
अरविन्द तिवारी
जोधपुर (गंगा प्रकाश)– राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर की साधारण सभा की बैठक में वर्ष 2022-23 के 12 अवॉर्ड एवं 11 पुरस्कार देने का निर्णय लिया गया। अकादमी से मिली जानकारी के अनुसार अकादमी का सर्वोच्च फैलोशिप सम्मान देश की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री एवं गायिका ईला अरुण मुम्बई को प्रदान किया जायेगा। इन्हें पुरस्कार स्वरूप एक लाख रुपये नकद व ताम्र पत्र प्रदत्त किया जायेगा। इसके अलावा विभिन्न विधाओं में महत्वपूर्ण योगदान के लिये 12 पुरस्कारों के अंतर्गत प्रत्येक को 51 हजार रुपये व ताम्रपत्र प्रदान किये जायेंगे। ये अवार्ड जोधपुर के मुकुन्द क्षीरसागर को शास्त्रीय गायन , नियाज अहमद को सितार वादन , जयपुर की रेखा ठाकर कत्थक नृत्य , पुष्कर के नाथूलाल सोलंकी को नगाड़ा वादन के लिये दिया जायेगा। इसी प्रकार लोकगीत गायन में जैसलमेर के मामे खान जैसलमेर , लोकनृत्य में उदयपुर आमेठा की विजयलक्ष्मी आमेठा , सुगम अली के लिये मुम्बई के मोहम्मद अली-गनी , बीकानेर के रमेश बोहरा को रंगमंच (अभिनय) , जयपुर के शहजोर अली को रंगमंच (रंगशिल्प) के लिये अकादमी अवार्ड से नवाजा जायेगा। वहीं मुम्बई के बी.एम. व्यास को रंगमंच (निर्देशन) , कठपुतली कला के लिये उदयपुर के तोलाराम मेघवाल , समग्र कला साधना के लिये हरिदत्त कल्ला के लिये अकादमी अवार्ड से नवाजा जायेगा। इसी कड़ी में युवा पुरस्कारों के तहत अनुपराज पुरोहित को शास्त्रीय गायन , कपिल वैष्णव को तबला वादन , प्रेरणा राठी को कथक नृत्य व अमित पलवार को तालबन्दी गायन , रेनु नागर सुगम संगीत , अभिषेक मुद्गल रंगमंच (निर्देशन) के लिये पुरस्कृत किया जायेगा। पुरस्कार स्वरूप प्रत्येक कलाकार को पच्चीस हजार नकद व प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे। इसी तरह से बाल प्रतिभा पुरस्कारों में मोहम्मद फेज जोधपुर को सुगम संगीत ,थानु खान बाड़मेर को लोक गायन , मोहम्मद जमाल जयपुर तबला वादन तथा अकादमी द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय बाल प्रतिभा खोज प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त एंजल सुखवानी उदयपुर को कथक नृत्य व सीया ओझा जोधपुर को शास्त्रीय गायन के लिये पुरस्कृत किया जायेगा। पुरस्कार के तहत प्रत्येक कलाकार को ग्यारह हजार रुपये नकद तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किये जायेंगे।
कौन है इला अरुण
सुप्रसिद्ध अभिनेत्री एवं गायिका इला अरुण (66 वर्षीया) को दर्शक मुख्य रूप से एक प्रसिद्ध राजस्थानी लोक-गायक के रूप में जानते हैं , लेकिन वास्तव में वे एक एक्ट्रेस हैं क्योंकि एक्टिंग के जरिये ही उन्होंने एंटरटेनमेंट वर्ल्ड में डेब्यू किया था।इन्होंने वर्ष 1991 में आई फिल्म ‘लम्हें’ का गाना ‘मोरनी बागा मा बोले’ , 1993 की ‘खलनायक’ के गाने ‘चोली के पीछे’ और ऑस्कर विजेता फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ (2008) के ‘रिंगा रिंगा’ जैसे सुपरहिट गाने के साथ प्रसिद्धि हासिल की। लेकिन उन्होंने 1983 में दिग्गज डायरेक्टर श्याम बेनेगल की ‘मंडी’ से अपनी हिंदी फिल्मों की यात्रा की शुरुआत की थी। इला अरुण का कहना है कि मुझे पढ़ने लिखने में भी काफी दिलचस्पी है। मैं अपने स्कूल के दिनों में गायन के लिये जाती थी और नाटकों में अभिनय भी करती थी , जिसे मैंने अपने कालेज के दिनों में भी जारी रखा। उन्होंने आगे कहा कि मैं दरअसल एक एक्ट्रेस हूं , एक्टिंग हमेशा मेरे जीवन का हिस्सा रहा है। मुझे यह बेहद पसंद है , चाहे यह मंच पर हो या कैमरे के सामने मैं इसमें सहज हूं। मुझे अपने आसपास के लोगों से ही बहुत कुछ सीखने को मिला है , मैंने सब कुछ अपने अवलोकन और अनुभव से सीखा है।