रिश्तों में गिरती पवित्रता पर जैन मुनि ऋषभ सागर की चिंता
गरियाबंद (गंगा प्रकाश)। गायत्री मंदिर परिसर में शुक्रवार को आयोजित जैन मुनि ऋषभ सागर जी महाराज के प्रवचन में बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। उन्होंने अपने ओजस्वी प्रवचन में समाज में बढ़ते स्वार्थ, रिश्तों की गिरती पवित्रता और नैतिक मूल्यों के क्षरण पर चिंता जताई। कहा, “सज्जन व्यक्ति के लिए हर युग सतयुग है और दुर्जन के लिए सतयुग भी कलयुग।”
ऋषभ सागर जी ने कहा कि आज की पीढ़ी भौतिक सुख-सुविधाओं की ओर इतनी आकर्षित हो गई है कि रिश्तों की अहमियत कम हो रही है। “जिस देश में श्रवण कुमार जैसे पुत्र हुए, वहां माता-पिता को वृद्धाश्रम भेजने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।” पहले अजनबियों तक पर भरोसा किया जाता था, अब अपनों पर भी विश्वास कमजोर पड़ रहा है।
उन्होंने कहा, “हमारी मान्यताएँ ही जीवन की दिशा तय करती हैं। यदि हम अच्छा सोचेंगे, तो सब अच्छा होगा।” समाज में प्रेम, सहयोग और सेवा भाव को बढ़ावा देने की जरूरत है। जो व्यक्ति दूसरों की मदद और कल्याण के लिए तत्पर रहता है, वही सच्चा मानव कहलाने योग्य है।
ऋषभ सागर जी ने कहा, “मानवता जिनके अंदर है, वही सच्चे मानव हैं।” जाति, धर्म और वर्ग के भेदभाव से ऊपर उठकर प्रेम, करुणा और परोपकार की भावना अपनानी होगी। उन्होंने कहा, “यदि हम एक अच्छाई छोड़ते हैं, तो दस बुराइयाँ हमें घेर लेती हैं।” इसलिए जरूरी है कि परंपराओं, संस्कारों और नैतिकता को बनाए रखें।
गुरूवर के प्रवचन ने लोगों को आत्मचिंतन और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने कहा कि यदि हम नैतिक मूल्यों को प्राथमिकता दें, अपनों के साथ विश्वास और प्रेम बनाए रखें और समाज के कल्याण के लिए कार्य करें, तो आदर्श समाज का निर्माण संभव है। इस दौरान ललित पारख, विकास पारख, मिलेश्वरी साहु, सुमित पारख सहित जैन समाज एवं धर्मप्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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