CGNEWS:सक्ती में सड़क बनी श्मशान: बेलगाम हार्वेस्टर ने रौंदी जिंदगी, लोहे के कटर में फंसे तीन युवकों के चिथड़े — पूरा गांव गमगीन, सिस्टम बेहोश!
सक्ति (गंगा प्रकाश)। रात की खामोशी और सड़क पर मौत की दहाड़… शनिवार की रात छत्तीसगढ़ के सक्ती जिले में जो हुआ, वह किसी डरावने ख्वाब से कम नहीं। मालखरौदा थाना क्षेत्र के जैजैपुर रोड पर मिशन पेट्रोल पंप के पास एक बेलगाम हार्वेस्टर ने रफ्तार का ऐसा तांडव मचाया कि तीन जिंदगियां चंद सेकंड में खत्म हो गईं।
तीनों मृतक युवक सतगढ़ गांव के रहने वाले थे — जवान खून, जिनकी आंखों में सपने थे, जिनके घरों में चिराग जलते थे। लेकिन एक बेलगाम मशीन ने सबकुछ बुझा दिया।
हार्वेस्टर बना ‘मौत की मशीन’: लोहे के कटर में फंसे शव, पुलिस के भी छूटे पसीने
जिस समय हादसा हुआ, बाइक सवार युवक किसी काम से लौट रहे थे। तभी सामने से आ रही हार्वेस्टर ने उन्हें सीधी टक्कर मारी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि बाइक के परखच्चे उड़ गए और तीनों युवक लोहे के धारदार कटर में बुरी तरह फंस गए।
लोगों ने बताया कि ऐसा दृश्य उन्होंने पहले कभी नहीं देखा था।
हार्वेस्टर के ब्लेड में उलझे शवों को निकालने के लिए पुलिस और ग्रामीणों को घंटों मशक्कत करनी पड़ी। लाशों के टुकड़े इधर-उधर बिखरे थे। किसी का सिर, किसी का हाथ — पूरी सड़क मानो नरसंहार का मैदान बन गई थी।
गांव में पसरा मातम, हर घर में सन्नाटा
तीनों मृतकों की खबर जैसे ही गांव पहुंची, पूरे सतगढ़ में मातम पसर गया। तीनों युवक अपने माता-पिता के इकलौते सहारे थे। एक मां बेटे के लिए रात तक खाना नहीं खाई थी, एक बहन राखी के दिन का सपना देख रही थी। सबकुछ खत्म हो गया… चंद पलों में।
प्रशासन पर उठे सवाल: क्या अब सड़कों पर चलने वाली मशीनें ही तय करेंगी किसकी मौत होगी?
गांववालों का आक्रोश अब उबाल पर है। उनका कहना है कि हार्वेस्टर जैसे भारी वाहनों को रात में बिना अनुमति के चलाना प्रतिबंधित होना चाहिए।
प्रशासन कहां है?
- DM, SP, RTO किस बात का इंतज़ार कर रहे हैं?
- क्या तीन शव और लोहे के कटर में फंसी लाशें भी उन्हें नींद से जगाने के लिए काफी नहीं?
सवाल खड़े करता यह हादसा
- क्या हार्वेस्टर जैसे मशीनों के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है?
- क्या ऐसे वाहनों को हाईवे या गांव की सड़कों पर खुली छूट दी जा रही है?
- कौन जिम्मेदार है — वाहन चालक, प्रशासन, या ढीली कानून व्यवस्था?
- तीनों परिवारों को क्या सिर्फ मुआवज़ा देकर चुप कराया जाएगा?
जांच नहीं, अब ज़रूरत है जवाबदेही की!
हर बार की तरह इस बार भी जांच की बात कही जा रही है। लेकिन क्या कभी किसी जांच ने जान वापस लौटाई है?
गांववालों की मांग है कि—
- दोषी चालक पर ग़ैर-इरादतन हत्या नहीं, हत्या की धारा लगाई जाए।
- रात में हार्वेस्टर जैसे वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगे।
- मृतकों के परिजनों को स्थायी सरकारी सहायता और नौकरी दी जाए।
- प्रशासनिक अधिकारियों की भूमिका की न्यायिक जांच करवाई जाए।
यह केवल सड़क दुर्घटना नहीं, सिस्टम की हत्या है!
जब तक जिम्मेदारों को सज़ा नहीं मिलेगी, यह मौतें यूं ही दौड़ती रहेंगी।
आज सतगढ़ के तीन बेटे गए हैं,
कल किसी और गांव के चिराग बुझ जाएंगे।
अब सवाल यह नहीं कि हादसा कैसे हुआ, सवाल यह है —अब और कितनी लाशें चाहिए प्रशासन को जागने के लिए?