गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। फिंगेश्वर में चल रही भागवत कथा के दूसरे दिन श्रद्धालुओं से भरे पंडाल में भगवताचार्य डॉ. पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने भागवत पुराण में धु्रव चरित्र की व्याख्या करते हुए अपने प्रवचन में कहा कि धु्रव भगवान ने साढ़े चार साल की उम्र में भगवान की भक्ति कर भगवान के साक्षात दर्शन कर अमर पद प्राप्त किया। भगवान कपिल ने अपनी मॉ को सांख्यिकी शास्त्र का उपदेश दिया था। पंडित जी ने भक्त प्रहलाद चरित्र का वर्णन करते हुए बताया कि प्रहलाद चरित्र पुत्र एवं पिता के संबंध को प्रदर्शित करता है उन्होंने कहा कि यदि भक्त सच्चा हो तो विपरीत परिस्थितियों भी उसे भगवान की भक्ति से विमुख नहीं कर सकती। राक्षस प्रवृत्ति के हिरण्यकश्यप जैसे पिता को प्राप्त करने के बावजूद भी प्रहलाद ने ईश्वर भक्ति नहीं छोड़ी। सच्चे अर्थो में कहा जाए तो प्रहलाद ने पुत्र होने का दायित्व भी निभाया। उन्होंने कहा कि पुत्र का यह सर्वोपरि दायित्व है कि यदि उसका पिता दुष्ट प्रवृत्ति का हो तो उसे भी सुमार्ग पर लाने के लिए सदैव प्रयास करने चाहिए प्रहलाद ने बिना भय के हिरण्यकश्यप के यहॉ रहते हुए ईश्वर की सत्ता को स्वीकार किया और पिता को भी उसकी ओर आने के लिए प्रेरित किया। भगवताचार्य ने अपने संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा में धु्रव, चरित्र, कपिल भगवान का इतनी सुंदर व्याख्या प्रस्तुत की कि श्रद्धालु भक्ति भाव से झुमने लगे। डॉ. पं. सुरेन्द्र बिहारी गोस्वामी ने कहा कि कलयुग में भागवत की कथा का मात्र श्रवण कर लेने से जीव को मोक्ष की प्राप्ति के साथ जन्म जन्मातरे के पापो का अंत भी होता है। परमात्मा के नामामृत का पान जिसने अपने हृदय में कर लिया उसने संसार के सारे भय से मुक्ति पा लेता है। व्याख्या को बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि नाशवान शरीर में मृत्यु का भय होना स्वभाविक है परंतु जिन्हें संसार के माया सागर से सहज पार होना होता है वह अपनी प्रभु भक्ति भगवान को पा जाता है। जैसे धु्रव एवं प्रहलाद ने किया। परमात्मा अपने भक्त की चिंता में हर पल लगे रहते है। परमात्मा इसके लिए अपनी अर्धागिनी को भी विसमीत कर देते है बशर्ते भक्त अपने अंतरचित में परमात्मा की अविरम अनुभूति करता रहे। भागवत कथा आयोजक तिवारी परिवार के समस्त परिजनों सहित भागवत प्रेमियों से पूरा पंडाल खचाखच भरा रहता है। कथा के चौथे दिन आज बुधवार 10 जनवरी को कथाकार जी द्वारा श्रीराम जन्मोत्सव एवं श्री कृष्णावतार पर अपना प्रवचन देंगे।
फिंगेश्वर में भागवत कथा में भगवताचार्य ने बताई धु्रव चरित्र, प्रहलाद की विस्तृत व्याख्या, कथा के तीसरे दिन श्रद्धालुओं का उमड़ रहा सैलाब
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