फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र फिंगेश्वर, गरियाबंद में मशरूम की खेती का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में मशरूम के वैज्ञानिक खेती करने के विभिन्न तरीकों के बारे में न सिर्फ जानकारी दी जा रही है बल्कि प्रेरित भी किया जा रहा है। मशरूम की खेती से बन सकते है आत्मनिर्भर, कम समय और कम लागत में मिलेगा बेहतर उत्पाद, अभी के समय में सब्जीयों एवं मशरूम की खेती में काफी मुनाफा है। पारम्परिक खेती से हटकर किसानों को अधिक मुनाफे की खेती की तरफ ध्यान देना चाहिए। मशरूम ईकाई लगाने का संकल्प लिया, मशरूम केन्द्र के सहा. प्रोफेसर डॉ. अशोक कुमार कोसरिया ने बताया कि इस प्रशिक्षण कार्यकम में कोई भी व्यक्ति, छात्र, किसान एवं काई भी किसी भी क्षेत्र का व्यक्ति आकर मशरूम की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते है। अगर वह अच्छा व्यवसाय करना चाहे तो उसकी तकनीकी सहायता और विशेषज्ञ भी प्रदान किये जायेगे। सर्दियों के दौरान गरियाबंद इलाके में आयस्टर मशरूम, पैरा मशरूम, बटर मशरूम जैसे मशरूम कि किस्मों का उत्पादन शुरू किया जा सकता है। 10 किलो सुखे भुसे को 100 लीटर पानी में 400 ग्राम चुना के साथ भिगो कर रात भर छोड़ना होता है। सुबह इसे दबाकर नमी के साथ सुखाना चाहिए, फिर उसे 10 बराबर भागे में बाटकर, 1 किलो मशरूम बीज (स्पॉन) में मिलाया जाता है और पॉलीथीन (12/18) बैग में डालकर एक ऐसी जगह रखा जाता है, जहां सीधी धुप न हो, करीब 15-20 दिनों में सफेदी दिखने लगती है, जिसके बाद पॉलीथीन बैग को छेद कर उसमें पानी देना शुरू किया जाता है, जिससे मशरूम विकसित होने लगता है।
जाने कितना होता है फायदा
एक बार मशरूम प्राप्त होने के बाद पुनः दुसरी बार पानी डालना रहता है जिसमें 10 दिन की अंतराल में दूसरी बार मशरूम प्राप्त कर सकते है, इस प्रकार एक बैंग में लगभग 3 बार मशरूम की तुडाई कर सकते है। एक बैंग में लगभग 900 ग्राम मशरूम प्राप्त कर सकते है। बाजार में आयस्टर मशरूम की किमत लगभग 200 रू. प्रति किलो रहता है। एक मशरूम बैग बनाने में लगभग 20 से 40 रू. ही आती है।
कृषि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ गीरिजेश शर्मा ने कहा कि कृषि विद्यार्थी के लिए मशरूम उत्पादन तकनीक सीखना यह एक कुशल व्यक्तित्व को दर्शाता है मशरूम के बारे में कृषि विद्यार्थी को यहां की विषय-विशेषज्ञ से ज्यादा से ज्यादा फायदा लेना चाहिए क्योकि मशरूम की खेती सीखना वाकई में फायदे का सौदा है। किसान भाईयों को भी मशरूम कि खेती को अपनाना चाहिए क्योकि अंधेरे कमरे में किसान कर सकते है इस फसल की खेती- बजार में रहती है बड़ी डिमाड।