भ्रष्ट्राचार के गढ़ बन चुके छत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन योजना में जारी हैं भ्रष्टाचार ?

चम्बल के डकैतों को भी पीछे छोड़ा पीएचई  विभाग के कमीशन खोरो ने,चेक काटने से पहले 20% कमीशन के चलते स्तरहीन निर्माण जारी

प्रकाश कुमार यादव 

रायपुर (गंगा प्रकाश ):-छत्तीसगढ़ में 2020-21 में जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के लिए भारत सरकार द्वारा 445 करोड़ रुपये की राशि को मंजूरी दी गई है। जल जीवन मिशन के तहत, छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2023-24 तक 100% कार्यात्मक नल जल कनेक्शन (FHTC) प्राप्त करने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है। योजना के अनुसार, इससे छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के कुल 45 लाख घरों में से 20 लाख परिवारों को नल कनेक्शन प्रदान करेगी। घरों के सार्वभौमिक कवरेज के लिए अपनी योजना के अनुसार, छत्तीसगढ़ सरकार ने पानी की कमी वाले क्षेत्रों, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति के वर्चस्व वाले क्षेत्रों / गांवों, गुणवत्ता प्रभावित क्षेत्रों,संसद आदर्श ग्रामीण योजना गांवों, आकांक्षी जिलों पर ध्यान केंद्रित करने को प्राथमिकता दी है। इसने जल गुणवत्ता निगरानी के साथ-साथ निगरानी को भी महत्व दिया है। लंबे समय से राज्य द्वारा तेजी से भूजल की कमी और रासायनिक संदूषण चेहरे के मुद्दे को दूर करने के लिए यह कदम उठाया गया है।लेकिनछत्तीसगढ़ में जल-जीवन मिशन योजना भ्रष्टाचार के चलते अपने मार्ग से तेजी से भटक रही है।इस मामले में PHE विभाग के कई इंजीनियर कांग्रेस सरकार की साख पर बट्टा लगा रहे है।ताजा जानकारी के मुताबिक ठेकेदारों को भुगतान और नई योजनाओ की प्रगति के लिए केंद्र से मिलने वाले प्रस्ताव की मंजूरी के मामले में PHE विभाग लगभग 10 माह पिछड़ गया है।केंद्र सरकार के अफसर जल-जीवन मिशन योजना के विस्तार के प्रस्ताव को लेकर कई महीनो तक राह तकते रहे ,लेकिन राज्य के PHE विभाग से प्रस्ताव मिलते-मिलते कई महीने बीत गए।सूत्रों द्वारा बताया जा रहा है कि राज्य की ओर से प्रस्ताव प्राप्ति में हुई लेट-लतीफी की जब केंद्रीय अफसरों ने पड़ताल की ,तो उन्हें हैरानी हुई।पता पड़ा कि पिछले वित्तीय वर्ष की बड़ी रकम अनावश्यक रूप से एक निजी बैंक में पड़ी रही।उधर इस योजना के क्रियान्वयन में जुटा अमला और ठेकेदार कई महीनो तक भुगतान को लेकर विभाग का चक्कर काटते रहे।अफसरों के हस्तक्षेप से जब भुगतान सुनिंश्चित करने और जल्द प्रस्ताव भेजने का दबाव पड़ा तो PHE विभाग में खलबली मच गई।फौरी तौर पर केंद्र को प्रस्ताव भेजकर राज्य के अफसरों ने ठेकेदारों को पूर्ववर्ती कार्यो का भुगतान करना शुरू किया|इसके साथ ही विभाग में भ्रष्टाचार का सुनिश्चित खेल शुरू हो गया।जानकारी के मुताबिक जल-जीवन मिशन को गांव-गांव तक पहुंचाने के लिए मुख्यमंत्री बघेल ने कई बार कड़े निर्देश दिए है।समीक्षा बैठक में बघेल ने विभागीय अफसरों को इसके लिए चेताया भी था।लेकिन इस बैठक के बाद अफसरों ने नियमानुसार कार्य करने के बजाय अपनी मनमर्जी शुरू कर दी।कई इलाको में जनप्रतिनिधियो ने उन पर लगाम लगाने की कोशिस भी की लेकिन कोई असर नहीं हुआ। 

बताया जाता है कि विभिन्न संभागो में जिलों में पदस्थ कुछ एग्जीक्यूटिव इंजिनियर ने “पहले आओ पहले पाओ” की तर्ज़ पर भुगतान के लिए कमीशन की रकम 18 से 20 फीसदी तक बढ़ा दी है।हाल ही के महीनो में इस भुगतान को पाने और नए प्रस्ताव के तहत योजनाओ के क्रियान्वयन के लिए काम सौंपने को लेकर इंजीनियरों ने बड़े पैमाने पर अफरा-तफरी शुरू कर दी है| कई इंजिनियर तो अपने नाते-रिश्तेदारों को ठेकेदारी में उतार कर टेंडर मैनेज करने में जुटे है।राज्य शासन ने यदि जल्द ही इस ओर ध्यान नहीं दिया तो आने वाले वर्षो में उसे ,उन इलाको में ग्रामीणों के विरोध का सामना करना पड़ सकता है ,जहाँ की आबादी पानी की समस्या से जूझ रही है।दरअसल ,इस महती का उद्देश्य नागरिको को निस्तार और पीने के लिए शुद्ध पेयजल की आपूर्ति कराना है। इस योजना का वित्तीय भार केंद्र और राज्य सरकार दोनों के हिस्से में लगभग बराबरी का है।राज्यों से समय पर विधिवत प्रस्ताव प्राप्त होने पर केंद्र की ओर से अपना वित्तीय अंश विभागों को सौंपा जा रहा है।

लेकिन छत्तीसगढ़ में PHE विभाग के अफसरों की कार्यप्रणाली के चलते यह योजना लगातार पिछड़ रही है। जमीनी हकीकत यह है कि,मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश के बावजूद मैदानी इलाको में पदस्थ इंजिनियर सरकार की मंशा पर पानी फेर रहे है। कार्यो की गुणवत्ता पर समझौते के साथ 18 से 20 फीसदी कमीशन की मांग से ठेकेदार भी हैरत में है  सुरते हाल यह है कि जोर-जबरदस्ती वसूले जा रहे कमींशन को लेकर पीड़ित जुमले कसने लगे है कि यहाँ के इंजिनियर चम्बल के डकैतो से ज्यादा खतरनाक है।

बताया जाता है कि विभागीय मंत्री से कई बार शिकायते किए जाने और ठेकेदारों की हड़ताल के बावजूद PHE विभाग की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आया है।सूत्रों द्वारा बताया जाता है कि जिलों में पदस्थ जो कुछ एग्जीक्यूटिव इंजिनियर कमीशन खोरी और गुणवत्ताविहीन कार्यो पर जोर दे रहे है, वे सभी मंत्री जी के ख़ास है।नतीजतन मुख्यमंत्री बघेल के तमाम निर्देश ये अफसर रद्दी की टोकरी में डाल रहे है।

छत्तीसगढ़ में नल-जल मिशन के कार्यो पर निगाह रखने वाले बताते है कि प्रदेश के सिर्फ आधा दर्जन जिलों में ही यह योजना पटरी पर चल रही है। शेष जिलों में काम के नाम पर खानापूर्ति और इंजीनियरों के नाते-रिश्तेदारों को ठेकेदारी सौंप दिए जाने से पेयजल आपूर्ति का हाल बेहाल है । पंचायतो से लेकर आम ग्रामीण PHE विभाग के इन अफसरों की कार्यप्रणाली से त्रस्त बताया जाता है।सबसे ख़राब हालत राजनांदगांव ,बस्तर और सरगुजा संभाग की है।इन दोनों ही संभागो के कई गांव में गुणवत्ता विहीन कार्यो के चलते पंप हाउस और पाइपलाइन दोनों ही चंद महीनो में ठप्प हो गई।ग्रामीणों की शिकायतों का कई महीनो से कोई निराकरण नहीं हुआ। बताया जाता है कि सबसे ज्यादा शिकायते राजनांदगांव की है। ग्रामीण हो या ठेकेदार हर कोई यहाँ पदस्थ एग्जीक्यूटिव इंजिनियर समीर शर्मा की कार्यप्रणाली से त्रस्त है।ठेकेदार खुला आरोप लगा रहे है कि उनके कार्यो की भुगतान के लिए कमीशन की रकम 18 से बढाकर 20 फीसदी कर दी गई है।चेक कटने से पूर्व नगद भुगतान के बाद ही उनके ठेके के कार्यो का सरकारी भुगतान होता है।नाम ना छापने की शर्त पर एक ठेकेदार ने बताया कि हाल ही में छत्तीसगढ़ शासन की ओर से लगभग 60 करोड़ राजनांदगांव भेजे गए थे।इसमें अपना भुगतान पाने के लिए उन्हें जमकर नाक रगड़ना पड़ा।आगे के कार्यो का ठेका पाने के लिए भी उन्हें मोटी रकम नगद भुगतान के रूप में पहले चुकानी पड़ रही है।इसके बाद ही वर्कऑर्डर मिलने की संभावना बनी रहती है ,वर्ना ठेकेदारी से हाथ धोने की स्थिति निर्मित होने देर नहीं लगती।उनकी यह भी दलील है कि यहाँ भी विभागीय ठेकेदारों के बजाय अफसरों के नाते -रिश्तेदारों ने नए नवेले ठेकेदार के रूप में अपने पैर जमा लिए है। ठेकेदारों का साफ़ मानना है कि कसावट की कमी के चलते कई जिलों में एग्जीक्यूटिव इंजिनियर मनमानी में उतर आये है।समीर शर्मा की कार्यप्रणाली को नाजायज ठहराते हुए उनकी दलील है कि वे विभागीय सचिव की अवहेलना कर अपने तरीके से काम करवाने पर जोर देते है।उनका यह भी कहना है कि दुर्ग में कई गड़बड़ियों की शिकायतों और वरिष्ठ अफसरों की अवहेलना के चलते समीर शर्मा को हटाया गया था। लेकिन राजनांदगांव में अपनी पोस्टिंग कराने में वो कामयाब रहे।

हालांकि यहाँ भी उनका काम – काज विवादों से घिरा हुआ है।वे अक्सर विभागीय मंत्री और सत्ताधारी दल के कुछ नेताओ का करीबी होने का दावा कर सरकार की मंशा पर पानी फेरने में जुटे है। उधर जल जीवन मिशन के कार्यो को लेकर ग्रामीण भी ऐतराज जता रहे है।उन्हें अंदेशा है कि अभी विधिवत कार्य नहीं शुरू किया गया तो राजनांदगावं की एक बड़ी आबादी एक बार फिर जल संकट से जूझेगी।ग्रामीण मांग  कर रहे  है कि लापरवाह अफसरों को यहाँ से हटाया जाये ताकि भविष्य में वे इस योजना से समय पर लाभान्वित हो सके।

न निर्माण कार्य में गुणवत्ता और न ही कोई पारदर्शिता,विभाग और ठेकेदार की मनमर्जी और भ्रष्ट नीति का हो रहा है उजागर

सरकार की सबसे बड़ी और महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन जिम्मेदार अधिकारियों और ठेकेदारों के लिए भ्रष्टचार करने का नया योजना बन गया है। जहा ठेकेदार विभागीय अधिकारियों के साथ साथ गांठ कर स्टीमेट के विपरित मन मुताबिक कार्य कर गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य करने पर उतारू हो गए है।जिसको पीएचई विभाग खुला संरक्षण देकर कमीशन लेकर अपना जेब गर्म करने में लगे है।इन दिनों जिले भर के प्रत्येक गांव-गांव में जल जीवन मिशन के तहत पानी टंकी और आम जनता को नल कनेक्शन देने का काम चल रहा है। जो सारे नियमो को ताक में रखकर हो रहा है।गुणवत्ताहीन निर्माण कार्य आपको गली-गली, गांव-गांव आसनी से दिखाई दे सकता है। जहा निर्माण कार्य में भ्रष्टाचार की दरारें स्पष्ट तौर पर दिखाई दे रहा है।निर्माण कार्य हुए साल भर भी नही हुआ है और अभी से ही जगह -जगह दरारें दिख रही है।जो ठेकेदार और विभाग के गैरजिम्मेदार अधिकारियों की करतूतों को साफ दिखा रहा है।

निर्माण कार्य स्थल में कही पर भी नागरीक सूचना बोर्ड नही

शासन द्वारा आम जनता को घर-घर तक शुद्ध पेयजल पहुंचाने के मकसद से बनाई गई जल जीवन मिशन गरियाबंद जिले में पूरी तरह से फ्लॉप साबित होता नजर आ रहा है।वही शासन द्वारा दिए गए निर्देश के विपरित कार्य करते हुए पारदर्शिता छुपाने निर्माण स्थल पर किसी भी प्रकार से सूचना बोर्ड नही लगाए है।जबकि शासन का निर्देश है की सभी निर्माण व विकास कार्य स्थल पर नागरिक सूचना बोर्ड लगाया जाए।ताकि आम जनता के लिए शासन द्वारा कौन से मद से और किस कार्य के लिए कितनी राशि दिया गया उसकी जानकारी हो सके।लेकिन विभाग और ठेकेदार शासन की निर्देश की खुलेआम धज्जियां उड़ाते हुए किसी भी निर्माण स्थल में नागरिक सूचना बोर्ड नही लगाए है।जिससे साफ जाहिर है की ये जिम्मेदार लापरवाह शासन की योजना में अपना स्वार्थ निकालने पुर जोर कोशिश कर रहे है

विद्युत चोरी से चल रहा है पानी टंकी का निर्माण कार्य

अधिकतर स्थानों पर पानी टंकी निर्माण कार्य में ठेकेदार खंभे से डायरेक्ट विद्युत लेकर व चोरी कर उक्त निर्माण कार्य को अंजाम दे रहे है।जिसको विद्युत विभाग को जानकारी देने के बाद भी कोई कार्यवाही करना जरूरी नहीं समझ रहे है।छुरा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम तौरेंगा,बोडराबांधा,घटकर्रा, सहित दर्जनों गांवों में पानी टंकी निर्माण में विद्युत चोरी की घटना को ठेकेदार अंजाम दे रहे है।जिसमे विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मेहरबान नजर आ रहे है।अगर कोई गरीब एक बल्ब जलाने के लिए विद्युत चोरी करे तो उस पर विद्युत विभाग तुरंत कार्यवाही करता है।लेकिन पहुंच और पावर वाले ठेकेदारों के पास घुटने टेकते नजर आ रहे है विद्युत विभाग।गरियाबंद जिले में कानून केवल गरीबों के लिए है ,रसूखदार पर कोई नियम कायदा लागू नहीं होता।जिसका उदाहरण कइयों बार देखने को मिल चुका है।जिसकी जानकारी पाण्डुका डीसी के जेई को दिया जा चुका है।लेकिन उन्होंने भी को दिलचस्पी नहीं दिखाई।अब विद्युत चोरी से वर्तमान में ठेकेदारों का पानी टंकी का निर्माण पूर्णता की ओर है। तौरेंगा के पानी टंकी में चल रहे निर्माण कार्य में विद्युत चोरी को लेकर ठेकेदार रघुवंश चंद्राकर को फोन करने पर बोला की परमजीत के साथ पार्टनरशिप में काम चल रहा है उनसे बात करने के बाद आपको बताता हु।वही बोडराबांधा में ठेकेदार के  सुपरवाइजर से बात करने पर उन्होंने अपने रसूखदारी वाला धौंस दिखाते हुए उल्टे ही मीडिया को नसीहत देने से भी बाज नहीं आए।

घटकर्रा में स्टीमेट के विपरित कार्य,आखिर विभाग के इंजीनियर क्या हेलीकॉप्टर से मॉनिटरिंग करते है?

आपको दिलचस्प बात बता दे की पानी टंकी निर्माण में पूरा स्ट्रेकचर पहले तैयार हो रहा है।लेकिन सीढ़ी को बाद में बनाया जा रहा है।जब कोई विभागीय इंजीनियर निरीक्षण करेंगे तो सीढ़ी से चढ़कर करेंगे।लेकिन बिना सीढ़ी के विभाग के जिम्मेदार अधिकारी मॉनिटरिंग भी कर ले रहे है और मूल्यांकन भी।आखिर क्या पीएचई विभाग के अधिकारी हवा में उड़कर निर्माण कार्य की मॉनिटरिंग करते है या फिर हेलीकॉप्टर से या फिर कमांडो की तरह इन्हे भी रस्सी चढ़ना आता है।कुल मिलाकर कहा जाए तो पीएचई विभाग में अधिकारी  केवल दफ्तर में कुर्सी में बैठकर कागजों में रिपोर्टिंग शासन और उच्च विभाग को कर रहे है।वही इसी मामले को लेकर ब्लाक के ग्राम पंचायत घटकर्रा के ग्रामीण खासे नाराज है और इसके जांच के लिए शिकायत भी कर चुके है। जलजीवन मिशन के तहत चल रहे निर्माण कार्य में अनियमितता को लेकर लगातार पड़ताल कर रहे है और जल्द ही एक और बड़ा खुलासा कर ज़िम्मेदारो के करतूतों को उजागर किया जाएगा।

ग्राम पंचायत चरोदा में जल जीवन मिशन योजना ठप,भ्रस्टाचार की पानी टंकी नहीं भरता हैं पानी लोग हैं परेशान

गरियाबंद जिला के छुरा क्षेत्र की ग्राम पंचायत में लोगों के घरों में जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत नल लगाए गए हैं। परंतु पानी की आपूर्ति नहीं होने से शासन की योजना से वंचित हो रहे हैं। जल जीवन मिशन के तहत हर घर स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए योजना शुरू की गई। कार्य कछुआ चाल होने के कारण पानी की दिक्कत से लोग आज भी जूझ रहे हैं। इसमें 70 प्रतिशत गांव में पानी की दिक्कत है। कहीं पाइप अधूरे बिछे हुए हैं तो कहीं पानी टंकी अधूरी पड़ी है। जल जीवन मिशन योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले परिवारों को घर में पानी की सुविधा उपलब्ध कराना है। केंद्र सरकार की इस योजना से सभी जरूरतमंद परिवारों को पानी की सुविधा उपलब्ध कराया जाना है। जल जीवन मिशन के अंतर्गत सभी घरों में पाइप के माध्यम से ताजा एवं स्वच्छ जल आपूर्ति किया जाना है। हर घर नल का जाल बिछाया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि ग्राम पंचायत चरोदा में पाइपलाइन सही तरीका से नहीं बिछ पाया है। इसके साथ ही पाइपलाइन घर से बीस 20 ,30 फीट दूर और कनेक्शन में सिर्फ तीन चार मीटर ही लगए गए हैं । उन्होंने कब कनेक्शन मिलेगा तो कब पानी मिलेगी। साथ ही पाइप लाईन खोदी गई है उस स्थान को बराबर नही किया गया है इससे आने जाने मे परेशानी हो रही है।ठेकेदार द्वारा जो पानी टंकी का निर्माण किया गया उसमें पानी नही रुकता हैं बहुत जगह से पानी टंकी में पानी रिसता हैं।

घरों में लगाई गई है टोंटियां

ग्रामीणों ने बताया कि गांव के सभी घरों में नल की टोंटियां लगाई गई है परंतु आज तक पानी की आपूर्ति नहीं होने से गर्मी के दिनों में पानी की किल्लत हो रही है। उन्होंने बताया कि जल नल योजना से पानी मिलने की आस थी वह भी केवल आस बनकर रह गई है।

नहीं बिछाया गया पूरी पाइप लाइन

ग्रामीण इमरान अली ने बताया कि नल जल योजना के तहत पाइपलाइन बिछा दी गई है परंतु काम अधूरे होने के कारण पानी आपूर्ति नहीं की जा रही है। मुफ्त जल नल योजना के तहत हो रहे कार्य धीमी गति से होने के कारण ग्रामीणों को पानी नहीं मिल पा रहा है । इस ओर विभाग को ध्यान देने की आवश्यकता है। शासन की करोड़ों रुपये की योजना के लाभ से ग्रमीण वंचित रहे हैं। इसे लेकर ग्रामीणों ने सरपंच से शिकायत की हैं।

गरियाबंद जिले में केंद्र की जल जीवन मिशन योजना फेल

बताते चले कि गरियाबंद जिले में केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना जल जीवन मिशन अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत का शिकार हो गई है। जिसका नतीजा ये है कि काम 25 फीसदी भी पूरा नहीं  हुआ किंतु गरियाबंद के कार्यपालक अभियंता प्रमोद कतलम द्वारा 40%कार्य पूर्ण होने का खोखला दावा कर रहे हैं।जिसकी जमीनी हकीकत कुछ और ही हैं।बता दें कि केंद्र सरकार ने देश के सभी राज्यों में गांव के आखिरी छोर तक गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के घरों में साफ पेयजल उपलब्ध कराने जल जीवन मिशन योजना संचालित की थी।केंद्र आम आदमी तक जल पहुंचाने की कोशिश कर रही है।लेकिन योजना के बीच अधिकारी और ठेकेदार ग्रहण बन गए हैं। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के मैदानी क्षेत्र से लेकर सुंदूर वनांचल क्षेत्र के आखिरी घर तक साफ पेयजल पहुंचाने केंद्र सरकार ने करोड़ो रुपए की स्वीकृति दी है। बावजूद इस योजना का जिले में बुरा हाल है।

गरियाबंद जिले में केंद्र की जल जीवन मिशन योजना फेल कितने घरों में देना है पानी

केंद्र सरकार का जल जीवन मिशन जिले में पिछड़ा हुआ है। गरियाबंद जिले से 666 गांव 336 पंचायत जिसमें 1 लाख 30  घरों मे नल कनेक्शन देने का लक्ष्य है।लेकिन पीएचई विभाग अधिकारियों की लापहरवाही और ठेकेदारों की सुस्त रवैये ने मिशन को संकट में डाल दिया है।आलम यह है कि पेयजल के लिए जिन घरों मे नल कनेक्शन लगे हैं, उन नलों मे भी पानी की सप्लाई शुरु नही हुई है। जिसके कारण ग्रामीणों को घर में नल लगने के बावजूद भी पेयजल के लिए भटकना पड़ रहा है। इससे भी विडंबना ये है कि जिन घरों मे नल कनेक्शन लगाया गया है उनमें भी अब तक पेयजल सप्लाई शुरु नही किया गया है।जिन घरों मे नल कनेक्शन लगाया जाना है वह भी भगवान भरोसे ही है।

क्यों पूरा नहीं हुआ काम

जल जीवन मिशन के तहत नल कनेक्शन लगाने के कार्य के लिए जिलास्तरीय टेंडर प्रक्रिया के तहत ठेकेदारों को कार्य दिया जा रहा है।अधिकारी और ठेकेदारों की मिली भगत से अपने चहेते और ऊंची पहुंच रखने वाले ठेकेदारों को उनकी क्षमता से अधिक कार्य दिया गया है।जिसके कारण कार्य बेहद धीमी गति से हो रहा है।ठेकेदार कम लागत में कार्य करने कम कर्मचारी और अपनी सुविधा अनुसार कार्य कर रहे हैं। जिसका खामियाजा आम जनता भुगत रही है। अगर जिले के अलग-अलग क्षेत्र के लिए अधिक ठेकेदारों को कार्य बांट दिया गया होता तो अधिक लोग मिलकर कार्य को अब तक पूरा कर लिए होते।

कितनी हो रही समस्या

गरियाबंद के ग्रामीण क्षेत्रों के नागरिकों का कहना है कि वर्षों से पेयजल और निस्तारी के लिए पानी की समस्या से लोग जुझ रहे हैं।सरकार की योजना के तहत नल लगने से बेहद खुशी हुई थी। लेकिन नल कनेक्शन लगने के महीनों  बाद भी नल में पानी नही आने से समस्या जस के तस बनी हुई है।

पेयजल की समस्या से हो रहे हैं परेशान अधिकारियों की अपनी डफली अपना राग

वहीं पीएचई विभाग गरियाबंद के प्रमोद कटलम कार्यपालक अभियंता के मुताबिक सरकार की योजना का कार्य जोर शोर से किया जा रहा है। जिसमे40%कार्य पूर्ण हो चुका हैं इंजीनियर ठेकेदार अधिकारी सभी कार्य को पूरा करने में जुटे हुए हैं।योजना को अधिकारी समय सीमा तक पूरा कर लेने का दावा कर रहे हैं। अब आगे देखना होगा कि अधिकारी इस योजना को समय पर पूरा कर लोगों को पेयजल उपलब्ध करा पाते है या अधिकारियों की लापरवाही के कारण लोगों को जल जीवन मिशन योजना से वंचित रहना होगा।

जल जीवन मिशन’ के सवाल पर ‘अपने ही’ विधायकों के घेर चुके हैं  ‘मंत्री जी’

जल जीवन मिशन योजना के अब तक हुए काम के बारे में सत्ता पक्ष के विधायक धनेंद्र साहू ने मंत्री गुरू रुद्र से जानकारी मांगी थी विधायक धनेंद्र साहू  ने जल जीवन मिशन के बारे में उन्होंने जानकारी दी। कहा कि कई स्थानों पर टंकी की अभी तक व्यवस्था तक नहीं है। इसके बावजूद सड़कों को खोदकर छोड़ दिया गया है। इसके अलावा बिलासपुर के कांग्रेसी विधायक शैलेष पांडेय ने भी जल जीवन मिशन के मुद्दे पर मंत्री पर सवाल दागे।

सवाल- विधायक धनेंद्र साहू: 3 वर्षों में योजना के अंतर्गत कितनी लागत के कार्य स्वीकृत हुए हैं। किस ग्राम के कार्य के लिए निविदा मनाई गई किन-किन गांव में कार्य बंद पड़ा है। इसकी जानकारी दें

जवाब-मंत्री गुरू रूद्र कुमार:

अभनपुर विधानसभा क्षेत्र में जल जीवन मिशन के तहत ग्राम वार जानकारी देते हुए कहा 13 ग्रामों में जल जीवन मिशन योजना का कार्य प्रारंभ होना अभी शेष है। समस्त गांव में जल जीवन मिशन योजना का कार्य स्वीकृत किया गया है। जो कार्य पूर्ण हो चुके हैं। उसको हैंडओवर किया जाता है, कोई कंप्लेन आती है। इसका निदान होता है, अभी भी शिकायत हो तो उसे दिखा दिया जाएगा।

सवाल

विधायक धनेंद्र साहू ने तब योजना की हकीकत को सदन के पटल पर मंत्री के सामने रखा। कहा कि क्षेत्र में कई ऐसे गांव जहां जल के स्त्रोत नही है, स्त्रोत उपलब्ध कराए, कई स्थानों में टंकी की व्यवस्था नहीं महज सड़क को खोदकर छोड़ दिया गया है। इससे लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जबाब

मंत्री गुरु रुद्र कुमार ने कहा कि कई प्रकार की योजनाएं होती है, नल जल योजना, स्पॉट जल योजना गांवों के अनुसार योजनाएं बनती है, मंत्री ने सदन में की घोषणा पहले पानी टंकी बनेगा तब आगे का कार्य होगा। इस मुद्दे पर विधायक धनेंद्र साहू के कथन का समर्थन बीजेपी के विधायकों ने भी किया। वे भी जल जीवन मिशन में गड़बड़ी की बात कह रहे थे।

इधर, बिलासपुर के कांग्रेसी विधायक शैलेष पांडे ने भी जल जीवन मिशन योजना पर मंत्री को सवालों के घेरे में लिया।

सवाल

बिलासपुर विधायक शैलेष पांडे ने बिलासपुर जिले के जल जीवन मिशन के अंतर्गत निविदाएं को लेकर उठाया सवाल। कहा कार्य के अपूर्ण होने के क्या कारण है?। कितने समय में पूर्ण हो जायेगा?

जवाब

मंत्री रुद्र गुरु ने बताया, पिछले 2 वर्षों में जल जीवन मिशन द्वारा बिलासपुर जिले को 107.88 करोड़ राशि का आहरण सीमा जारी की गई है। अभी तक से 28 योजना के कार्य पूर्ण है। 484 कार्य अपूर्ण है। मंत्री ने कहा टेंडर प्रक्रिया की वजह से लेट हो रहा है। हर योजना की समय सीमा अलग होती है। कहा, सरकार के रहते विधायक जी की चिंता दूर हो जायेगी।

सूपेबेड़ा पर विपक्ष के नेताओं ने कहा साफ पानी नहीं दे पा रही है सरकार इसलिए लोगों की मौत हुई है इस पर मंत्री रुद्र गुरु ने कहा की पानी की वजह से किसी की मौत नहीं हुई है। ये सुनकर अजय चंद्राकर, शिवरतन शर्मा, धरमलाल कौशिक ने हंगामा कर दिया। विपक्षी नेताओं ने कहा कि अब तक सरकार सूपेबेड़ा के लोगों की मदद नहीं कर पाई। इस हंगामे के बीच ही विधानसभा अध्यक्ष चरण दास महंत ने विधानसभा के प्रश्नकाल समाप्ती की घोषणा कर दी।

जल जीवन मिशन में पिछड़ा छत्तीसगढ़, देश में 31वें पायदान पर

 केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जल जीवन मिशन योजना में छत्तीसगढ़ बुरी तरह से पिछड़ गया है। प्रदेश में तय समय में हर घर नल पहुंचाने के लिए विभाग को रोजाना चार हजार घरों में कनेक्शन देना होगा। हालांकि मजदूरों की कमी के कारण यह लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। केंद्र सरकार के दबाव ने जल जीवन मिशन के अधिकारियों को संकट में डाल दिया है। नल पहुंचाने के मामले में छत्तीसगढ़ का देश में 31वां स्थान है, जबकि पड़ोसी राज्यों ने बेहतर प्रदर्शन किया है। अगस्त 2024 तक गांवों के हर घर में नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य है। अभी तक केवल 22.50 फीसद ही काम हो पाया है।पीएचई के आला अधिकारियों ने बताया कि पाइपलाइन बिछाने और टंकियां बनाने की तकनीक को जानने वाले मजदूर नहीं मिल रहे हैं। अब विभाग उन मजदूरों को प्रशिक्षित कर रहा है, जो पहले से प्रोजेक्ट में काम कर रहे हैं। वर्तमान में रोजाना करीब तीन हजार घरों में कनेक्शन पहुंचाने में सफल हो रहे हैं। प्रदेश में 48 लाख 59 हजार 443 घरों तक पेयजल पहुंचाने के लिए पाइपलाइन बिछानी है। अभी तक 10 लाख 93 हजार 138 घरों में ही यह पाइपलाइन बिछ पाई है।

10 हजार करोड़ रुपये की निविदा में हो चुका है विवाद

जल जीवन मिशन में 2020 में निविदा निकाली गई थी, जिसमें 1300 कंपनियों को काम सौंपा गया था। हर कंपनी को लगभग 100 करोड़ रुपये से अधिक का काम दिया गया था। बाद में निविदा को रद करके जिला स्तर पर टेंडर की प्रक्रिया शुरू की गई।

टाप राज्य जहां शत-प्रतिशत पहुंचा घर-घर नल से जल राज्य कुल घर पहुंचा नल प्रतिशत

गोवा 2,63,013 2,63,013 100.00

तेलंगाना 54,06,070 54,06,070 100.00

हरियाणा 30,96,792 30,96,792 100.00

पुडुचेरी 1,14,908 1,14,908 100.00

दमन व द्वीप 85,156 85,156 100.00

आसपास के इन राज्यों से छत्तीसगढ़ पीछे

राज्य कुल घर पहुंचा नल प्रतिशत

छत्तीसगढ़ 48,59,443 10,93,138 22.50

मध्यप्रदेश 1,22,27,867 49,38,913 40.39

ओडिशा 88,33,536 41,37,523 46.84

आंधप्रदेश 95,16,848 55,07,697 57.87

उत्तराखंड 15,18,115 9,36,841 61.71

महाराष्ट्र 1,46,08,532 1,03,76,639 71.03

(आंकड़े : जल जीवन मिशन विभाग से प्राप्त हुए हैं।)

क्या है जल जीवन मिशन

इस मिशन के तहत छत्तीसगढ़ सरकार ने 2023 तक सभी घरों तक उच्च गुणवत्ता का शुद्ध पेयजल पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया है, जिसमें जनभागीदारी सुनिश्चित किये जाने के लिए नाममात्र की अंशराशि प्रतिमाह जलापूर्ति के एवज में लिया जाना निश्चित किया गया है। जल जीवन मिशन केंद्र सरकार का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जिसका उद्देश्य हर ग्रामीण घर में 2024 तक नल का पानी उपलब्ध कराना है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में 15 अगस्त 2019 इस स्कीम को शुरू किया गया था ।इस मिशन के तहत जिन इलाकों में स्वच्छ पीने योग्य पानी की सुविधा उपलब्ध नहीं है वहां हर घर में पाइप लाइन के माध्यम से पानी पहुंचाया जाएगा इस मिशन को सरकार ने हर घर जल योजना का नाम भी दिया है।ऐसे लोग जिनके घर में पानी का कनेक्शन नहीं है वे सभी इस स्कीम के तहत लाभार्थी हैं।इस योजना का क्रियान्वयन राज्यों के द्वारा किया जा रहा है, तथा केंद्र से प्राप्त अनुदान के अलावा मनरेगा, एसबीएम,पीआरआई को 15वें वित्त आयोग के अनुदान, सीएएमपीए कोष, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि, जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के अभिसरण द्वारा उपलब्ध संसाधनों से योजना को क्रियान्वित किया जा रहा है।

जल जीवन मिशन योजना के अंतर्गत प्रत्येक घर तक पेयजल पहुँचाने की योजना को तीन भागों में बांटा गया है।

1-पहले चरण में रेट्रोफिटिंग योजना में पूर्व से लागू नल जल योजना को ही परिवर्धित किया गया है, जिसमें पूरे राज्य में पूर्व से संचालित जल प्रदाय योजनाओं में ग्रामीण क्षेत्र में हर घर तक शुद्ध पानी पाईप लाईन से पहुँचाना सुनिश्चित किया जाएगा। पाईप लाइनों का संधारण कार्य किया जाएगा। जल वितरण व्यवस्था के लिये संचालन खर्च शुरुआती समय के लिये स्वीकृत योजना की 10 प्रतिशत राशि कार्पस फंड के रूप में केंद्र सरकार उपलब्ध करायी जा रही है। इसी तरह पंचायतों के माध्यम से योजना से लाभान्वित हितग्राहियों से सहयोग राशि एकत्र की जाएगी।

2-सिंगल विलेज योजना के अंतर्गत जिन ग्रामों में पूर्व से नल जल योजना लागू नहीं है, वहाँ पर उपलब्ध भू-गर्भ जल के लिए बोर, पाईप, पम्प, टंकी, वितरण लाईन, बिजली कनेक्शन, संचालन व्यवस्था बनाने शुरुआती खर्च के लिए फंड केंद्र राज्य सरकार मिल कर कर रही हैं।

3-तीसरे चरण में पेयजल संबंधी समस्या मूलक ग्रामों जहां भू-गर्भ जल प्रदूषित है,आर्सेनिक आयरन, फ्लोराइड जैसी अशुद्धि की समस्या है वहां फिल्टर प्लांट इत्यादि के लिए पेयजल हेतु समूह ग्राम योजना बनाई जा रही है।

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