CG: महिला कर्मचारी को बलि का बकरा बनाने की साज़िश? रविवार को खुले सरकारी दफ्तर, बैकडेट में सेवा समाप्ति आदेश! चयन समिति ही बनी जांचकर्ता – न्याय पर सवाल

हाईकोर्ट जाएंगी मधु तिवारी – बोलीं, “सिर्फ मुझे ही दोषी क्यों?”

धमतरी (गंगा प्रकाश)।महिला कर्मचारी को बलि का बकरा बनाने की साज़िश? छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) से जुड़ा भ्रष्टाचार, सत्ता के संरक्षण और महिला कर्मचारी के उत्पीड़न का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। महिला स्वास्थ्यकर्मी मधु तिवारी को झूठे आरोपों और सुनियोजित षड्यंत्र के तहत नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया। अब उन्होंने हाईकोर्ट में न्याय की लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।

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क्या है पूरा मामला?

धमतरी NHM में नियुक्त महिला स्वास्थ्यकर्मी मधु तिवारी पर शिकायत टोमन कौशिक नामक व्यक्ति ने की थी, जो पूर्व में आपराधिक मामले में जेल जा चुका है। आरोप है कि उसकी शिकायत पर बिना किसी स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के, मधु तिवारी को सेवा से बाहर कर दिया गया।सबसे हैरानी की बात – जिन अधिकारियों ने उसकी नियुक्ति प्रक्रिया चलाई थी, उन्हीं से जांच भी करवा ली गई।

नेचुरल जस्टिस का खुला उल्लंघन

कानून का सिद्धांत है कि “कोई व्यक्ति अपने ही निर्णय पर न्याय नहीं कर सकता।” लेकिन यहां नेचुरल जस्टिस की धज्जियां उड़ाते हुए चयन समिति ने खुद ही नियुक्ति की और खुद ही जांच बैठा दी। सूत्रों का दावा है कि जांच में ना तो महिला कर्मचारी को पूरा पक्ष रखने का अवसर मिला, ना ही जांच रिपोर्ट की प्रति दी गई।

 

रविवार को जारी कर दिया सेवा समाप्ति आदेश

इस पूरे मामले को और भी संदेहास्पद बना दिया, रविवार के अवकाश के दिन जारी हुआ सेवा समाप्ति आदेश। रविवार को राज्य NHM कार्यालय बंद रहता है, फिर भी आदेश जारी कर उसे बैकडेट में भेजा गया। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या यह विधानसभा में भर्ती भ्रष्टाचार पर सवाल पूछे जाने से ठीक पहले की गई कार्रवाई थी, ताकि सिस्टम और अधिकारियों को बचाया जा सके?

 

शक के घेरे में कौन-कौन?

  1. सीएमएचओ डॉ. यूएल कौशिक
  2. डीपीएम डॉ. प्रिया कँवर
  3. टोमन कौशिक (शिकायतकर्ता, बर्खास्त कर्मचारी)
  4. चयन समिति के सदस्य, जिन्होंने नियुक्ति के साथ-साथ जांच भी की

सूत्र बताते हैं कि टोमन कौशिक को भी नियमों के खिलाफ पुनर्नियुक्त किया गया। उसकी नियुक्ति के दौरान तथ्यों को तत्कालीन कलेक्टर नम्रता गांधी से भी छुपाया गया। सवाल यह भी है कि किस दबाव में चयन समिति और NHM अधिकारियों ने नियमों को ताक पर रखकर उसे वापस रखा?

सिर्फ मधु तिवारी ही दोषी क्यों?

मधु तिवारी का सवाल है –

“अगर नियुक्ति प्रक्रिया में कोई गड़बड़ी थी, तो फिर सिर्फ मैं ही दोषी क्यों?

चयन समिति, तत्कालीन सीएमएचओ डॉ. डीके तुर्रे और डीपीएम राजीव बघेल पर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?”

 

राजनीतिक दबाव या भ्रष्टाचार का जाल?

इस कार्रवाई के पीछे राजनीतिक दबाव और भ्रष्टाचार का गठजोड़ भी देखा जा रहा है। NHM में लंबे समय से नियुक्तियों और पुनर्नियुक्तियों में सिस्टमेटिक भ्रष्टाचार की शिकायतें सामने आती रही हैं। लेकिन इन मामलों में ज्यादातर बलि का बकरा कमजोर कर्मचारी ही बनता है।

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हाईकोर्ट में न्याय की तलाश

अब मधु तिवारी ने हाईकोर्ट जाने का फैसला किया है। उनका कहना है कि – “मैं चुप नहीं बैठूंगी। अगर दोषी हूं, तो जांच समिति और वरिष्ठ अधिकारी निर्दोष कैसे हो सकते हैं? मैं हाईकोर्ट में सच्चाई सामने लाऊंगी।”

 

महिला उत्पीड़न का भी मामला

इस पूरे प्रकरण ने महिला उत्पीड़न का नया सवाल भी खड़ा कर दिया है।

 क्या सिस्टम में महिलाओं को आसानी से बलि का बकरा बनाया जाता है, ताकि बड़े अधिकारी और सत्ता से जुड़े लोग बच जाएं?

मुख्य बिंदु संक्षेप

  1. महिला स्वास्थ्यकर्मी मधु तिवारी को बर्खास्त, झूठे आरोपों का दावा
  2. रविवार को सेवा समाप्ति आदेश जारी, बैकडेट की आशंका
  3.  चयन समिति ही बनी जांचकर्ता, नेचुरल जस्टिस का उल्लंघन
  4.  टोमन कौशिक की पुनर्नियुक्ति नियमों के खिलाफ, कलेक्टर से तथ्य छुपाए गए
  5. हाईकोर्ट जाएंगी मधु तिवारी, कहा – “सच सामने लाऊंगी।”

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