CGNEWS:छुरा में गूंजा देशभक्ति का रंगीन संदेश: “ऑपरेशन सिंदूर” पर रंगोली ने जीता दिल
छुरा (गंगा प्रकाश)। छुरा के कचना धुरवा महाविद्यालय में मंगलवार को ऐसा नज़ारा देखने को मिला, जिसने हर आंख को नम और हर दिल को गर्व से भर दिया। मौका था रंगोली और मेहंदी प्रतियोगिता का, लेकिन ये महज कोई आम प्रतियोगिता नहीं थी — यह एक जज़्बे, जुनून और राष्ट्रभक्ति का रंगीन उत्सव बन गया।

इस प्रतियोगिता का सबसे बड़ा आकर्षण बनी वो रंगोली, जिसे समर्पित किया गया “ऑपरेशन सिंदूर” को — भारतीय सेना द्वारा हाल ही में आतंक के खिलाफ चलाए गए इस सफल अभियान की शौर्यगाथा को छात्राओं ने अपने रंगों से ऐसे उकेरा कि पूरा परिसर तालियों की गूंज से गूंज उठा।
जब रंग बोले देशभक्ति की भाषा
छात्राओं ने मिट्टी, चावल, फूलों और रंगों से ऐसी कलाकृति रची जिसमें एक भारतीय सैनिक की आंखों में प्रतिबद्धता थी, हाथों में बंदूक थी और पीछे लहराता तिरंगा था। रंगोली ने दर्शाया कि देशभक्ति केवल भाषणों में नहीं, कला के रंगों में भी गूंज सकती है।प्रत्यक्षदर्शी दर्शकों ने कहा, “ऐसा लगा मानो रंग बोल रहे हों — जय हिन्द!”
कलाकृति में सजी समाज की सच्ची तस्वीर
केवल ऑपरेशन सिंदूर ही नहीं, प्रतियोगिता में बनीं अन्य रंगोलियाँ भी अपनी-अपनी कहानियाँ कह रही थीं।
- एक रंगोली में नारी सशक्तिकरण का ज़ोरदार संदेश था — एक हाथ में किताब, दूसरे में तलवार।
- एक रंगोली ने स्वच्छ भारत की अवधारणा को सजीव किया।
- पर्यावरण संरक्षण और सांस्कृतिक समरसता जैसे विषयों पर भी शानदार प्रस्तुतियाँ देखने को मिलीं।
“रंग नहीं, ये राष्ट्रप्रेम की रेखाएँ हैं” — के.आर. साहू
डी.एल.एड. विभाग के प्रभारी के.आर. साहू ने कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए कहा, “हमारे छात्र-छात्राओं ने ये साबित कर दिया कि कक्षा की सीमाओं से बाहर भी उनका सोचने और रचने का दायरा कितना विशाल है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर जो रंगोली बनी, वह केवल चित्र नहीं, एक संदेश था — कि हम तैयार हैं, हर मोर्चे पर।”
गवाह बना महाविद्यालय, साक्षी बने छात्र और शिक्षक
कार्यक्रम में उपस्थित रहे प्रमुख प्राध्यापक — टी.के. निर्मलकर, आर.आर. कुर्रे, देवेंद्र भारती, वी.के. यादव, एन. यादव और समस्त डी.एल.एड. छात्र-छात्राओं ने प्रतियोगिता को न केवल सराहा, बल्कि कई प्रस्तुतियों को “राष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने योग्य” बताया।
सम्मान और समापन: जहां हर भागीदार था विजेता
कार्यक्रम का समापन प्रतिभागियों को सम्मानित करते हुए हुआ, लेकिन असल जीत तो उस भावना की हुई, जो रंगों के ज़रिए हर दिल में उतर गई — देश के लिए कुछ कर गुजरने की भावना।
“छुरा की धरती से निकला ये संदेश साफ है — हमारी युवा पीढ़ी सिर्फ कलम से नहीं, कला से भी क्रांति लाने को तैयार है!”