Cg:कोपरा बस स्टैंड बना अव्यवस्था का प्रतीक: पांच साल से बंद शौचालय बना कबाड़, यात्रियों की दुर्दशा, नगर पंचायत मौन
गरियाबंद/कोपरा (गंगा प्रकाश)। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में बसे धार्मिक और सामाजिक दृष्टि से महत्वपूर्ण नगर कोपरा के नागरिक आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहे हैं। नगर पंचायत बनने के बावजूद यहां के हालात किसी पिछड़े गाँव से कम नहीं हैं। खासकर कोपरा बस स्टैंड की हालत ऐसी है कि जिसे देखकर कोई भी कहेगा—”यह विकास की नहीं, उपेक्षा की तस्वीर है।”
5 साल से अधूरा सार्वजनिक शौचालय, अब बना गंदगी और कबाड़ का अड्डा
कोपरा बस स्टैंड पर करीब पांच साल पहले एक सर्वसुविधा युक्त सार्वजनिक शौचालय का निर्माण शुरू किया गया था। योजना यह थी कि यात्रियों, खासकर महिलाओं को शौच और स्वच्छता की सुविधा मिलेगी, लेकिन यह योजना आज तक सिर्फ कागजों पर पूरी हुई है। निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया और अब यह ढांचा गंदगी, बदबू और कबाड़ का अड्डा बन चुका है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार, शौचालय का निर्माण कार्य शुरू होने के बाद ही ठप हो गया। तब से न तो कोई अधिकारी इसका निरीक्षण करने आया, न ही किसी जनप्रतिनिधि ने इसे चालू कराने में रुचि दिखाई।
नगर पंचायत बना ‘कुम्भकर्णी नींद’ का प्रतीक
10 मार्च 2025 को नगर पंचायत के नवनिर्वाचित अध्यक्ष रूपनारायण साहू और पार्षदों ने शपथ ली थी। शपथ ग्रहण के दौरान लोगों को उम्मीद जगी थी कि शायद अब वर्षों से लंबित समस्याओं का समाधान होगा। लेकिन दो महीने बीतने के बाद भी स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। न शौचालय चालू हुआ, न यात्री प्रतीक्षालय बना, न ही छाया या पानी की कोई व्यवस्था की गई।
विवाह सीजन में महिलाएं हुईं शर्मसार
अप्रैल और मई के विवाह सीजन में जब बड़ी संख्या में लोग गांव-देहात से कोपरा बस स्टैंड पहुंचे, तब महिलाओं को प्रसाधन के लिए दर-दर भटकना पड़ा। एक महिला यात्री ने गुस्से में कहा—“हम लोग भगवान कोपेश्वरनाथ के दर्शन करने आते हैं, लेकिन यहां इंसानियत को शर्मसार करने वाले हालात मिलते हैं। नगर पंचायत की ये कैसी सेवा है?”
व्यापारी और दुकानदारों में नाराजगी
कोपरा बस स्टैंड पर दुकानदारों का कहना है कि यहां सफाई व्यवस्था से लेकर प्रसाधन, यात्री प्रतीक्षालय, पेयजल तक की कोई मूलभूत सुविधा नहीं है। “हम रोज़ देख रहे हैं कि महिलाएं और बुजुर्ग इधर-उधर भटकते हैं। यह हमारे लिए भी शर्म की बात है,” एक दुकानदार ने कहा।
यात्री करते हैं सड़क किनारे इंतज़ार, न छाया, न पानी
कोपरा बस स्टैंड पर ना तो कोई छायादार प्रतीक्षालय है और ना ही बैठने की व्यवस्था। लोग तपती दोपहर में धूप में खड़े रहकर रायपुर, राजिम, देवभोग की ओर जाने वाली बसों का इंतजार करते हैं। नेशनल हाईवे 30 पर बसे इस नगर का यह हाल देखकर कोई भी कहेगा कि विकास यहां तक पहुंचा ही नहीं।
देवभोग के लिए रवाना हो रहे यात्री सोहनलाल साहू ने कहा—“छत्तीसगढ़ राज्य बने 25 साल हो चुके हैं, लेकिन हमारे कोपरा में एक ढंग का बस स्टैंड तक नहीं बन पाया। प्रसाधन के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता है, यह विकास नहीं, दुर्भाग्य है।”
नेताओं की गोलमोल बातें, जनता में आक्रोश
जब इस समस्या को लेकर नगर पंचायत अध्यक्ष रूपनारायण साहू से बात की गई, तो उन्होंने कहा—“यह सार्वजनिक शौचालय पूर्ववर्ती कार्यकाल में शुरू किया गया था और फिलहाल विवाद में है। इसलिए इसमें रुचि नहीं ली जा रही।” उनका यह जवाब नगरवासियों को और अधिक नाराज़ कर गया।
वहीं वार्ड पार्षद नंदराज बंसे ने साफ कहा—“मैंने कई बार अध्यक्ष और सीएमओ से लिखित में शिकायत की है, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। जनता में भारी रोष है और जल्द ही घेराव की नौबत आ सकती है।”
नगर पंचायत पर उठे सवाल, हो सकता है आंदोलन
कोपरा के नागरिक अब आंदोलन की तैयारी में हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि आने वाले दिनों में नगर पंचायत द्वारा इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया, तो वे शौचालय, प्रतीक्षालय और सफाई की मांग को लेकर नगर पंचायत कार्यालय का घेराव करेंगे।
निष्कर्ष: कोपरा की यह कहानी सिर्फ एक गांव की नहीं, पूरे सिस्टम की नाकामी का आईना है
कोपरा बस स्टैंड की यह स्थिति बताती है कि कैसे सरकारी योजनाएं जमीनी स्तर पर पहुंचते-पहुंचते दम तोड़ देती हैं। योजनाएं बनती हैं, बजट पास होते हैं, बोर्ड लगाए जाते हैं—but नतीजा शून्य। जनता अब जानना चाहती है कि आखिर उनके अधिकार कब तक फाइलों में दफन रहेंगे?