



राजिम (गंगा प्रकाश)। माघी पुन्नी मेला में आठवें दिन रविवार को जनसैलाब उमड़ पड़ा। लोग दिनभर मेला घुमते रहे वहीं शाम होते ही मुख्यमंच की ओर सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने पहुंचे। रविवार को नाईट स्टॉर अनुराग शर्मा की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों का दिल जीत लिया। अनुराग शर्मा ने भक्ति गीत से कार्यक्रम की शुरूआत की। इसके बाद एक से बढ़कर एक छत्तीसगढ़ और हिन्दी गीतों की प्रस्तुति से समा बांध दिया। तोर सुरता मा रे मयारू मोला नींद नहीं आवे रे…. तोर माटी माथ के चंदन अमृत हे पानी…., मेरे देश की धरती सोना उगले उगले हीरे मोती…, न धरती म हे कोनों न कोनों आकाश म… गीतों को सुनकर दर्शक काफी रोमांचित हुए। लम्बे समय से सभी की जुबान में रहने वाली गीत छुनुर-छुनुर पैरी बाजे रे गोरी.. गीत सुनते ही दर्शक अपने जगह पर झमने लगे। का जादू डारे मोला…., तोर मया म मयारू…., इसी के साथ कुलेश्वर महादेव को मनाते हुए महादेवा तेरे डमरू डम-डम बाजे…, छम-छम बाजे पांव के पैरी…., ये गुजरने वाली हवा बता… इन गीतों ने आज ऐसी जादू छेड़ी जिसे सुनकर दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। अनुराग शर्मा के एक से बढ़कर एक प्रस्तुति ने दर्शकों खूब आनंदित किया। मुख्यमंच पर कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति लोक रंजनी के कलाकार डॉ. पुरूषोत्तम चन्द्राकर ने छत्तीसगढ़ी परम्परा को मंच पर गीतों के माध्यम से प्रस्तुत किया। उनकी पहली प्रस्तुति सरस्वती वंदना के साथ की। अगले क्रम में सुवा, पथी, ददरिया, कर्मा नृत्य की सुंदर प्रस्तुति दी। मंच पर काय-काय धरे हस…., आगे तुहर गांव…., जीवरा धड़क जाये… लोक रंजनी का ऐसा गीत था जिसे सुनकर सब ताली बजाकर उस गीत का स्वागत किया। मंच पर हस्य व्यंग्य कवि सम्मेलन भी हुआ। जिसमे रामानंद त्रिपाठी, पद्मलोचन शर्मा, गजराज दास महंत, शशिभूषण स्नेही, निशा आनंद तिवारी सहित अनेक कवियों ने हस्य कवि प्रस्तुति कर दर्शकों का मनोरजंन किया। कलाकरों का सम्मान केन्द्रीय समिति के सदस्य, स्थानीय जनप्रतिनिधियों द्वारा स्मृति चिन्ह भेंटकर किया गया। मंच का संचालन निरंजन साहू द्वारा किया गया।