गरियाबंद : गरियाबंद में आज आदिवासी समाज ने वन अधिकार नियमों में बदलाव का कड़ा विरोध किया। आदिवासी विकास परिषद, ग्राम सभा फेडरेशन, एकता परिषद के बैनर तले जिला पंचायत सदस्य सदस्य लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में आदिवासियों ने गरियाबंद में रैली निकाली। मजरकट्टा स्थित परिषद भवन से कलेक्टोरेट तक 5 किमी आदिवासियों ने बरसते पानी में पैदल यात्रा किया। कलेक्टोरेट पहुंच मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंप वन अधिकार से जुड़े नियमों में हुए परिवर्तन को हटाते हुए यथावत रखने की मांग किया है।
कानून से छेड़ छाड़ बर्दाश्त नहीं करेगा वनवासी
आदिवासी नेता लोकेश्वरी नेताम और संजय नेताम ने कहा कि नए प्रावधान कर केवल वन के हित को ध्यान में रखा गया। वन क्षेत्र में रहने वाले मूलनिवासी की चिंता वन विभाग के अफसर नहीं कर सकते। वन अधिकार कानून में आदिवासी और वनवासियों के जिस हित का ध्यान रखा गया था, उसे अब छेड़छाड़ किया गया है। हम सवाल पूछते हैं कि कानून में छेड़छाड़ का अधिकार किसने दिया? अधिकारियों के लिए न्यायालय के अलावा जंगी लड़ाई लड़ने हम तैयार हैं। सप्ताह भर के भीतर हमारी मांगे नहीं मानी गई, तो सड़क की लड़ाई लड़ेंगे, जिसकी जिम्मेदार सरकार होगी।
इसलिए हो रहा विरोध
15 मई 2025 को वन मंत्रालय ने एक आदेश पारित किया है, जिसमें वन अधिकार मान्यता देने अथवा सामुदायिक वन संसाधन के उपयोग से जुड़े फैसले लेने का अधिकार वन विभाग को होगा। जबकि इससे पहले 2006 में पारित वन अधिकार कानून के मुताबिक, इसकी सुनवाई का अधिकार ग्राम सभा में आदिवासी विकास विभाग की देखरेख में होने का प्रावधान किया गया था।