी रूप से लागू हो।
उन्होंने बताया कि इस संबंध में राष्ट्रीय अध्यक्ष राकेश डी. यादव के मार्गदर्शन में सभी राज्यों के पत्रकार संगठनों के बीच समन्वय स्थापित किया जा रहा है, ताकि केंद्र व राज्य सरकारों तक एक सशक्त आवाज पहुंचे और नीतिगत स्तर पर ठोस सुधार हों।

गरियाबंद जिले के पदाधिकारी रहे मौजूद
ज्ञापन सौंपने के दौरान संगठन के प्रदेश और जिला पदाधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। इनमें प्रमुख रूप से – प्रदेश कोषाध्यक्ष कुलेश्वर सिन्हा, प्रदेश मीडिया प्रभारी प्रकाश कुमार यादव, अनुशासन समिति प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष शिव भीलेपरिया, जिला अध्यक्ष परमेश्वर यादव,जिला महासचिव इमरान मेमन, जिला उपाध्यक्ष खिलेश्वर गोस्वामी, सचिव नेहरू साहू, ब्लॉक अध्यक्ष किरण साहु फिंगेश्वर, ब्लॉक उपाध्यक्ष संतोष सोनकर (फिंगेश्वर), डोमन साहू, धर्मेंद्र यादव, लीलाराम वर्मा एवं टिकेश्वर हरपाल सहित अनेक पत्रकार मौजूद थे।
सभी पदाधिकारियों ने एक स्वर में कहा कि जब तक पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं की जाएगी, तब तक समाज में सच्ची और निष्पक्ष पत्रकारिता संभव नहीं है।
पदाधिकारियों के विचार
शिव भीलेपरिया, प्रदेश उपाध्यक्ष (अनुशासन समिति) ने कहा — पत्रकारों पर झूठे प्रकरण बनाना लोकतंत्र के लिए खतरा है। हम यह मांग करते हैं कि किसी भी पत्रकार के खिलाफ कार्रवाई से पहले स्वतंत्र जांच अनिवार्य की जाए। पत्रकार सत्य का प्रहरी है, अपराधी नहीं।
कुलेश्वर सिन्हा, प्रदेश कोषाध्यक्ष ने कहा — पत्रकारों की सुरक्षा और सम्मान के लिए ‘पत्रकार संरक्षण कोष’ की स्थापना समय की मांग है। यह कोष आकस्मिक सहायता, स्वास्थ्य सुरक्षा और संकट की घड़ी में पत्रकारों के परिवार की मदद के लिए अत्यंत जरूरी है।
प्रकाश कुमार यादव, प्रदेश मीडिया प्रभारी ने कहा — कई बार सत्ताधारी या प्रभावशाली लोग खबर दबाने का प्रयास करते हैं। अब समय आ गया है कि ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानून बने और विशेष जांच प्रकोष्ठ गठित हो। प्रेस की स्वतंत्रता पर किसी तरह का अंकुश अस्वीकार्य है।
परमेश्वर यादव, जिला अध्यक्ष (गरियाबंद) ने कहा — हम पत्रकार सरकार के खिलाफ नहीं, सच्चाई के पक्ष में खड़े होते हैं। लेकिन जब सच्चाई लिखने वालों को निशाना बनाया जाता है तो यह लोकतंत्र पर हमला है। हम यह नहीं होने देंगे। यह मुहिम तब तक जारी रहेगी जब तक हर पत्रकार सुरक्षित और सम्मानित महसूस न करे।
इमरान मेमन, जिला महासचिव ने कहा — छत्तीसगढ़ में पत्रकार सुरक्षा अधिनियम लागू होने के बावजूद घटनाएं थम नहीं रही हैं। इसलिए अब इसे सख्ती से लागू करना जरूरी है। हर जिले में निगरानी समिति बने और कार्रवाई पारदर्शी हो।
खिलेश्वर गिरी गोश्वामी, जिला उपाध्यक्ष ने कहा — पत्रकार केवल खबर नहीं लिखता, बल्कि समाज की दिशा तय करता है। ऐसे में उसकी सुरक्षा सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होनी चाहिए।
नेहरू साहू, जिला सचिव ने कहा — हमारी 10 सूत्रीय मांगें पत्रकारों के अधिकारों और सुरक्षा दोनों से जुड़ी हैं। यदि सरकारें इन्हें गंभीरता से लागू करें तो पत्रकारिता को नई दिशा और ताकत मिलेगी।
राज्यभर में तेज़ी पकड़ रहा पत्रकार महासंघ का आंदोलन
इस ज्ञापन सौंपने की प्रक्रिया को केवल औपचारिकता नहीं बल्कि एक राज्यव्यापी आंदोलन की शुरुआत माना जा रहा है। पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ ने घोषणा की है कि आने वाले दिनों में राज्य के हर जिले में इसी तरह के ज्ञापन कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, ताकि सरकार को मजबूर किया जा सके कि वह पत्रकारों की सुरक्षा पर ठोस कानून और व्यवस्था बनाए।
प्रदेश अध्यक्ष सुनील कुमार यादव ने स्पष्ट कहा कि – हमारी मुहिम किसी दल या विचारधारा के खिलाफ नहीं है। यह पत्रकारों के अधिकारों और गरिमा की रक्षा का अभियान है। यदि पत्रकार सुरक्षित रहेंगे तो लोकतंत्र सुरक्षित रहेगा।
पत्रकारों के पक्ष में उठी एकजुट आवाज
कार्यक्रम के अंत में सभी उपस्थित पत्रकारों ने यह संकल्प लिया कि वे एकजुट रहकर पत्रकारों के अधिकारों की लड़ाई लड़ेंगे। इस दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि राज्य सरकार द्वारा यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई तो संगठन आगे और व्यापक आंदोलन की रूपरेखा तैयार करेगा।
ज्ञापन की एक प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय (नई दिल्ली), मुख्यमंत्री कार्यालय (रायपुर) और गृह मंत्रालय को भी प्रेषित की जाएगी। साथ ही पत्रकार महासंघ छत्तीसगढ़ के जिला कार्यालय को इसकी प्रति भेजी जाएगी ताकि आगे की मॉनिटरिंग और समन्वय किया जा सके।




