छत्तीसगढ़ वन विभाग में तैनात बसुली गैंग पर अब ईडी की हैं नजर,कई आईएफएस अधिकारी सोशल मीडिया में कमा चुके हैं अपना नाम

प्रकाश कुमार यादव

रायपुर(गंगा प्रकाश):-वन विभाग तो पहले भी भ्रष्टाचार के लिए बदनाम था पर हाल ही में बड़े बड़े अधिकारियों का सोशल मीडिया में जो खबरें आ रही हैं। लगता हैं मानो विभाग में वसूली के अलावा कुछ काम नहीं हो रहा हैं। संजय शुक्ला के पीसीसीएफ बनने के बाद ज़रूर विभाग में कुछ बदलाव आया हैं, पर राकेश चतुर्वेदी के चार साल में विभाग की जो हालत हुई उससे ऊभर पाना अब मुश्किल हैं। जब से केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ वन विभाग को कैम्पा मद में 5,700 करोड़ का गिफ़्ट दिया, तबसे राकेश चतुर्वेदी और श्रीनिवास राव का खुल्लम खुल्ला खेल चालू हो गया। पीसीसीएफ का 3.25 % तो कैम्पा सीईओ का 2 % फ़िक्स हो गया। समय समय पर विभाग में उच्च अधिकारियों को प्रतिशत की खबरें आती रही हैं। कभी अधिकारी द्वारा रेंजर को बुला के वसूली तो कभी ठेकेदारों से खुलआम वसूली की खबरें आती रही हैं। विभाग में कुछ ख़ास ठेकेदारों को ही काम देने की खबरें भी आती रही हैं। ट्रान्सफर पोस्टिंग का तो वन विभाग में नया धंधा चालू हो गया हैं। डीएफओ का रेट 25 से 50 लाख तक है। अब ये सब पर ED की नजर पड़ चुकी हैं। केंद्र सरकार के पैसों का जो बंदरबाँट हुआ हैं उसका हिसाब कई IFS को जल्द देना पड़ सकता हैं।

राकेश चतुर्वेदी, रिटायर्ड पीसीसीएफ

 हाल में 30 सितम्बर को राकेश चतुर्वेदी पीसीसीएफ के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। सोशल मीडिया में कई रेंजर के निलम्बन से बहाली के लिए रिश्वत लेते हुए की खबरें चल रही हैं जिसमें देखा जा सकता हैं राकेश चतुर्वेदी नोटों का बंडल बटोर रहे हैं। इन रेंजर की हाल ही में बड़े बड़े भ्रष्टाचार के मामलों में विधानसभा के सदन में निलम्बन की घोषणा हुई थी। पर राकेश चतुर्वेदी द्वारा अपने विदाई के दिन ही बहाली कर दिया गया।मरवाही और बिलासपुर वनमंडल में भ्रष्टाचार के इतने बड़े मामले थे जो कि विधानसभा में उठाया गया और इन रेंजरो की निलम्बन की घोषणा हुई पर 3 महीनो में ही इनको पीसीसीएफ ने अपने विदाई के ही दिन बहाल कर दिया।मंत्री तक से इसके लिए पर्मिशन नहीं लेना समझा। इससे पहले चतुर्वेदी राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध हुए थे आरा मिल कांड से। तब वो रायपुर के सीएफ थे और मुख्य आरोपी भी। सभी डीएफओ से आरा मिल के फ़र्ज़ी इन्स्पेक्शन दिखा के शासन को करोड़ों का चूना लगाया।इसके वजह से चतुर्वेदी का लगभग 15 साल तक प्रमोशन रुका रहा।बाद में राजनीतिक रसूख़ के चलते राज्य सरकार से क्लीयर हो गए।जबकि इसी केस में फसे हेमंत पांडेय आज तक फ़से हैं और उनका करोड़ों का वसूली आदेश निकला हुआ हैं।जब रेंजर तक को अनिवार्य सेवानिवृत्त कर दिया गया तो उच्च अधिकारी कैसे उसी केस में बरी हो गए।

जेआर नायक, सीसीएफ रायपुर- सीसीएफ

रायपुर का भी वीडियो सोशल मीडिया में लगातार वाइरल हुआ था।किसी ठेकेदार का पेमेंट नायक ने रोक कर रखा हैं और ठेकेदार बार बार उनके ऑफ़िस जाकर पेमेंट कर देने की गुहार लगा रहा है। पर नायक पहले पैसे जमा करने की बात कर रहे हैं। उसके बाद ही पेमेंट देने की बात कर रहे हैं।चूल्हा काण्ड में इनका नाम उछला था। आश्चर्य की बात हैं अभी तक इस बेशरम अधिकारी पर वनमंत्री ने कोई कार्यवाही नहीं की है।

राजू अगासिमनि, सीसीएफ कांकेर

 सीसीएफ कांकेर और उनका स्टेनो किसी ठेकेदार से काम के बदले पैसे लेते हुए कैमरा में क़ैद हुए थे। इसका वीडियो सोशल मीडिया में वाइरल हुआ था। कुछ अख़बारों ने ही प्रमुखता से इस मुद्दे को उठाया था। बावजूद इसके अब तक शासन ने इन पर कोई कार्यवाही नहीं की है।

श्रीनिवास राव (IFS) कैम्पा, सीईओ

 सभी  जानते हैं वन विभाग की पूरी फ़ंडिंग अभी कैम्पा मद से ही होता है। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ वन विभाग को 5700 करोड़ दिया गया था। इस कैम्पा के पद पर 04 साल से एक ही अधिकारी  का बैठे रहना संदेहास्पद हैं। बीजेपी के सांसद और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव द्वारा इसी वर्ष संसद में छत्तीसगढ़ कैम्पा के 4 सालो के कामों की जाँच की माँग की गयी। सूत्रों के अनुसार लैंटाना उन्मूलन में 80% तक का एडजेस्टमेंट हो रही हैं।ये मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गाय था। पिछले वर्षकैम्पा के फंड से पट्रोलिंग गाड़ियों के जगह लक्जरी गाड़ियाँ सभी वनमंडलो में ख़रीदी गयी वो भी बिना माँगपत्र के। इस मुद्दे को पिछले साल अख़बारों ने उठाया भी था और विधानसभा में प्रश्न भी लगा।पर क़ोरोना के चलते मामला दब गया। सोशलमीडिया में हाल ही में खबरें वाइरल हो रही थी किये अपने गृहग्राम हैदराबाद में आलीशान घर बना रहे हैं। इसके अलावा पीसीसीएफ बनने के लिए बड़ी सभी  जानते हैं वन विभाग की पूरी फ़ंडिंग अभी कैम्पा मद से ही होता है। केंद्र सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ वन विभाग को 5700 करोड़ दिया गया था। इस कैम्पा के पद पर 04 साल से एक ही अधिकारी  का बैठे रहना संदेहास्पद हैं। बीजेपी के सांसद और वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव द्वारा इसी वर्ष संसद में छत्तीसगढ़ कैम्पा के 4 सालो के कामों की जाँच की माँग की गयी। सूत्रों के अनुसार लैंटाना उन्मूलन में 80% तक का एडजेस्टमेंट हो रही हैं।ये मुद्दा विधानसभा में भी उठाया गाय था। पिछले वर्षकैम्पा के फंड से पट्रोलिंग गाड़ियों के जगह लक्जरी गाड़ियाँ सभी वनमंडलो में ख़रीदी गयी वो भी बिना माँगपत्र के। इस मुद्दे को पिछले साल अख़बारों ने उठाया भी था और विधानसभा में प्रश्न भी लगा।पर क़ोरोना के चलते मामला दब गया। सोशल मीडिया में हाल ही में खबरें वाइरल हो रही थी किये अपने गृहग्राम हैदराबाद में आलीशान घर बना रहे हैं। इसके अलावा पीसीसीएफ बनने के लिए बड़ी पेशकश किए थे जबकि इनके ऊपर 07 सीनियर थे। राष्ट्र प्रसिद्ध आरामिल कांड के आरोपी थे।धमतरी डीएफओ रहते आरा मिल के बिना इन्स्पेक्शन किए फ़र्ज़ी वाउचर बना के शासन को करोड़ों का चूना लगाने का आरोप लगा था। बाद में अपने राजनीतिक रसूख़ के चलते आरोप पत्र नसतिबद्ध करवा लिया।

अनुराग श्रीवास्तव,सीसीएफ सरगुज़ा

31 अक्टूबर को ही ये सेवानिवृत्त हुए हैं। इनका भी रेंजर से वसूली और प्रॉपर्टी और विदेश के दौरों की खबरें सोशल मीडिया में चला था। इनके ऊपर आरोप लगा था कि ये अपने वृत्त के सभी रेंजर को बंगले बुलाकर वसूली करते हैं और पीसीसीएफ के लिए 3.25% और कैम्पा सीईओ के लिए 2% की माँग करते हैं। अनुराग श्रीवास्तव ने रायपुर के पॉश इलाक़ों में अपने और अपने पिता के नाम पर महँगे प्लॉट ख़रीद करके रखा हैं। रायपुर के धरमपुरा में 12380 वर्गफ़ुट का प्लॉट ले रखा हैं जिसका अनुमानित क़ीमत 4.5 करोड़ हैं।इसके अलावा अपने पिताजी अशोक श्रीवास्तव के नाम पर 2540 वर्गफ़ुट का प्लॉट ले रखा हैं जिसका अनुमानित क़ीमत 01 करोड़ है। साथ ही रायपुर में आलीशान बंगला बना के रखा हैं। इसके अलावा अपने परिवार के साथ विदेश घूमने भी जाते रहते हैं। सूत्रों से जानकारी मिली हैं कि इसके लिए वो सरकार से अनुमती भी नहीं लिए थे।

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