– या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। 

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

                                           

 नवरात्रि के छठवें दिन आज माँ दुर्गा के छठवें स्वरूप कात्यायनी की पूजा आराधना की जाती है। माँ को जो सच्चे मन से याद करता है उसके रोग , शोक , संताप , भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं। जन्म-जन्मांतर के पापों को विनष्ट करने के लिये माँ की शरणागत होकर उनकी पूजा-उपासना के लिये तत्पर होना चाहिये। नवरात्रि के छठवें दिवस के बारे में अरविन्द तिवारी ने बताया कि माँ की उत्पत्ति या प्राकट्य के बारे में वामन और स्कंदपुराण में अलग-अलग बातें बतायी गयी हैं। माँ पार्वती का जन्म महिषासुर का वध करने के लिये ऋषि कत्य के घर में हुआ था इसलिये यह देवी कात्यायनी कहलायी। इनकी पूजा आराधना करने से अद्भुत शक्ति का संचार होता है और दुश्मनों का संहार करने में ये सक्षम बनाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अत्यंत चमकीला और भव्य है , तेजोमयी छवि भक्तों के हृदयों को सुख और शांति प्रदान करती है। इनका अस्त्र कमल व तलवार है। आज के दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में अवस्थित होता है। यह वृहस्पति ग्रह का संचालन करती है। इनकी चार भुजायें हैं दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभयमुद्रा में है तथा नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में। मांँ के बायीं तरफ के ऊपर वाले हाथ में तलवार है व नीचे वाले हाथ में कमल का फूल सुशोभित है। इनका वाहन भी सिंह है। इनका स्वरूप भव्य एवं दिव्य है और ये स्वर्ण के समान चमकीली है। ब्रज की गोपियों ने भगवान कृष्ण को पति रुप में पाने के लिये कालिंदी यमुना के तट पर इन्हीं की पूजा अर्चना की थी इसलिये ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी प्रतिष्ठित है। मान्‍यता है कि मां कात्‍यायनी की पूजा करने से शादी में आ रही बाधा दूर होती है। जिन कन्याओं के विवाह में विलम्ब हो रहा है उन्हें आज के दिन हल्दी की गाँठ चढ़ाकर माँ कात्यायनी की पूजा अवश्य करनी चाहिये। इससे भगवान वृहस्पति प्रसन्न होकर विवाह का योग बनाते हैं और इससे उन्हें मनोवांछित वर की प्राप्ति होती है। माँ कात्यायनी का पसंदीदा रंग लाल है और इन्हें शहद का भोग बेहद पसंद है। इन्हें पीला फूल और पीले रंग का नैवेद्य अर्पित करना चाहिये। इनकी उपासना और आराधना से रोग , शोक , संताप , भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं एवं भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ , धर्म , काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग , शोक , संताप और भय के अलावा जन्म जन्मांतर के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। नवरात्रि के छठवें दिन यानि आज दुर्गा सप्तशती के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिये। माँ कात्यायनी की पूजा करते समय “ॐ ऐं ह्रीं क्लीम चामुण्डायै व‌िच्चै” अथवा “ॐ  कात्यायनी देव्यै नमः” मंत्रों का उच्चारण करना चाहिये। नवरात्रि के छठवें दिन प्रसाद में मधु यानि शहद का प्रयोग करना चाहिये। देवी मां को प्रसन्न करने के लिये गुड का दान करना चाहिये और नारंगी रंग के कपड़ें पहनने चाहिये। मां कात्यायनी के विधिपूर्वक आराधना करने से कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है व मार्ग में आने वाली कठिनाइयों पर विजय प्राप्त होती है। पौराणिक मान्‍यताओं के अनुसार माता कात्यायनी की उपासना से भक्‍त को अपने आप आज्ञा चक्र जाग्रति की सिद्धियां मिल जाती हैं. साथ ही वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौकिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है।

कौन है मां कात्यायनी ?

कत नामक एक प्रसिद्ध महर्षि थे , उनके पुत्र ऋषि कात्य हुये। इसी कात्य गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुये। इन्होंने कई वर्षों तक भगवती पराम्बा की कठिन तपस्या के साथ उपासना की। उनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री रूप में जन्म ले , उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां भगवती ने उनकी यह प्रार्थना स्वीकार कर ली। उनकी इच्छानुसार मां भगवती ने आश्विन मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन उनके घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। इसी कारण से ही इन्हें कात्यायनी कहा जाता है। कुछ समय पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार धरती पर बढ़ गया , तब भगवान ब्रह्मा , विष्णु , महेश तीनों ने अपने – अपने अंश का तेज देकर महिषासुर के विनाश के लिये एक देवी को उत्पन्न किया। मां कात्‍यायनी ने ही अत्‍याचारी राक्षस महिषाषुर का वध कर तीनों लोकों को उसके आतंक से मुक्त कराया था। महिषासुर का वध करने वाली देवी मां कात्यायनी को महिषासुर मर्दनी के नाम से भी पुकारते हैं।

Share.

About Us

Chif Editor – Prakash Kumar yadav

Founder – Gangaprakash

Contact us

📍 Address:
Ward No. 12, Jhulelal Para, Chhura, District Gariyaband (C.G.) – 493996

📞 Mobile: +91-95891 54969
📧 Email: gangaprakashnews@gmail.com
🌐 Website: www.gangaprakash.com

🆔 RNI No.: CHHHIN/2022/83766
🆔 UDYAM No.: CG-25-0001205

Disclaimer

गंगा प्रकाश छत्तीसगढ के गरियाबंद जिले छुरा(न.प.) से दैनिक समाचार पत्रिका/वेब पोर्टल है। गंगा प्रकाश का उद्देश्य सच्ची खबरों को पाठकों तक पहुंचाने का है। जिसके लिए अनुभवी संवाददाताओं की टीम हमारे साथ जुड़कर कार्य कर रही है। समाचार पत्र/वेब पोर्टल में प्रकाशित समाचार, लेख, विज्ञापन संवाददाताओं द्वारा लिखी कलम व संकलन कर्ता के है। इसके लिए प्रकाशक, मुद्रक, स्वामी, संपादक की कोई जवाबदारी नहीं है। न्यायिक क्षेत्र गरियाबंद जिला है।

Ganga Prakash Copyright © 2025. Designed by Nimble Technology

WhatsApp us

Exit mobile version