
अरविन्द तिवारी
रायपुर (गंगा प्रकाश) – छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले से भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिये कांग्रेस पार्टी ने सावित्री मंडावी के नाम पर मुहर लगा दी है। इस पर मुहर लगने से पहले भी इन्हीं की चर्चा हो रही थी , जिसके बाद अब आखिर में इन्हीं के नाम पर आलाकमान ने मुहर लगाई है। वहीं भाजपा ने पूर्व विधायक ब्रम्हानंद नेताम को मैदान में उतारा है। नेताम वर्ष 2008 में भी भानुप्रतापपुर से विधायक रह चुके हैं , उन्होंने दिवंगत नेता मनोज मंडावी को ही चुनाव हराया था। ब्रम्हानंद नेताम की आदिवासियों में अच्छी पकड़ मानी जाती है। इस उपचुनाव में कांग्रेस और भाजपा में ही टक्कर देखने को मिलेगी क्योंकि आम आदमी पार्टी ने इस उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया है। बताते चलें सावित्री मंडावी कांकेर के भानुप्रतापपुर विधानसभा सीट से विधायक एवं विधानसभा उपाध्यक्ष रहे दिवंगत मनोज कुमार मंडावी की पत्नी हैं। वे रायपुर के कटोरा तालाब स्थित सरकारी स्कूल में व्याख्याता के पद पर तैनात थीं। निर्वाचन कानून के मुताबिक कोई सरकारी कर्मचारी अथवा लाभ के पद पर बैठा व्यक्ति चुनाव नहीं लड़ सकता था , ऐसे में मंडावी ने नामांकन से पहले ही नौकरी छोड़ दी। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दिवंगत मनोज मंडावी की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सावित्री मंडावी को उम्मीद्वार बनाने की बात कही थी। उसके बाद मंडावी के समर्थक उनके पीछे एकजुट होकर चुनाव की तैयारी में लगे हैं। इतना ही नहीं पिछले सप्ताह कांकेर के चारामा में हुई मुख्यमंत्री की जनसभा में भी सावित्री मंडावी के समर्थन में नारे लगाये गये थे। छत्तीसगढ़ में भानुप्रतापपुर उपचुनाव के लिये नामांकन की अंतिम तारीख आज 17 नवंबर है , कांग्रेस प्रत्याशी आज पूर्वाह्न ग्यारह बजे नामांकन भरेंगे। इस दौरान उनके साथ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल , मोहन मरकाम के साथ – साथ कई मंत्री और विधायक भी मौजूद रहेंगे। दरअसल भानुप्रतापपुर से कांग्रेस विधायक मनोज कुमार मंडावी का 16 अक्टूबर की सुबह दिल का दौरा पड़ने से निधन होने से इस सीट को रिक्त घोषित कर दिया गया था। नया विधायक चुनने के लिये पांच दिसम्बर को मतदान होगा तथा आठ दिसम्बर को मतगणना होगी और परिणाम घोषित किया जायेगा।
आम आदमी पार्टी नहीं लेगी हिस्सा
आम आदमी पार्टी के छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी संजीव झा ने प्रेसवार्ता करते हुये भानुप्रतापपुर उपचुनाव में हिस्सा नहीं लेने का ऐलान कर दिया है। उन्होंने प्रेसवार्ता में कहा कि यह केवल एक साल का मसला है और इतनी कम अवधि के लिये केवल एक विधायक की उपस्थिति लगभग नगण्य रहेगी। इसलिये शीर्ष नेतृत्व ने यह निर्णय लिया है कि इस उपचुनाव की अपेक्षा आम आदमी पार्टी 2023 के मुख्य चुनाव में अपनी पूरी ताकत से हिस्सा लेगी और छत्तीसगढ़ में अपनी सरकार बनायेगी।
सत्ता पार्टी ने ही मारी बाजी
उल्लेखनीय है कि राज्य स्थापना के बाद से प्रदेश में करीब ग्यारह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुये हैं। इतिहास रहा है कि लोगों ने इन उपचुनावों में उसे ही विधायक बनाया जिसकी पार्टी की सरकार रही। जानकारी के मुताबिक इनमें से केवल एक सीट कोटा को छोड़कर बाकी सभी सीटों ऐसा ही हुआ। राज्य के पहले विधानसभा अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद के निधन की वजह से खाली हुई कोटा सीट पर जब उपचुनाव हुआ तब प्रदेश में भाजपा की सरकार थी। इसके बावजूद वहां से कांग्रेस की डा० रेणु जोगी जीती थीं। वर्ष 2018 में दंतेवाड़ा की सीट से भाजपा के भीमा मंडावी ने चुनाव जीता। नक्सली हमले में उनके मारे जाने पर सितंबर 2019 में उपचुनाव हुआ। यहां दिग्गज कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को जीत मिली। वर्ष 2019 में चित्रकोट में उपचुनाव हुये। क्योंकि यहां से कांग्रेस के चुने विधायक दीपक बैज को लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना पड़ा। उनकी जीत से सीट खाली हुई तो कांग्रेस के ही राजमन बेंजाम ने उपचुनाव जीता और विधायक बने। इसी कड़ी में वर्ष 2020 नवंबर में मरवाही में उपचुनाव हुये। यहां से विधायक रहे छत्तीसगढ़ के पहले सीएम अजीत जोगी की निधन के बाद जनता कांग्रेस से ये सीट कांग्रेस पास चली गई। कांग्रेस से केके ध्रुव को मौका मिला और वे जीत गये। इसी साल 2022 में खैरागढ़ सीट से जकांछ के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद उपचुनाव हुआ , जिसमें कांग्रेस की यशोदा निलाम्बर वर्मा को जीत मिली।