गरियाबंद/फिंगेश्वर (गंगा प्रकाश)। अंचल में एक बार फिर हाथियों की दस्तक से दर्जनभर गांवो में डर का माहौल है। जानकारी के अनुसार एमई-तीन दंतैल मादा की तलाश में क्षेत्र में लगातार विचरण कर रहा है। वह प्रतिदिन 40 किलोमीटर की दूरी तय कर रहा है। क्षेत्र में आया दंतैल 12 मई की रात राजिम फिंगेश्वर रेंज पहुंचा। मंगलवार को यह पैरी नदी पार कर धमतरी जिले में पहुंच चुका है। जिस स्थान पर पर्याप्त भोजन व पानी है दंतैल वहा भी नहीं रूका, इसलिए वन अमला अनुमान व्यक्त कर रहा है कि दंतैल मादा की तलाश में विचरण कर रहा है। इसी के चलते एमई तीन दंतैल शनिवार को जिले की सीमा के भीतर पहुंच गया था। रात में बलौदाबाजार से महासमुंद वनमंडल पहुंचा है। सुबह होने तक एनएच-53 को पार कर कोडार व लोहारडीह के जंगल में पहुंच गया। रविवार शाम तक दंतैल इसी क्षेत्र में विचरण कर रहा था। इसके बाद वन विभाग ने आसपास के गांवो में अलर्ट किया है। हालांकि रविवार देर रात तक यह राजिम क्षेत्र की ओर बढ़ा। ज्ञात हो कि सप्ताह भर पहले दंतैल एमई-तीन गरियाबंद क्षेत्र से जिले में आया था। दंतैल जिले के सीमावर्ती क्षेत्रों में ही विचरण कर रहा, इसलिए संभावना थी कि वह कभी भी वापस जिले की ओर आ सकता है। शनिवार रात दंतैल फिर से जिले की ओर आ गया। रविवार को ब्लॉक मुख्यालय से समीप 10-12 किलोमीटर की दूरी पर विचरण कर रहा था। 12 मई की रात को राजिम फिंगेश्वर रेंज में आया। मंगलवार को कक्ष क्रमांक 65 पैरी नदी पार कर दंतैल धमतरी जिला वन मंडल प्रवेश किया। एमई-तीन हाथी कई बार अंचल में विचरण कर चुका है। यह अन्य हाथियों से थोड़ा आक्रमक है। इससे पहले एमई-तीन के हमले से कई लोगों की मौत हो चुकी है। यह दंतैल कुछ समय पहले राज्य से बाहर चला गया था। कुछ दिन पहले वापस आया और अपने पुराने रूट पर आगे बढ़ते हुए फिंगेश्वर पहुंचा। हाथी के विचरण से क्षेत्र के आसपास आने वाले कई गांव को अलर्ट किया गया था। साथ ही विचरण क्षेत्र में ग्रामीणों को जंगल की ओर जाने से मना किया जा रहा था। हाथी के विचरण से किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। वर्तमान में रबी सीजन के धान फसल की कटाई चल रही है व तेंदूपत्ता के संग्रहण करने का काम जोरों पर है जिससे हाथियों के आने से किसानों एवं तेंदूपत्ता संग्राहकों के मन में दहशत का माहौल बन जाता है। वहीं कई किसानों ने धान कटाई कर खलिहान में रखा है। फसल को हाथी द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने की संभावना रहती है, इसलिए किसान हाथियों के हलचल से परेशान होते है।
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