पंद्रह दिवसीय माघी पुन्नी मेला का आगाज आज से 

रायपुर(गंगा प्रकाश) – प्रदेश के गरियाबंद जिले में स्थित पवित्र धार्मिक नगरी राजिम में प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक पंद्रह दिनों का मेला लगता है। राजिम में तीन नदियों का संगम है इसलिये इसे त्रिवेणी संगम भी कहा जाता है, यहाँ मुख्य रूप से तीन नदियां बहती हैं, जिनके नाम क्रमशः महानदी, पैरी नदी तथा सोंढूर है। संगम स्थल पर कुलेश्वर महादेव जी विराजमान है। राज्य शासन द्वारा वर्ष 2001 से राजिम मेले को राजीव लोचन महोत्सव के रूप में मनाया जाता था , वर्ष 2005 से इसे कुम्भ के रूप में मनाया जाता रहा था और अब वर्ष 2019 से राजिम माघी पुन्नी मेला के रूप में मनाया जा रहा है। यह आयोजन छत्तीसगढ़ शासन धर्मस्व एवं पर्यटन विभाग एवं स्थानीय आयोजन समिति के तत्वाधान में होता है। मेला की शुरुआत कल्पवास से होती है। पखवाड़े भर पहले से श्रद्धालु पंचकोशी यात्रा प्रारंभ कर देते हैं पंचकोशी यात्रा में श्रद्धालु पटेश्वर, फिंगेश्वर, ब्रम्हनेश्वर, कोपेश्वर तथा चम्पेश्वर नाथ के पैदल भ्रमण कर दर्शन करते हैं तथा धुनी रमाते हैं।  इस वर्ष आज 05 फरवरी माद्य पूर्णिमा से 18 फरवरी 2023 महाशिवरात्रि तक राजिम माद्यी पुन्नी मेला आयोजित किया गया है। राजिम माघी पुन्नी मेला में विभिन्न जगहों से हजारांे साधू संतों का आगमन होता है , प्रतिवर्ष हजारो की संख्या में नागा साधू, संत आदि आते हैं तथा विशेष पर्व स्नान तथा संत समागम में भाग लेते हैं , प्रतिवर्ष होने वाले इस माघी पुन्नी मेला में विभिन्न राज्यों से लाखों की संख्या में लोग आते हैं और भगवान श्रीराजीव लोचन तथा श्रीकुलेश्वर नाथ महादेव जी के दर्शन करते हैं और अपना जीवन धन्य मानते हैं। लोगो में मान्यता है कि भगवान जगन्नाथपुरीजी की यात्रा तब तक पूरी नही मानी जाती , जब तक भगवान श्रीराजीव लोचन तथा श्री कुलेश्वर नाथ के दर्शन नहीं कर लिये जाते। राजिम अपने आप में एक विशेष महत्व रखने वाला एक छोटा सा शहर है। राजिम गरियाबंद जिले का एक तहसील है। प्राचीन समय से राजिम अपने पुरातत्वों और प्राचीन सभ्यताओं के लिये प्रसिद्ध है। राजिम मुख्य रूप से भगवान श्री राजीव लोचन जी के मंदिर के कारण प्रसिद्ध है। राजिम का यह मंदिर आठवीं शताब्दी का है। यहाँ कुलेश्वर महादेव जी का भी मंदिर है। जो संगम स्थल पर विराजमान है। इसी तरह से राजिम माघी पुन्नी मेला के साथ साथ मां शबरी की पावन धरा शिवरीनारायण में भी प्रतिवर्ष माघ पूर्णिमा से महाशिवरात्रि तक चलता है। इस दौरान प्रशासन द्वारा विविध सांस्कृतिक व धार्मिक आयोजन होते हैं।

सीएम ने दी माघी पुन्नी मेला की बधाई

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज 05 फरवरी से शुरू हो रहे राजिम माघी पुन्नी मेला और शिवरीनारायण मेला की प्रदेशवासियों को बधाई और शुभकामनायें दी हैं। सीएम बघेल ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के प्रयागराज के रूप में प्रसिद्ध राजिम में हर साल आयोजित होने वाला राजिम माघी पुन्नी मेला छत्तीसगढ़ की आस्था का प्रतीक है।महानदी , पैरी और सोंढूर नदियों के पवित्र त्रिवेणी संगम पर सदियों से इस मेले का आयोजन होता है। इस मेले में छत्तीसगढ़ की धार्मिक परंपराओं के साथ-साथ लोक संस्कृति के दर्शन होते हैं। बड़ी संख्या में आसपास के राज्यों के लोग भी श्रद्धापूर्वक इस मेले में शामिल होते हैं। राज्य सरकार ‘राजिम माघी पुन्नी मेला’ को उसके मूल स्वरूप में आयोजित कर छत्तीसगढ़ की गौरवशाली सांस्कृतिक परम्पराओं को संरक्षित और संवर्धित करने का प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राजिम की तरह माघ पूर्णिमा के अवसर पर शिवरीनारायण में भी महानदी , शिवनाथ और जोंक नदी के पावन संगम पर मेले का आयोजन होता है। इस मेले में भी लोग श्रद्धा और आस्था के साथ शामिल होते हैं। उन्होंने महानदी के तट पर सिरपुर में माघी पूर्णिमा के दिन से शुरू हो रहे सिरपुर महोत्सव की भी शुभकामनायें प्रदेशवासियों को दी है।

0Shares

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *