CG: गरियाबंद के जंगलों में नक्सलियों को बड़ा झटका – तीन जगहों पर डंप किया गया राशन और दैनिक उपयोग का सामान बरामद, पुलिस ने बढ़ाया दबाव
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गरियाबंद जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान ने एक बार फिर बड़ी सफलता हासिल की है। जिले के घने जंगलों में सुरक्षाबलों द्वारा की जा रही सर्चिंग के दौरान नक्सलियों द्वारा छुपाकर रखे गए भारी मात्रा में दैनिक उपयोग की सामग्री और राशन बरामद किए गए हैं। इस कार्रवाई से नक्सलियों को बड़ा झटका लगा है और साफ संकेत मिल रहे हैं कि पुलिस का दबाव अब उन इलाकों में भी तेज हो गया है, जिन्हें वे लंबे समय से सुरक्षित ठिकाना मानते थे।

जानकारी के अनुसार, गरियाबंद पुलिस, कोबरा 207 वाहिनी और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम को आसूचना प्राप्त हुई थी कि इंदागांव एरिया के जंगलों में नक्सलियों की गतिविधियां देखी गई हैं। वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर 10 जुलाई 2025 को पुलिस और सुरक्षाबलों की टीम थाना मैनपुर एवं थाना जुगाड़ क्षेत्र के जंगलों में सर्चिंग के लिए रवाना हुई। अभियान के दौरान सर्चिंग टीम को नक्सलियों द्वारा तीन अलग-अलग स्थानों पर डंप किया गया राशन और दैनिक उपयोग का सामान बरामद हुआ। बरामद सामग्री में चावल, दाल, तेल, नमक, मसाले, बैटरी, पिट्ठू बैग, जूते-चप्पल, टॉर्च, प्लास्टिक के बर्तन, सोलर प्लेट, मच्छरदानी, रस्सी, कपड़े और अन्य दैनिक उपयोग की वस्तुएं शामिल हैं।
नक्सलियों की रणनीति पर बड़ा सवाल
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार का डंप बरामद होना दर्शाता है कि नक्सली अब अपने ठिकानों को सुरक्षित नहीं मान पा रहे हैं। पहले जहां वे इन जंगलों में लंबे समय तक डेरा डालते थे, अब तेजी से बदलती पुलिस रणनीति और लगातार हो रही सर्चिंग के कारण वे अपने सामान को अलग-अलग स्थानों पर छुपाने के लिए मजबूर हैं। बरामद सामान यह भी संकेत देता है कि नक्सली लंबे समय तक इलाके में टिकने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन सुरक्षाबलों की सतर्कता ने उनकी योजना पर पानी फेर दिया।
गरियाबंद पुलिस की माओवादियों से अपील
बरामदगी के बाद गरियाबंद पुलिस ने माओवादियों से अपील की है कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। पुलिस ने कहा कि शासन की आत्मसमर्पण नीति माओवादियों के लिए सुनहरा अवसर है, जहां वे अपने परिवार के साथ सामान्य, सुखमय और सम्मानजनक जीवन जी सकते हैं। गरियाबंद पुलिस ने बताया कि आत्मसमर्पण के लिए माओवादी नजदीकी थाना, चौकी, कैंप या दूरभाष नंबर 94792-27805 पर संपर्क कर सकते हैं।
आत्मसमर्पण के बाद सुविधाएँ
पुलिस के अनुसार, आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों को शासन की पुनर्वास योजना के तहत कई सुविधाएं दी जाती हैं। इनमें परिवार के साथ सुरक्षित जीवन, स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण, निःशुल्क स्वास्थ्य सुविधा, आवास की सुविधा और शासकीय नौकरी का लाभ शामिल है। साथ ही, आत्मसमर्पण करने वालों को समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर भी मिलता है।
सुरक्षाबलों की ताबड़तोड़ कार्रवाई से घबराए नक्सली
बीते कुछ महीनों में गरियाबंद, मैनपुर, जुगाड़ और मरौदा इलाके में पुलिस व सीआरपीएफ की संयुक्त कार्रवाई ने नक्सलियों की कमर तोड़ दी है। लगातार हो रही सर्चिंग से नक्सली संगठन बैकफुट पर आता दिख रहा है। सूत्रों का कहना है कि नक्सली अब छोटे-छोटे समूह बनाकर जंगलों में छुपे हुए हैं और उनका नेटवर्क धीरे-धीरे कमजोर हो रहा है। पिछले महीने भी इसी क्षेत्र के जंगलों से सुरक्षाबलों ने विस्फोटक सामग्री, आईईडी बनाने का सामान, डेटोनेटर, वायर, नक्सली साहित्य, दवाईयाँ और राशन बरामद किया था।
जिले में शांति बहाली की उम्मीद
पुलिस अधीक्षक गरियाबंद का कहना है कि नक्सल उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे ऑपरेशन में स्थानीय लोगों का भी सहयोग मिल रहा है। ग्रामीणों की सूचना पर सुरक्षाबल तेजी से कार्रवाई कर रहे हैं। पुलिस ने ग्रामीणों से अपील की है कि यदि नक्सलियों की गतिविधि कहीं दिखाई दे तो तत्काल पुलिस को सूचित करें ताकि इलाके में शांति बहाली की दिशा में निर्णायक कदम उठाए जा सकें।
नक्सली हिंसा की जड़ पर प्रहार
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस तरह की बरामदगी नक्सली नेटवर्क के लॉजिस्टिक सपोर्ट सिस्टम पर सीधा प्रहार है। जब उनके पास राशन और दैनिक उपयोग का सामान नहीं रहेगा तो उनकी गतिविधियां स्वतः सीमित हो जाएंगी। यही कारण है कि गरियाबंद पुलिस और सीआरपीएफ की संयुक्त टीम अब जंगल के कोने-कोने को खंगाल रही है, ताकि नक्सलियों को रसद से काटकर मुख्यधारा में शामिल होने के लिए विवश किया जा सके।