
आरसीडब्ल्यूसी चिरमिरी द्वारा चक्का जाम कर दीया जा रहा है अनिश्चित कालीन हड़ताल।
महेश प्रसाद
कोरिया (गंगा प्रकाश)। एक तरफ जहां सरकार मजदूरों के हितों की बात करती है। वहीं दूसरी ओर ठेका मजदूर हमेशा से उपेक्षा का शिकार होते हुए आए हैं । ठेका मजदूरों का कहना है कि, भारत सरकार ने हमें सरकारी दर पर मजदूरी भुगतान करने एवं पुराने मजदूरों को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया, किंतु आज भी एसईसीएल द्वारा ठेका मजदूरों को मजदूरी के नाम पर दो सौ से ढाई सौ रुपए तक ही दिया जाता है । जिससे ठेका मजदूरों के परिवार ना तो, अच्छा जीवन जी पाते हैं, ना ही अच्छी शिक्षा प्राप्त कर पाते हैं । यह भी एक विडम्बना है जो एस ई सी एल और एस ई सी एल के ठेकेदार दिनों- दिन अपने लाभ को बढ़ा रहे हैं, वहीं एक ठेका मजदूर दो वक्त की रोटी को भी मोहताज है। इसका सबसे बड़ा कारण चिरमिरी के ठेका मजदूरों का जागरूक होना है, या यूं कहें अपने हक के लिए लड़ाई ही उनका शोषण का कारण है ठेका मजदूरों का कहना है कि हम अपने हक के लिए लड़ रहे हैं इस कारण एसईसीएल प्रबंधन एवं ठेकेदार चिरमिरी के ठेका मजदूरों को काम ना देकर बाहर से मजदूरों को लाकर कम दरों पर कार्य करवा रहे हैं जबकि भारत सरकार ने ठेका मजदूरों के लिए एक अच्छी खासी निश्चित रकम तय की है। लेकिन अपने थोड़े से फायदे के लिए यह ठेकेदार और प्रबंधन मजदूरों के हितों को दरकिनार करते हुए अपनी मनमर्जी कर रही है ।


जिससे निरास होकर अब ठेका मजदूर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर बैठ चुके हैं । और उनका कहना है कि हम जितनी बातें कर सकते थे हमने कर लिया है। अब वक्त बात करने का खत्म हो चुका है। अब जब तक की एसईसीएल प्रबंधन एवं ठेकेदार इस पर कोई ठोस कदम नहीं उठाते हैं। यह आंदोलन निरंतर जारी रहेगा । अब देखना यह है कि, प्रबंधन इस पर क्या विचार करता है फिलहाल तो प्रबंधन इस विषय पर कुछ कहने या सामने आने से कतराता नजर आ रहा है।