छुरा (गंगा प्रकाश)। “शिक्षा का अधिकार” सिर्फ कागजों में रह गया है — जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है। जिले के छुरा विकासखंड के ग्राम कुकदा मिडिल स्कूल में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा चुकी है। यहां कक्षा 6वीं से 8वीं तक कुल 61 बच्चे हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने के लिए सिर्फ एक ही शिक्षक मौजूद हैं।
शिक्षक देवकांत सिन्हा ने बताया कि पहले स्कूल में तीन शिक्षक पदस्थ थे, लेकिन पिछले महीने दो शिक्षकों को व्याख्याता पद पर प्रमोशन देकर दूसरी जगह भेज दिया गया। विभाग ने न तो उनके स्थान पर नए शिक्षकों की पोस्टिंग की और न ही अस्थायी व्यवस्था की। नतीजा — पूरे स्कूल की पढ़ाई ठप पड़ गई है।

एक शिक्षक, तीन कक्षा — और अनगिनत चुनौतियाँ
मिडिल स्कूल के अकेले शिक्षक देवकांत सिन्हा सुबह से लेकर स्कूल बंद होने तक तीनों कक्षाओं को एक-एक कर पढ़ाने की कोशिश करते हैं, लेकिन इतने अधिक कार्यभार के बीच गुणवत्तापूर्ण अध्यापन असंभव है।
सिन्हा ने बताया — मुझे कक्षा 6वीं, 7वीं और 8वीं को एक साथ संभालना पड़ता है। गणित, विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों में बच्चों को बुनियादी समझ देना ही मुश्किल हो रहा है। ऊपर से स्कूल के प्रशासनिक काम भी मुझ पर हैं। परीक्षा की तैयारी न के बराबर हो पा रही है।
आने वाली अर्धवार्षिक परीक्षा को लेकर वे चिंतित हैं। बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है और कोर्स अधूरा छूट गया है।
ग्रामीणों का आक्रोश, भाजपा मंडल उपाध्यक्ष पहुंचे स्कूल
गांव में जब यह खबर फैली कि बच्चों की पढ़ाई ठप्प हो चुकी है, तो ग्रामीणों ने भाजपा मंडल गरियाबंद उपाध्यक्ष गोविंद तिवारी को बुलाया। उन्होंने स्वयं स्कूल जाकर स्थिति का जायजा लिया। तिवारी ने कहा — यह बेहद चिंताजनक स्थिति है। सरकार शिक्षकों को प्रमोशन तो दे रही है, पर स्कूलों को शिक्षकविहीन छोड़ रही है। शिक्षा विभाग की यह लापरवाही बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।
उन्होंने बताया कि ग्रामीणों के साथ मिलकर इस गंभीर समस्या को लेकर क्षेत्रीय विधायक रोहित साहू को ज्ञापन सौंपा गया है।

विधायक ने दिया आश्वासन — ‘जल्द होगी शिक्षक की व्यवस्था’
विधायक रोहित साहू ने ज्ञापन मिलने के बाद कहा कि वे इस मामले को जिला कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी के संज्ञान में लाएंगे। — कुकदा मिडिल स्कूल में शिक्षकों की तत्काल नियुक्ति कराई जाएगी। किसी भी स्थिति में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी जाएगी, उन्होंने आश्वासन दिया।
शिक्षा विभाग की चुप्पी और जमीनी हकीकत में बड़ा फर्क
स्थानीय लोगों का कहना है कि विभाग को कई बार शिकायत दी गई, यहां तक कि मामला कलेक्टर के पास भी रखा गया, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
सरकारी फाइलों में “गुणवत्तापूर्ण शिक्षा” का नारा गूंजता है, पर कुकदा जैसे सैकड़ों गांवों में शिक्षा व्यवस्था अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुकी है।
शिक्षक की कमी का असर — बच्चों के भविष्य पर सवाल
शिक्षकों की कमी का सबसे ज्यादा असर विज्ञान, गणित और अंग्रेजी जैसे विषयों पर पड़ता है। कई बच्चे बुनियादी अवधारणाओं से भी वंचित रह जाते हैं।
ग्रामीणों का कहना है — हमारे बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं क्योंकि हमारे पास विकल्प नहीं है। पर अब अगर पढ़ाई ही नहीं होगी, तो भविष्य का क्या होगा?
क्या ‘शिक्षा का अधिकार’ सिर्फ नारा बनकर रह जाएगा?
कुकदा मिडिल स्कूल का यह मामला सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं है, बल्कि पूरे सिस्टम की पोल खोलता है। जब एक शिक्षक पर 61 बच्चों की जिम्मेदारी डाल दी जाए, तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उम्मीद करना मजाक से कम नहीं।
अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन इस संवेदनशील मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई करते हैं या फिर यह मामला भी सरकारी दफ्तरों की फाइलों में धूल खाता रहेगा।




