पुरी शंकराचार्य

तामस सर्ग की अपेक्षा राजस सर्ग का और राजस सर्ग की अपेक्षा सात्विक सर्ग का अधिक महत्व है , त्रिविध सर्ग की परार्थता भी सिद्ध है।

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