Brekings: कदलीमुड़ा में ‘विवाद’ की वापसी: ग्रामीणों के विरोध के बावजूद विवादित सचिव देवानंद बीसी की गृह ग्राम में ताजपोशी, जिला सीईओ घिरे सवालों में
गरियाबंद/देवभोग (गंगा प्रकाश)। कदलीमुड़ा में ‘विवाद’ की वापसी: देवभोग जनपद पंचायत के ग्राम पंचायत कदलीमुड़ा में पंचायत सचिव की पदस्थापना को लेकर एक बार फिर विवाद गहरा गया है। गांव के लोग इसे ‘विवाद का पुनरागमन’ मान रहे हैं। कारण स्पष्ट है – ग्रामीणों के कड़े विरोध और चेतावनी के बावजूद जिला पंचायत सीईओ घासीराम मरकाम ने विवादों से घिरे देवानंद बीसी को उनके गृह ग्राम कदलीमुड़ा में पंचायत सचिव पद पर तैनात कर दिया है। अब गांव में बैठकें हो रही हैं, बैनर-पोस्टर छपने की तैयारी है, और मुख्यमंत्री तक शिकायत पहुंचाने की रणनीति भी बन रही है।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, देवानंद बीसी का नाम गांव में नया नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान पंचायत में पारदर्शिता खत्म हो गई थी। ग्राम पंचायत उपसरपंच कल्याण सिंह समेत 12 वार्ड पंचों ने 15 मई 2025 को देवभोग जनपद पंचायत सीईओ के समक्ष लिखित रूप से विरोध दर्ज कराया था। उनकी मांग थी कि देवानंद बीसी को गृह ग्राम में पदस्थ न किया जाए, क्योंकि इससे कार्यों की पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित होगी। लेकिन ग्रामीणों का यह विरोध जिला मुख्यालय तक पहुँचने के बावजूद अनसुना कर दिया गया।
‘सबको चौंकाने वाला आदेश’
ग्रामीणों के अनुसार, जिला पंचायत सीईओ घासीराम मरकाम का आदेश “लोकतांत्रिक भावनाओं और प्रशासनिक तर्क दोनों का अपमान” है। ग्रामीण, का कहना है,
“जिस व्यक्ति का कामकाज गांव के लोग देखना तक नहीं चाहते, उसे उनकी पंचायत की बागडोर देना क्या जनभावनाओं का अपमान नहीं?”
आगे ग्रामीणों का कहना है कि यदि देवानंद बीसी को पदस्थ किया गया तो पंचायत कार्यालय का वातावरण फिर से तनावपूर्ण होगा।
मुख्यमंत्री तक जाएगी शिकायत
अब ग्रामीणों ने तय किया है कि मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को इसकी लिखित शिकायत दी जाएगी। गांव के वरिष्ठ नागरिक ने बताया,
“हमारे गांव में विकास ठप हो जाएगा। अगर हमारी बात नहीं सुनी गई तो गांव का हर व्यक्ति आंदोलन के लिए तैयार रहेगा। हमारे हक और सम्मान की लड़ाई है यह।”
वर्तमान सचिव को हटाना ‘समझ से परे’
वहीं, इस विवाद के बीच एक और बड़ा सवाल यह खड़ा हो गया है कि वर्तमान पंचायत सचिव जितेंद्र नेताम को क्यों हटाया गया? जितेंद्र नेताम 18 अक्टूबर 2024 से कदलीमुड़ा पंचायत में कार्यरत थे और पूरे ब्लॉक में अपनी तेजतर्रार कार्यशैली के लिए पहचाने जाते हैं। ग्राम पंचायत के लोगों का कहना है कि उन्होंने बिना किसी शिकायत के ईमानदारी से कार्य किया।
पंचायत समिति के एक सदस्य ने कहा,
“जहां कोई शिकायत नहीं, वहां बदलाव क्यों? यह फैसला कहीं न कहीं संदेह पैदा करता है। कहीं व्यक्तिगत हित तो काम नहीं कर रहे?”
‘पंचायत सचिव का गृह ग्राम में पदस्थ होना नियम विरुद्ध नहीं, पर व्यवहारिक रूप से गलत’
पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के पूर्व अधिकारी का कहना है कि नियमों में पंचायत सचिव के गृह ग्राम में पदस्थापना पर प्रत्यक्ष प्रतिबंध नहीं है, लेकिन प्रशासनिक आचरण और निष्पक्षता की दृष्टि से यह उचित नहीं माना जाता। विशेषकर तब, जब पंचायत में उसके पूर्व कार्यकाल से जुड़े विवाद हों। यही कारण है कि ग्रामीणों का आक्रोश जायज प्रतीत हो रहा है।
‘विवाद की चिंगारी आंदोलन की आग न बने’
गांव के लोगों का यह भी कहना है कि कदलीमुड़ा में विकास कार्य पिछले कुछ महीनों में तेजी से हुए थे। वर्तमान सचिव जितेंद्र नेताम की मेहनत से नल जल योजना, मनरेगा मजदूरी भुगतान और पंचायत भवन मरम्मत जैसे कार्य गति पकड़े। ग्रामीणों को डर है कि अगर देवानंद बीसी की पदस्थापना रही तो ये काम रुक जाएंगे और गांव में फिर से भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद का बोलबाला होगा।
प्रशासन की चुप्पी, सवाल खड़े
पूरे मामले में जिला पंचायत सीईओ घासीराम मरकाम की तरफ से अब तक कोई सार्वजनिक बयान सामने नहीं आया है। लेकिन ग्रामीणों का सवाल है –
- क्या ग्रामीणों की भावनाओं का कोई मूल्य नहीं?
- विवादित सचिव की नियुक्ति का औचित्य क्या है?
- बिना शिकायत के कार्यरत सचिव को हटाना किस नीति के तहत हुआ?
अंतिम बात
कदलीमुड़ा में फिलहाल गांव-गांव बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। कहीं बैनर छप रहे हैं, तो कहीं सीएम निवास रायपुर जाने की योजना बन रही है। अगर प्रशासन ने जल्द ही निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया तो यह विवाद गांव की सीमाओं से निकलकर जनपद और जिला स्तर पर राजनीतिक सिरदर्द बन सकता है।