बीजापुर वनमंडल में सूचना के अधिकार अधिनियम का उल्लंघन, आरटीआई कार्यकर्ता को अब तक नहीं मिली जानकारी
यदिंद्रन नायर
बीजापुर (गंगा प्रकाश)। बीजापुर वनमंडल अंतर्गत वन परिक्षेत्र पामेड़ में सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 (RTI Act 2005) का घोर उल्लंघन सामने आया है। आरटीआई कार्यकर्ता यदिंद्रन नायर, निवासी बीजापुर द्वारा मांगी गई सूचना को न केवल नजरअंदाज किया गया, बल्कि संबंधित जनसूचना अधिकारी ने अधिनियम को मजाक बना दिया है।
आरटीआई अधिनियम के तहत नागरिकों को यह अधिकार प्राप्त है कि वे किसी भी शासकीय विभाग से जानकारी मांग सकते हैं, और संबंधित अधिकारी को निर्धारित समय सीमा (30 दिन) के भीतर वह जानकारी प्रदान करनी होती है। किन्तु, यदिंद्रन नायर द्वारा वन परिक्षेत्र पामेड़ के जनसूचना अधिकारी से मांगी गई सूचना को अधिकारी द्वारा समयसीमा के भीतर न तो प्रदान किया गया और न ही कोई संतोषजनक उत्तर दिया गया।
जानकारी नहीं मिलने के बाद नायर ने नियमानुसार प्रथम अपील अधिकारी – वनमंडलाधिकारी बीजापुर के समक्ष अपील दर्ज की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि अपीलीय अधिकारी द्वारा भी सिर्फ औपचारिकता निभाई गई और आवेदक को गुमराह करते हुए अब तक कोई स्पष्ट और प्रमाणिक जानकारी नहीं सौंपी गई।
यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि बीजापुर वन विभाग के अधिकारियों द्वारा आरटीआई अधिनियम का पालन नहीं किया जा रहा है। इस प्रकार की लापरवाही और पारदर्शिता की कमी न केवल कानून का उल्लंघन है, बल्कि यह भ्रष्टाचार को भी बढ़ावा देने वाली मानसिकता को दर्शाता है।
सूचना के अधिकार अधिनियम की मूल भावना का उल्लंघन
सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6 के अंतर्गत कोई भी नागरिक लिखित रूप से जानकारी मांग सकता है, और धारा 7 के अनुसार जनसूचना अधिकारी को 30 दिन के भीतर सूचना उपलब्ध करानी होती है। यदि सूचना देने से मना किया जाता है या देरी की जाती है, तो धारा 19 के तहत प्रथम और द्वितीय अपील का प्रावधान है।
लेकिन जब अधिकारीगण खुद इस कानून को जेब में रखकर आम जनता के अधिकारों को दबाने लगें, तो यह न केवल लोकतांत्रिक मूल्यों की अवहेलना है, बल्कि शासन व्यवस्था की पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है।
आरटीआई कार्यकर्ता बोले – “सिस्टम में गहराया भ्रष्टाचार”
आरटीआई कार्यकर्ता यदिंद्रन नायर ने कहा – “यह एक सुनियोजित ढंग से सूचना छुपाने की कोशिश है। जब अधिकारी जवाब देने से बचते हैं, तो जाहिर है कि कहीं न कहीं भ्रष्टाचार छुपा है।”
क्या कहता है कानून अगर अधिकारी सूचना न दें?
RTI अधिनियम की धारा 20 के अंतर्गत यदि कोई जनसूचना अधिकारी समय पर जानकारी नहीं देता है, तो उस पर प्रतिदिन ₹250 का जुर्माना (अधिकतम ₹25,000) लगाया जा सकता है। साथ ही, उसकी विभागीय जांच भी की जा सकती है।
निष्कर्ष:
बीजापुर वनमंडल का यह मामला यह दर्शाता है कि कैसे एक सशक्त कानून को शासकीय कर्मचारी नजरअंदाज कर रहे हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि राज्य सूचना आयोग इस मामले का संज्ञान ले और दोषी अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई करे, ताकि आरटीआई अधिनियम की गरिमा बनी रहे और आम जनता को उनका वैध अधिकार मिल सके।
There is no ads to display, Please add some




