Pakhanjoor Nagar Panchayat Dispute, छत्तीसगढ़ के पखांजूर नगर पंचायत से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां के नगर पंचायत अध्यक्ष नारायण चंद्र साहा ने 3 नवंबर को अपने लेटरहेड पर एक पत्र जारी कर अपनी पत्नी मोनिका साहा को नगर पंचायत का कार्यभार सौंप दिया। पत्र में लिखा गया है कि “मेरी अनुपस्थिति में पत्नी मोनिका साहा पूरे प्रशासनिक, वित्तीय और कार्यकारी अधिकारों के साथ नगर पंचायत की जिम्मेदारी संभालेंगी।”

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संविधान की धज्जियां उड़ने का आरोप

यह आदेश सामने आने के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने इसे संविधान और प्रशासनिक नियमों की खुली अवहेलना बताया है। पार्टी नेताओं ने कहा कि “यह कदम न केवल गलत उदाहरण पेश करता है बल्कि यह दर्शाता है कि जनप्रतिनिधि प्रशासनिक प्रक्रिया की बारीकियों से अनजान हैं।”

कांग्रेस का बयान – ‘प्रशासनिक ट्रेनिंग की जरूरत’

कांग्रेस प्रवक्ताओं ने तंज कसते हुए कहा कि “नगर पंचायत अध्यक्ष को पहले लोकतांत्रिक अधिकारों की ट्रेनिंग लेनी चाहिए। पत्नी को प्रशासनिक अधिकार देना कानूनी रूप से अमान्य है।” कांग्रेस ने राज्य सरकार और जिला प्रशासन से इस पूरे मामले की जांच की मांग की है।

पत्र में लिखा – ‘अधिकारी सम्मानपूर्वक सहयोग करें’

नारायण चंद्र साहा के लेटर में साफ लिखा गया है कि उनकी पत्नी के कार्यकाल के दौरान सभी अधिकारी उन्हें पूर्ण सहयोग और सम्मान दें। यह वाक्य सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। कई लोगों ने इस पत्र को लेकर टिप्पणी की कि यह लोकतंत्र में अजीबोगरीब उदाहरण है।

विपक्ष का निशाना – ‘लोकतांत्रिक मर्यादा का उल्लंघन’

विपक्षी नेताओं ने कहा कि यह घटना “लोकतांत्रिक मर्यादा और प्रशासनिक आचरण की सीमा का उल्लंघन” है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या कोई जनप्रतिनिधि अपने अधिकार किसी पारिवारिक सदस्य को लिखित रूप में सौंप सकता है?

प्रशासनिक जांच की संभावना

मामला तूल पकड़ने के बाद कांकेर प्रशासन ने पत्र की सत्यता की जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि यदि यह पत्र सही पाया गया तो नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी।

स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय

यह पूरा मामला अब पखांजूर और आसपास के इलाकों में चर्चा का केंद्र बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग इसे लेकर मीम्स और प्रतिक्रियाएं साझा कर रहे हैं।

स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया

पखांजूर के कुछ नागरिकों ने कहा कि “नगर पंचायत के अध्यक्ष का यह फैसला जनता का मजाक उड़ाने जैसा है। प्रशासन को इस पर तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”


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