सुशासन की पोल खोलती बोरिद की विधवा की पुकार
गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। विकासखंड फिंगेश्वर अंतर्गत ग्राम बोरिद निवासी विधवा भगवती यादव का संघर्ष प्रदेश में सुशासन के दावों पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। तेंदूपत्ता संग्रहण में मुंशी के रूप में कार्यरत रहे उनके पति वेदप्रकाश यादव का निधन 14 मार्च 2023 को हुआ था, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बाद भी उन्हें आज तक बीमा राशि नहीं मिल सकी है।
पीड़िता के अनुसार, वह वन विभाग से लेकर जनदर्शन, जिला प्रशासन और स्थानीय विधायक कार्यालय तक दर्जनों बार चक्कर लगा चुकी हैं, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई। भगवती यादव का आरोप है कि बीमा की फाइल आगे बढ़ाने के नाम पर विभागीय कर्मचारियों द्वारा बार-बार पैसों की मांग की गई। अब तक वह 40 से 50 हजार रुपये खर्च कर चुकी हैं, फिर भी उनकी फाइल आज तक आगे नहीं बढ़ी।
विधायक का आदेश भी बेअसर, फाइल कागजों में दबी
पीड़िता ने 09 मई 2025 को राजिम विधायक रोहित साहू को आवेदन सौंपा था। विधायक द्वारा 7 दिनों के भीतर निराकरण के निर्देश भी दिए गए थे, लेकिन 27 नवंबर 2025 तक इस मामले में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई।
भगवती यादव का कहना है— विधायक जी ने कहा था कि समाधान हो जाएगा, लेकिन मेरा आवेदन न प्रशासन ने देखा और न ही विभाग ने। लगता है जैसे मेरा आवेदन कूड़ेदान में फेंक दिया गया हो।
वन विभाग पर गंभीर आरोप, रिश्वत के बिना काम नहीं
पीड़िता का आरोप है कि खुलेआम रिश्वत की मांग की जा रही है और पैसा नहीं देने पर फाइल जानबूझकर अटका दी जाती है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि जिन परिवारों की मौत बाद में हुई, उन्हें बीमा राशि मिल चुकी है, लेकिन उनका मामला दो वर्षों से धूल खा रहा है।
उन्होंने प्रदेश सरकार पर भी सवाल उठाया— क्या यही विष्णु सुशासन सरकार है, जहां गरीब विधवा को अपने हक के लिए दो साल तक भटकना पड़े?
टूट चुकी विधवा ने दी आमरण अनशन की चेतावनी
लगातार दफ्तर-दफ्तर भटकने के बाद मानसिक रूप से टूट चुकी भगवती यादव ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें जल्द बीमा राशि नहीं मिली, तो वे आमरण अनशन पर बैठेंगी।
उन्होंने कहा— अब मेरे पास लड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। मेरा हक मुझे मिलना ही चाहिए।
सिस्टम पर उठे कई गंभीर सवाल
यह मामला कई गंभीर प्रश्न खड़े करता है— क्या गरियाबंद प्रशासन एक विधवा महिला की सुनवाई करने में भी असमर्थ है?
क्या वन विभाग में बिना रिश्वत दिए बीमा राशि मिलना असंभव हो गया है?
क्या जनप्रतिनिधियों के आदेशों का कोई महत्व नहीं रह गया है?
क्या गरीब, मजदूर और विधवाओं को न्याय के लिए वर्षों तक दर-दर भटकना पड़ेगा?
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
बद्रीनाथ ध्रुव, वन परिक्षेत्राधिकारी, फिंगेश्वर: यह प्रकरण मेरे फिंगेश्वर कार्यालय में पदस्थ होने से पूर्व का है। अभी इस मामले की जानकारी प्राप्त हुई है। संबंधित दस्तावेज उच्च कार्यालय को भेज दिए गए हैं।
भगवान सिंह उइके, कलेक्टर, गरियाबंद: – मुझे इस प्रकरण के बारे में कोई जानकारी नहीं है।



