छुरा (गंगा प्रकाश)। वर्ष 2012… मंच पर मंत्री, सामने तालियों से गूंजती भीड़ और माइक से गूंजती घोषणा — 11 केवी बिजली लाइन हटेगी, 10 लाख की स्वीकृति दी जाती है।लेकिन 13 साल बाद वही घोषणा आज भी सरकारी फाइलों में दम तोड़ रही है, और छुरा नगर के वार्ड 13, 14 व 15 के लोग आज भी मौत के तारों के नीचे जीने को मजबूर हैं।तत्कालीन प्रभारी मंत्री पून्नूराम मोहिले और सांसद चंदूलाल साहू की मौजूदगी में नगर सुराज कार्यक्रम के दौरान यह घोषणा हुई थी। उस दिन तालियां बजीं, उम्मीदें जगीं, लेकिन आज न लाइन हटी, न खतरा टला।
घोषणा सरकारी थी, वसूली जनता से !
खास बात यह है कि इस 13 साल की अवधि में बिजली विभाग गरियाबंद 24 बार डिमांड नोट थमा चुका है — यानी अगर घोषणा पूरी चाहिए, तो पहले जनता भुगतान करे।
मोहल्लेवासी जब-जब मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक और कलेक्टर को शिकायत भेजते हैं, तब-तब समाधान के बजाय नया बिजली बिल पकड़ा दिया जाता है।
फाइलें घूमती रहीं, लोग खतरे में रहे
13 वर्षों से कलेक्टर कार्यालय, नगर पंचायत और बिजली विभाग के बीच सिर्फ फाइलें दौड़ रही हैं, लेकिन ज़मीनी स्तर पर आज भी लाइन वहीं की वहीं झूल रही है।
स्थिति यह है कि घर की छत पर चढ़ते ही ऊपर मौत का करंट तना हुआ है, लेकिन सिस्टम को जैसे किसी हादसे का इंतजार है।
अब फिर भेजा गया स्मरण पत्र
प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, प्रभारी मंत्री दयालदास बघेल, सांसद, विधायक और तत्कालीन कलेक्टर दीपक अग्रवाल को एक बार फिर यह याद दिलाया गया है कि छुरा की जनता अब भी उस घोषणा की राह देख रही है।सबसे बड़ा सवाल यह है कि— क्या यह घोषणा अब जमीन पर उतरेगी? या फिर यह भी उन वादों में शामिल हो जाएगी, जो हर चुनाव के साथ दोहराए जाते हैं और हर बार जनता भूलने को मजबूर होती है?

There is no ads to display, Please add some




