कैम्पा योजनांतर्गत वन मितान प्रशिक्षण सह जागरूकता शिविर

गरियाबंद/पांडुका (गंगा प्रकाश)। वन परिक्षेत्र पाण्डुका में छत्तीसगढ़ राज्य कैम्पा योजनांतर्गत वन मितान प्रशिक्षण सह जागरूकता शिविर “जागृति” कार्यक्रम के द्वितीय कैम्प का आयोजन शुक्रवार को गायडबरी किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में श्रीमती लक्ष्मी साहू जिला पंचायत सदस्य राज्य कैम्पा सदस्य; विशेष अतिथि श्रीमती दुलारी ध्रुव सरपंच गायडबरी, अगहन सिंह ठाकुर गायडबरी , पुनीत राम ध्रुव ग्राम पटेल गायडबरी उपस्थित रहे. कार्यक्रम में शासकीय पूर्व माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक शाला गायडबरी और उच्चतर माध्यमिक शाला पीपरछेड़ी के विद्यार्थियों ने भाग लिया. कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा छत्तीसगढ़ महतारी के छायाचित्र में माल्यार्पण कर और बच्चों द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य गीत गा कर किया गया. वन परिक्षेत्र अधिकारी तरुण तिवारी ने कार्यक्रम की भूमिका और उद्देश्य से अवगत कराया और अतिथियों को पौधा भेंट कर स्वागत किया।

मुख्य अतिथि श्रीमती लक्ष्मी साहू ने छात्र छात्राओं को वन मितान के रूप में परिभाषित करते हुए बरगद, पीपल, नीम आदि से मिलने वाले ऑक्सीजन से होने वाले फायदे एवं हर्रा, बहेड़ा, आंवला आदि के आयुर्वेदिक गुणों के बारे में बताया . साथ ही उन्होंने गाँव के तालाबों एवं आसपास बहने वाले नालों और नदियों के संरक्षण एवं संवर्द्धन के लिए प्रेरित किया।

विशेष अतिथि अगहन सिंह ठाकुर ने वन विभाग द्वारा आयोजित वन मितान प्रशिक्षण एवं वन भ्रमण कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहा कि वनों के संरक्षण एवं वृक्षारोपण को प्रोत्साहित करने के लिए समय-समय पर इस प्रकार के प्रयास होने चाहिए. उन्होंने गाँव के आसपास अपने द्वारा रोपे गए पौधों का उदाहरण देते हुए छात्रों को वृक्षारोपण के लिए प्रेरित किया।

उप वनमण्डलाधिकारी राजिम उदय सिंह ठाकुर ने विद्यार्थियों को वन संरक्षण एवं वृक्षारोपण की शपथ दिलाई

विद्यार्थियों को वन भ्रमण के लिए ले जाया गया जहाँ विभिन्न प्रजाति के पेड़ पौधों के बारे में बताया गया. राजकीय वृक्ष साल के इमारती उपयोग के अतिरिक्त उसके विभिन्न भागों जैसे छाल का औषधि के रूप में, पत्तियों का दोना पत्तल बनाने, गोंद से धूप और तेल से पेंट बनाने के लिए किए जाने वाले उपयोग के बारे में बताया गया. शतावर, जमराशि, अकरकरा, गोरखमुंडी आदि औषधीय पौधों के गुणों के बारे में बताया गया. भारत में पाए जाने वाले सर्प की प्रजातियों, खाद्य श्रृंखला, जल चक्र, मृदा जल संरक्षण, दीमक एवं केंचुओं का जंगल के वातावरण में महत्त्व, वन्यप्राणियों के रहवास एवं सुरक्षा के विषय में विस्तार से बताया गया. इस दौरान चर्चा में विद्यार्थियों ने वन एवं प्रकृति के विषय में अपने विचार व्यक्त किए एवं वन संबंधित प्रश्नोत्तरी का आयोजन कर पुरुस्कार वितरण किया गया।

उप वनक्षेत्रपाल साखाराम नवरंगे ने मंच संचालन किया और विभिन्न वृक्षों का औषधीय महत्व बताया. परिक्षेत्र अधिकारी तरुण तिवारी ने मृदा जल संरक्षण एवं नरवा विकास कार्य के अंतर्गत भूमि जल संरक्षण के लिए किए जा रहे क्रियाकलापों की जानकारी दी और चेक डेम, तालाब, ट्रेंच आदि संरचनाओं के जल संरक्षण में योगदान को समझाया. कार्यक्रम में टीकाराम वर्मा उप वनक्षेत्रपाल, रामकुमार साहू वनरक्षक , डिगेश्वर ठाकुर वनरक्षक , घनश्याम ध्रुव वनरक्षक , गुलशन यादव वनरक्षक एवं पाण्डुका परिक्षेत्र के समस्त स्टाफ का सक्रिय सहयोग एवं शिक्षा विभाग से विकासखंड शिक्षा अधिकारी के. एल. मतावले एवं  विद्यालय के शिक्षकों का विशेष योगदान रहा।

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