पत्रकारिता की सच्ची मशाल जलती रही मुंगेली में – अक्षय लहरे के जन्मदिन समारोह ने रचा एक नया इतिहास
सच्चाई, सादगी और समाज सेवा के अद्भुत संगम का दृश्य बना प्रेस क्लब मुंगेली, जहाँ जुटे जिले के दिग्गज पत्रकार, समाजसेवी और आमजन

मुंगेली (गंगा प्रकाश)। पत्रकारिता की सच्ची मशाल जलती रही मुंगेली में– एक तरफ जहाँ पत्रकारिता पर व्यावसायिकता, सनसनी और टीआरपी का दबाव बढ़ता जा रहा है, वहीं मुंगेली जिले में बुधवार को एक ऐसा दृश्य उभरा जिसने पत्रकारिता को उसके मूल स्वरूप – सत्य, सादगी और सामाजिक जिम्मेदारी – की जीवंत मिसाल बना दिया। अवसर था पत्रिका के जिला प्रतिनिधि एवं ‘अपना छत्तीसगढ़’ समाचार पोर्टल के संपादक अक्षय लहरे के जन्मदिन का, जिसे प्रेस क्लब मुंगेली में पूरे सम्मान, आत्मीयता और गरिमा के साथ मनाया गया।
यह आयोजन किसी चमक-धमक या भव्य मंच का मोहताज नहीं था, फिर भी इसकी आभा इतनी गहरी थी कि जिले के हर कोने से पत्रकार, समाजसेवी, युवा मीडियाकर्मी, व्यवसायी और गणमान्य नागरिक इसमें शामिल होने पहुंचे। एक साधारण जन्मदिन को जब पत्रकारिता और समाज सेवा का प्रतीक बना दिया जाए, तो वह क्षण असाधारण बन जाता है – यही हुआ प्रेस क्लब में।
शुरुआत सादगी से, समापन संकल्प से
समारोह की शुरुआत पारंपरिक केक कटिंग के साथ हुई, लेकिन यह कोई “रिवाज़ी” औपचारिकता नहीं थी। यह उस ज़मीन से जुड़े पत्रकार को सलाम था, जिसने अपनी लेखनी से न केवल जनसमस्याओं को उठाया, बल्कि व्यवस्था को कई बार आईना दिखाने का साहस भी किया।
कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों ने एक स्वर में कहा – “अक्षय लहरे पत्रकारिता की उस पीढ़ी के प्रतीक हैं, जो सोशल मीडिया की शोर में नहीं, ज़मीनी मुद्दों की गहराई में उतरती है। वे खबरें बेचते नहीं, सच्चाई को सामने लाते हैं। जब बाकी लोग प्रेस रिलीज़ छापकर संतुष्ट हो जाते हैं, तब अक्षय मौके पर जाकर सच की तह में जाते हैं।”
वरिष्ठों का आशीर्वाद, युवाओं का आदर्श
इस आयोजन में जिले के कई वरिष्ठ पत्रकार मौजूद थे, जिन्होंने अपने अनुभव से समारोह को गरिमा प्रदान की। वरिष्ठ पत्रकार ने कहा, “आज की पीढ़ी में जब तेजी से पत्रकारिता का बाजारीकरण हो रहा है, ऐसे में अक्षय जैसे पत्रकार हमारे लिए उम्मीद की किरण हैं। उनकी पत्रकारिता में न गर्म हवा है, न नारे – केवल हकीकत है, मेहनत है और संवेदना है।”
वहीं, युवा पत्रकारों के लिए यह दिन किसी प्रेरणास्त्रोत से कम नहीं था। युवा मीडियाकर्मी ने कहा, “हमने हमेशा पत्रकारिता को बड़े मंचों, कैमरों और प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित देखा था। आज पहली बार महसूस हुआ कि असली पत्रकारिता वो होती है जो समाज से जुड़ती है, लोगों के दुःख-सुख में शामिल होती है। अक्षय सर हमारे आदर्श हैं।”
अक्षय लहरे का वक्तव्य – विनम्रता की पराकाष्ठा
अपने संक्षिप्त मगर प्रभावशाली संबोधन में अक्षय लहरे ने कहा,
“मेरे लिए पत्रकारिता रोज़गार का जरिया नहीं, जन-जागरूकता का जरिया है। जब कोई गरीब महिला राशन न मिलने की खबर पर आकर धन्यवाद देती है, तब मुझे सच्ची ताकत मिलती है। मेरी कोशिश है कि पत्रकारिता को केवल खबर तक सीमित न रखकर, बदलाव का माध्यम बनाया जाए।”
उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय में पत्रकारों की सबसे बड़ी चुनौती है – सत्य पर टिके रहना, जब हर ओर समझौते का दबाव हो। यही चुनौती उन्हें प्रेरणा भी देती है।
समाजसेवियों की भागीदारी ने दिया सामाजिक चेतना का संदेश
इस समारोह में केवल पत्रकार ही नहीं, समाज के अन्य क्षेत्र के लोग भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। समाजसेवी ने कहा, “जब पत्रकार ईमानदार होता है, तो समाज को दिशा मिलती है। अक्षय जैसे लोग सिर्फ खबरें नहीं लिखते, वे समाज की नब्ज़ पकड़ते हैं।”
इस अवसर पर प्रेस क्लब मुंगेली ने सामूहिक रूप से प्रस्ताव पारित कर अक्षय लहरे को “जनपक्षीय पत्रकारिता सम्मान” देने की अनुशंसा भी की, जिससे यह दिन और ऐतिहासिक बन गया।
जन्मदिन से आगे – पत्रकारिता की पुनर्पुष्टि
इस आयोजन की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि यह किसी निजी उत्सव तक सीमित नहीं था, बल्कि एक सामाजिक संवाद, विचार-विमर्श और मूल्यों के प्रति पुनः समर्पण का उत्सव बन गया। यह साबित हुआ कि जब किसी पत्रकार की सच्चाई पर विश्वास होता है, तो समाज उसका जन्मदिन नहीं, उसकी सोच का उत्सव मनाता है।
अक्षय लहरे जैसे पत्रकारों की उपस्थिति न केवल पत्रकारिता की साख को बचाए रखने में सहायक है, बल्कि समाज को नई दिशा, नई ऊर्जा और नया विश्वास भी देती है।