गुणवत्तापूर्ण विवेचना के लिए न्यायिक एवं पुलिस अधिकारियों की संयुक्त कार्यशाला
भागवत दीवान
कोरबा (गंगा प्रकाश)। पुलिस की मजबूत विवेचना हीअपराधी के लिए सजा दण्ड का आधार बनती है। घटित होने वाले अपराधों की विवेचना ऐसी होनी चाहिए कि अपराधी को बचने का मौका न मिले और उसे सजा हो। कई बार कानूनों में होने वाले संशोधन की जानकारी अनेक विवेचकों और पुलिस अधिकारियों को नहीं हो पाती जिससे विवेचना में त्रुटि अथवा कमी का लाभ अपराधी को प्राप्त हो जाता है।एसपी संतोष सिंह ने कहा कि समय के साथ अपराधियों ने अपराध करने का तरीका बदला है। उसी प्रकार कानूनों में भी संशोधन हो रहे हैं, किंतु पुलिस अधिकारीगण कानून व्यवस्था सहित अन्य व्यस्तताओं के कारण इन संशोधनों से वाकिफ नहीं हो पाते हैं और उनसे विवेचना में कई प्रकार की त्रुटियां हो जाती हैं जिसका लाभ अपराधियों को मिलता है। इन्हीं त्रुटियों को दूर करने के लिए समय-समय पर न्यायिक अधिकारियों के साथ कार्यशाला का आयोजन किया जाना चाहिए ताकि गुणवत्तापूर्ण विवेचना से दोषी को दण्ड सुनिश्चित हो सके। विशेष न्यायाधीश श्रीमती संघपुष्पा भतपहरी ने नारकोटिक्स एक्ट के मामले में विवेचकों द्वारा की जाने वाली त्रुटियां एवं उनमें सुधार के बारे में जानकारी दी। विशेष न्यायाधीश एफटीसी के द्वारा महिलाओं एवं बच्चों पर घटित अपराध तथा पॉक्सो एक्ट के मामलों की विवेचना में होने वाले त्रुटियां एवं सुधार की जानकारी दी गई। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी द्वारा विवेचना एवं अनुसंधान में होने वाली सामान्य कमियों को दूर करने के बारे में बताया गया। एसपी संतोष सिंह ने कहा कि इस कार्यशाला से निश्चित तौर पर विवेचना अधिकारियों को लाभ मिलेगा जिसका परिणाम दोषियों को सजा के प्रतिशत में बढ़ोत्तरी के रूप में देखने को मिलेगा। कार्यशाला में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक अभिषेक वर्मा, नगर पुलिस अधीक्षक योगेश साहू व दर्री सीएसपी, एसडीओपी कटघोरा ईश्वर त्रिवेदी सहित सभी थाना-चौकियों के प्रभारी एवं विवेचना अधिकारी उपस्थित रहे।
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