फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। बिना किसी कारण के इन दिनों तेलों खासकर रोजमर्रा के उपयोगी खाद्य तेलों के भाव लगातार बढ़ने से लोग रोज रोज ज्यादा पैसा खर्च करने मजबूर हो रहे है। चौतरफा महंगाई तेल-सब्जी से अंचलवासियों की थाली से पकवान के साथ सब्जियों की मात्रा कम होती जा रही है। खाने-पीने की चीजों की बढ़ती कीमतों ने लोगों को पहले ही परेशान कर रखा है लेकिन दो हफ्ते में खाद्य तेलों की बढ़ी हुई कीमत ने लोगों के घरों का बजट ही बिगाड़ दिया है। अभी शादी का सीजन होने की वजह से तेल और सब्जी की खरीदी दोगुना बढ़ गई है। लोगों को मजबूरी में बढ़ी हुई कीमत में पूरे सामान खरीदने पड़ रहे है। आयात शुल्क बढ़ने से पहले सोया और राइस ब्रान तेल की कीमत थोक में 90 और चिल्हर में 100 रू. प्रति किलो थी, लेकिन अब किसी भी बाजार में 150 रू. किलो से कम में तेल नहीं मिल रहा है। वहीं सबसे ज्यादा बिकने वाला फल्ली तेल चिल्हर में 200 रू. किलो के पार हो गया है। खाद्य विभाग की लापरवाही की वजह से दो हफ्ते में ही तेल की कीमत 50 रू. बढ़ गई है। थोक व्यापारी बताते है कि उन्हें फैक्ट्रियों से ही बढ़ी हुई कीमत में तेल मिल रहा है। खाद्य विभाग के अफसरों ने जनवरी से अब तक शहरों के किसी भी तेल गोदाम में छापा नहीं मारा है। न ही किसी गोदाम के स्टॉक की जांच की गई है। इस वजह से व्यापारियों के हौसले और बुलंद है। वे पुराने स्टॉक की भी कीमत बढ़ाकर बेच रहे है। खाद्य तेल ही नहीं चना, आलू, प्याज के गोदामों की भी जांच नहीं की जा रही है। इस वजह से थोक में कीमत कम होने के बावजूद चिल्हर में आलू-प्याज महंगा बिक रहा है। सोया और राइस ब्रान के अलावा दूसरे तेल जैसे सरसों का तेल उसके दाम भी 40 से 50 रू. तक बढ़ा दिए गए है। इस वजह से लोगों की परेशानी और बढ़ गई है। बाजार में खाद्य तेलों में सबसे ज्यादा सोया और राइस ब्रान तेल ही बिकता है। जुलाई में इसकी कीमत सौ रूपए से भी कम थी। सोया तेल और राइस ब्रान थोक में 90 और चिल्हर में 95 से 98 रूपए में बिक रहा था। लेकिन नवरात्रि से दिवाली के बीच तक तेल की खपत ज्यादा होने के बाद इसकी कीमत बिना किसी ठोस कारण के बढ़ा दी गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने आयात शुल्क में इजाफा किया तो कारोबारियों ने मौका देखकर तेल कीमत 150 रू. तक पहुंचा दी। गांवों के वार्डो और मोहल्लों की किराना दुकान में यही तेल 150 रू. किलो में बिक रहा है। जुलाई में यही तेल 100 रू. किलों में बिक रहा था। सरलों तेल चिल्हर में 135 से 140 रू. था, लेकिन अब 180 रू. में मिल रहा है। फल्ली तेल की कीमत तो 200 रू. के पार हो गई है। यह तेल थोक में 180 से 185 और चिल्हर में 210 रू. में बिक रहा है। बढ़ती महंगाई से ग्रामीणजन काफी परेशान है। एकाएक इतनी ज्यादा महंगाई से जमाखोरी अथवा प्रशासन की नाकामी ही मानी जा रही है। ठंडे मौसम में हर समय सब्जियां सस्ती रहती है परंतु इस समय सब्जियां भी आसमान छू रही है।