धर्मांतरण पर विहिप सख्त रुख़ में, टोनहीडबरी में चंगाई सभा की आड़ में मतांतरण का खुलासा — गरियाबंद में बनी निगरानी समिति, प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन
गरियाबंद/छुरा (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के विभिन्न आदिवासी अंचलों में तेजी से फैल रहे धर्मांतरण को लेकर विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने एक बार फिर सख्त रुख़ अपनाया है। सरगुजा, जशपुर, बस्तर, और जगदलपुर जैसे जिलों के बाद अब गरियाबंद जिले के छुरा विकासखंड के टोनहीडबरी गांव में चंगाई सभा की आड़ में चल रहे कथित मतांतरण का मामला उजागर हुआ है।
गांव के ही एक जागरूक युवक ने विहिप के कार्यकर्ताओं को जानकारी दी कि एक साल पहले शुरू हुई “प्रार्थना सभा” अब बड़े स्तर की चंगाई सभा में बदल चुकी है। बाहर से महंगी गाड़ियों में आने वाले लोग गांव में आदिवासी संस्कृति को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।

गांव ने एकमत से जताया विरोध, सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित
विश्व हिंदू परिषद छुरा प्रखंड की सक्रियता से गांव की सुरक्षा और सांस्कृतिक पहचान को लेकर तीन दौर की बैठकें की गईं। इन बैठकों में गांव समिति व ग्रामीणों को यह बताया गया कि कैसे चंगाई सभा के नाम पर बाहरी लोग गांव की परंपरा और धार्मिक आस्था को बदलने का प्रयास कर रहे हैं।
इसके बाद ग्राम सभा की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया गया कि गांव में किसी भी प्रकार की अवैध चंगाई सभा को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गांव के ही शेषनारायण ठाकुर को बुलाकर उन्हें समझाया गया, लेकिन उन्होंने प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया।
प्रशासन को सौंपा गया ज्ञापन, विहिप की चेतावनी
विहिप गरियाबंद जिला इकाई ने ग्राम सभा के प्रस्ताव को संलग्न करते हुए अपर कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। संगठन ने स्पष्ट शब्दों में प्रशासन को चेतावनी दी है कि जिले के अंदर इस तरह की चंगाई सभाओं और अवैध मतांतरण के प्रयासों को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
विहिप का आरोप है कि जिले के कई गांवों में भोले-भाले आदिवासियों को पैसे, नौकरी और अन्य लालच देकर ईसाई धर्म में परिवर्तित किया जा रहा है। पहले संगठन ने कई बार समझाइश देकर मामले सुलझाने की कोशिश की, लेकिन अब संगठन ने दो टूक कहा है कि अब “समझाइश” नहीं, “निर्णायक कार्यवाही” होगी।
‘घर वापसी’ अभियान की घोषणा, सभी प्रखंडों में बनी निगरानी समिति
विहिप ने मतांतरण को रोकने और घर वापसी को बढ़ावा देने के लिए जिले के सभी प्रखंडों में 7 से 10 कार्यकर्ताओं की निगरानी समिति गठित की है। यह समितियाँ विशेष रूप से धर्मांतरण की गतिविधियों पर निगरानी रखेगी और ज़रूरत पड़ने पर प्रशासन को सतर्क करेगी।
समिति में शामिल प्रमुख कार्यकर्ता:
प्रकाश निर्मलकर,भोला प्रसाद पांडे,मेषनंदन पांडे,रामशरण पुरैना,पोषण सिन्हा,मनोज पटेल,लोकेश वैष्णव विहिप के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अब समय आ गया है कि पूरे जिले में व्यापक स्तर पर जनजागरूकता अभियान चलाया जाए ताकि आदिवासी समाज की संस्कृति, परंपरा और धार्मिक पहचान को सुरक्षित रखा जा सके।
प्रशासन की प्रतिक्रिया का इंतज़ार
अभी तक इस मामले पर जिला प्रशासन की ओर से कोई सार्वजनिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विहिप के तेवर और ग्रामीणों की एकजुटता को देखते हुए यह विषय अब गरियाबंद में गंभीर सामाजिक और राजनीतिक विमर्श का हिस्सा बन चुका है।
विशेष नोट: यह मामला न केवल गरियाबंद के लिए, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के आदिवासी क्षेत्रों के लिए एक चेतावनी और जागरूकता का संकेत है। जिस तरह चंगाई सभा की आड़ में धर्मांतरण का आरोप लगाया गया है, वह प्रदेश में सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक स्वतंत्रता के बीच संघर्ष की स्थिति को उजागर करता है।