गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। “रक्तदान – महादान”की कहावत को गरियाबंद की जनता ने रविवार को एक नया आयाम दे दिया। जिला अस्पताल परिसर में आयोजित विशाल रक्तदान शिविर में लोगों का उत्साह ऐसा उमड़ा कि पूरा माहौल किसी धार्मिक पर्व या जनआंदोलन जैसा प्रतीत हो रहा था। सुबह से ही रक्तदाताओं की लंबी कतारें लग गईं और अस्पताल का हर कोना सेवा और समर्पण की भावना से सराबोर हो गया।

202 से अधिक लोगों ने किया रक्तदान, आंकड़ा 250 पार होने की संभावना
आयोजकों के अनुसार सुबह से दोपहर तक ही 202 से अधिक लोग रक्तदान कर चुके थे और देर शाम तक यह आंकड़ा 250 रक्तदाताओं के पार पहुंचने का अनुमान है। यह शिविर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा देशभर में चलाए जा रहे 8000 स्थलों पर रक्तदान अभियान की श्रृंखला का हिस्सा था, जिसे गरियाबंद ब्लड डोनर ग्रुप के सहयोग से सफलतापूर्वक आयोजित किया गया।
बी.के. बिंदु बहन (प्र. पि. ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय गरियाबंद) ने कहा – “रक्तदान सबसे बड़ा मानव सेवा का कार्य है। यह न केवल दूसरों की जिंदगी बचाता है, बल्कि रक्तदाता के शरीर और मन दोनों को ऊर्जा देता है। आज गरियाबंद के लोगों ने जो उत्साह दिखाया है, वह पूरे समाज के लिए प्रेरणादायी उदाहरण है।”
गरियाबंद ब्लड डोनर ग्रुप के संचालक विकास पारख ने बताया – “हमारा सपना है कि जिले में कभी भी किसी मरीज को खून की कमी से जान न गंवानी पड़े। आज यहां का उत्साह देखकर लगता है कि अब यह सपना हकीकत बन रहा है। यह आंदोलन पूरे प्रदेश तक फैलना चाहिए।”
पूर्व पालिका अध्यक्ष गफ्फू मेमन ने किया रक्तदान
कार्यक्रम की शुरुआत में सबसे पहले रक्तदान करने वालों में पूर्व पालिका अध्यक्ष गफ्फू मेमन भी शामिल रहे। रक्तदान के बाद उन्होंने कहा – “रक्तदान सबसे बड़ी इंसानियत की सेवा है। त्यौहार केवल मिठाई बांटने या पूजा तक सीमित नहीं होना चाहिए, बल्कि समाज और जरूरतमंदों के लिए योगदान करने का अवसर होना चाहिए। आज गरियाबंद की जनता ने साबित कर दिया है कि यहां के लोग मानवता के असली पुजारी हैं।”

युवाओं का जोश काबिले-तारीफ
युवा रक्तदाता ऋषिकांत मोहरे ने कहा – “पहली बार जब मैंने रक्तदान किया था तो थोड़ी घबराहट हुई थी, लेकिन अब यह मेरे जीवन का हिस्सा बन गया है। यह सोचकर ही गर्व होता है कि मेरे खून की कुछ बूंदें किसी की जिंदगी बचा सकती हैं। आज का माहौल बिल्कुल पर्व जैसा है।”
प्रेस क्लब अध्यक्ष और समाजसेवी ज्ञानेश तिवारी ने कहा – “रक्तदान केवल ज़रूरत पड़ने पर किया जाने वाला काम नहीं होना चाहिए, बल्कि इसे हर युवा को जीवनशैली का हिस्सा बनाना चाहिए। एक यूनिट रक्त किसी के लिए जीवनदान है। गरियाबंद की यह पहल प्रदेश के लिए एक मिसाल है और मैं चाहता हूं कि यह परंपरा हर साल और बड़े स्तर पर आगे बढ़े।”
मेले का रूप ले गया आयोजन
सुबह से ही अस्पताल का माहौल बिल्कुल मेले जैसा था। महिलाएं, युवा और बुजुर्ग – हर वर्ग के लोग रक्तदान के लिए उमड़े। कई परिवार सामूहिक रूप से रक्तदान करने पहुंचे। कार्यक्रम में आए रक्तदाताओं को सम्मान-पत्र और पौधा भेंट कर सम्मानित किया गया।
गरियाबंद ने रचा इतिहास
गरियाबंद में रविवार का दिन मानवता और सेवा का पर्व बनकर दर्ज हुआ। जिस तरह से जनता ने रक्तदान को एक त्यौहार और आंदोलन का रूप दे दिया, वह पूरे प्रदेश ही नहीं, पूरे देश के लिए एक संदेश है –
रक्तदान ही सच्चा दान है, और रक्तदाता ही समाज का सच्चा नायक है।




