पुरी शंकराचार्य

जो आलस्य रहित / धर्मात्मा / यथाशक्ति सत्पथ का अनुगमन करने वाला / सच्चरित्र और प्रबुद्ध होता है वह ब्रह्मभाव को प्राप्त करने में समर्थ होता है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *