गरियाबंद जिला अस्पताल में देर रात हड़कंप: CMHO डॉ. गार्गी यदु ने संभाली डिलीवरी रूम की कमान, शिशु रोग विशेषज्ञ नदारद!
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। स्वास्थ्य व्यवस्था की लापरवाही पर कड़ी नजर रखने वाली गरियाबंद की CMHO डॉ. गार्गी यदु ने गुरुवार देर रात जिला अस्पताल में ऐसा एक्शन लिया कि न सिर्फ अस्पताल स्टाफ में हड़कंप मच गया, बल्कि एक बार फिर सवाल उठे—क्या आपातकालीन सेवाओं में भरोसा करना अब भी मुमकिन है?

रात लगभग 11 बजे CMHO ने जिला अस्पताल में औचक निरीक्षण किया। वार्ड, दवा वितरण केंद्र, लैब और इमरजेंसी रूम का बारीकी से जायजा लिया गया। मरीजों से सीधे संवाद कर यह जानने की कोशिश की गई कि उन्हें स्वास्थ्य सुविधाएं सही समय पर मिल रही हैं या नहीं। कुछ मरीजों ने संतोष जताया, पर असल हकीकत तब सामने आई जब एक प्रीमैच्योर डिलीवरी की सूचना मिली।
जब डॉक्टर नदारद, तब खुद मैदान में उतरीं CMHO!
डिलीवरी के दौरान जन्मा बच्चा अत्यंत गंभीर अवस्था में था। अस्पताल प्रोटोकॉल के अनुसार शिशु रोग विशेषज्ञ को इमरजेंसी कॉल किया गया, लेकिन नतीजा—फोन तक नहीं उठाया गया! ऐसे संवेदनशील मौके पर डॉक्टर की गैरहाजिरी ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़े कर दिए।
हालात की गंभीरता को देखते हुए CMHO डॉ. गार्गी यदु ने खुद मोर्चा संभाला। डिलीवरी रूम में जाकर नवजात की जांच की और तत्काल उसे एनआईसीयू में शिफ्ट कराया गया। इस दौरान CMHO की तत्परता ने एक नन्ही जान की रक्षा की, लेकिन साथ ही उस डॉक्टर की जिम्मेदारी पर बड़ा सवाल भी खड़ा कर दिया, जिसने कॉल रिसीव तक नहीं किया।
कई डिलीवरी प्रक्रियाधीन, एक में जन्मजात विकृति
निरीक्षण के दौरान यह भी सामने आया कि अस्पताल में दो अन्य डिलीवरी की प्रक्रिया चल रही थी। इनमें से एक नवजात को जन्मजात विकृति है, जिसके लिए विशेष चिकित्सकीय निगरानी जरूरी है। CMHO ने इस पर भी निर्देश जारी किए।
कठोर कार्रवाई तय, अब नहीं चलेगी लापरवाही
निरीक्षण के बाद मीडिया से बात करते हुए CMHO डॉ. यदु ने स्पष्ट किया कि लंबे समय से रात्रिकालीन स्टाफ की अनुपस्थिति को लेकर शिकायतें मिल रही थीं। “आज निरीक्षण में डॉक्टर और नर्स उपस्थित मिले, लेकिन आपात स्थिति में कॉल रिसीव न करना बहुत बड़ी लापरवाही है। ऐसे मामलों में अब सीधी कार्रवाई होगी,” उन्होंने चेताया।
टीम के साथ किया निरीक्षण, अब नियमित रहेंगे विजिट
इस निरीक्षण के दौरान डॉ. लक्ष्मी जांगड़े, नोडल अधिकारी डॉ. सुनील रेड्डी, अस्पताल सलाहकार शंकर पटेल समेत अन्य अधिकारी भी मौजूद रहे। CMHO ने साफ कर दिया है कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही को अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और आगे भी औचक निरीक्षण लगातार होते रहेंगे।
विश्लेषण:
जहाँ एक ओर डॉक्टरों की लापरवाही सामने आ रही है, वहीं गरियाबंद जैसी जगहों पर एक जिम्मेदार अधिकारी का डिलीवरी रूम में जाकर खुद नवजात की जान बचाना यह दर्शाता है कि सिस्टम को सुधारने के लिए अब जमीनी स्तर पर काम हो रहा है।
यह खबर न सिर्फ अस्पताल स्टाफ के लिए चेतावनी है, बल्कि सिस्टम के भीतर छिपी सुस्ती को भी सामने ला रही है।